‘वन रैंक वन पेंशन’ के तहत 42,740 करोड़ रुपए हुए वितरित

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भाजपानीत केंद्र की राजग सरकार के ऐतिहासिक निर्णय ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) के लागू होने के बाद से 20,60,220 रक्षा बल पेंशन भोगियों/रक्षा बल परिवार पेंशन भोगियों में 42,740 करोड़ रुपए वितरित किए गए। ओआरओपी के कारण हर साल करीब 7123.38 करोड़ रुपए का खर्च आता है और एक जुलाई, 2014 से करीब छह साल तक 42,740.28 करोड़ खर्च किए गए।

ओआरओपी लाभार्थियों को 2.57 के मल्टीप्लिकेशन फैक्टर से पेंशन की गणना करते समय सातवीं सीपीसी के तहत पेंशन के निर्धारण का लाभ भी मिला। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 7 नवंबर, 2015 को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू करने का आदेश दिया था जो 1 जुलाई, 2014 से प्रभावी हुआ।

ओआरओपी से पड़ने वाले भारी वित्तीय बोझ के बावजूद केंद्र सरकार ने यह योजना लागू की जो पूर्व सैन्यकर्मियों के कल्याण को लेकर उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस योजना के दायरे में 30 जून, 2014 तक सेवानिवृत्त हुए सैन्य बल कर्मी आते हैं।

रक्षा पेंशन की विशालता और जटिलता को ध्यान में रखते हुए ओआरओपी के कार्यान्वयन पर सरकारी आदेश जारी करने से पहले विशेषज्ञों और पूर्व सैन्यकर्मियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया था।

पूर्व सैन्यकर्मी करीब 45 वर्षों से ओआरओपी के कार्यान्वयन की मांग के लिए आंदोलन करते आ रहे थे, लेकिन 2015 से पहले इसे कभी लागू नहीं किया गया।

ओआरओपी का मतलब है कि सेवानिवृत्त होने की तारीख से इतर समान सेवा अवधि और समान रैंक पर सेवानिवृत्त हो रहे सशस्त्र सैन्यकर्मियों को एक समान पेंशन दिया जाएगा। इस तरह से ओआरओपी का मतलब आवधिक अंतरालों पर वर्तमान और पिछले सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों की पेंशन की दर के बीच के अंतर को पाटना है।

लोग दशकों से ओआरओपी का इंतजार कर रहे थे : नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 7 नवंबर को ‘वन रैंक वन पेंशन’ के पांच साल पूर होने के अवसर पर पूर्व सैनिकों के योगदान पर आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि आज से पांच साल पहले भारत ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया था। जिसके तहत देश की रक्षा करने वाले सैनिकों के बेहतर भविष्य के लिए फैसला किया गया था।

श्री मोदी ने कहा कि ओआरओपी का पांच साल पूरा होना एक उल्लेखनीय पल है। भारत के लोग दशकों से ओआरओपी का इंतजार कर रहे थे। मैं अपने पूर्व सैनिकों की सेवाओं के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।