‘चिंतन शिविर सहकारी संघवाद का एक मुख्य उदाहरण है’

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 -‘पंच प्रण’ सुशासन के लिए प्रेरक शक्ति होनी चाहिए
-स्मार्ट टेक्नोलॉजी की मदद से कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है
-कानून व्यवस्था को बनाए रखना सातों दिन और चौबीसों घंटे वाला एक काम है
-यूएपीए जैसे कानूनों ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में सिस्टम को ताकत दी है
-‘एक राष्ट्र, एक पुलिस की वर्दी’ कानून प्रवर्तन को एक साझी पहचान देगी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 28 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्यों के गृह मंत्रियों के ‘चिंतन शिविर’ को संबोधित किया। सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने त्योहारों के मौसम में शांतिपूर्ण माहौल के लिए कानून-व्यवस्था से जुड़े कार्मिकों की तैयारियों की सराहना की।

उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर सहकारी संघवाद का एक मुख्य उदाहरण है। श्री मोदी ने कहा कि संविधान में भले कानून और व्यवस्था राज्यों का दायित्व है, लेकिन यह देश की एकता-अखंडता के साथ भी उतने ही जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि हर एक राज्य एक दूसरे से सीखे, एक दूसरे से प्रेरणा ले, देश की बेहतरी के लिए काम करें, यह संविधान की भी भावना है और देशवासियों के प्रति हमारा दायित्व भी है।

चल रहे अमृत काल की चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अमृत पीढ़ी पंच प्रणों के संकल्पों को धारण करके निर्मित होगी। उन्होंने कहा कि सुशासन के लिए ‘पंच प्रण’ प्रेरक शक्ति होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने सभा से पूरे देश के राज्यों की पुलिस के लिए एक ही वर्दी पर विचार करने को कहा। यह न केवल अपनी व्यापकता के कारण गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स को सुनिश्चित करेगा, बल्कि कानून प्रवर्तन को एक साझी पहचान देगी, क्योंकि नागरिक देश में कहीं भी पुलिस कर्मियों को पहचान पाएंगे।

आतंकवाद के जमीनी नेटवर्क को खत्म करने की आवश्यकता को दोहराते हुए श्री मोदी ने कहा कि हर सरकार अपनी क्षमता और सूझ-बूझ के साथ अपना काम करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि एक साथ आएं और स्थिति को संभालें।