भारत, मोदी के नेतृत्व में अपनी शर्तों पर पश्चिमी देशों से सम्बन्ध स्थापित कर रहा है

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भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में अपना चौथा 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद वाशिंगटन में आयोजित किया। दोनों देशों ने बातचीत के दौरान अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के महत्व की फिर से पुष्टि की। उन्होंने वैश्विक साझेदारी और इंडो-पैसिफिक सहयोग के साथ-साथ आपसी समृद्धि के लिए द्विपक्षीय वाणिज्य और व्यापार संबंधों को मजबूत करने, स्वच्छ ऊर्जा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष में सहयोग और वैश्विक स्वास्थ्य में साझेदारी पर चर्चा की। यह बैठक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति श्री जो बाइडेन के साथ वर्चुअल मुलाकात के बाद हुई। पहला 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद सितंबर, 2019 में हुआ था। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की बैठक से बाद, दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्री 2+2 संवाद में भाग लेते हैं। अपनी 11 अप्रैल की चर्चा में दोनों देश हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी साझेदारी के महत्व पर जोर देते हैं।

प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत अपनी शर्तों पर पश्चिम को रिश्ते बना रहा है और द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर देश के हितों को सर्वोपरि रख रहा है। पिछले साल, भारतीय नेतृत्व ने रूस के साथ समझौते को रद्द करने के लिए अमेरिका के दबाव के बावजूद S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए, अपनी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समान दृष्टिकोण अपनाया

उन्होंने भारत के अंतरिक्ष विभाग और संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग के बीच एक अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता समझौते पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने हमारे सैन्य अभ्यासों के दायरे और जटिलता को बढ़ाने की इच्छा साझा की। दोनों ने बहरीन में स्थित एक सहयोगी भागीदार के रूप में भारत के बहुपक्षीय संयुक्त समुद्री बल (सीएमएफ) में शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। यह पश्चिमी हिंद महासागर में क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग को मजबूत करेगा। दोनों देश स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए अपने साझा दृष्टिकोण के अनुसरण में इस क्षेत्र में शांति और समृद्धि प्रदान करने के लिए क्वाड के लिए सकारात्मक और रचनात्मक एजेंडा विकसित करने में पिछले वर्ष की गई प्रगति का स्वागत करते हैं। दोनों देशों ने अपने सैन्य अभ्यासों के दायरे को बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की।

अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सुधार के साथ-साथ परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की। शांति अभियानों में अग्रणी भूमिका के भारत के विशिष्ट इतिहास को स्वीकार करते हुए अमेरिका ने 2022 में बहुपक्षीय शांति स्थापना प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का स्वागत किया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क समझौते (आईएसए) पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत ने अमेरिका के इस कदम का स्वागत किया और उन परियोजनाओं का समर्थन करने की आशा की जो विश्वसनीय और सस्ती सौर ऊर्जा की उपलब्धता में वृद्धि करेगी, जैसेकि डीएफसी द्वारा भारत में सौर पैनलों के निर्माण के लिए फर्स्ट सोलर की सुविधा में 500 मिलियन अमरीकी डॉलर निवेश शामिल है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत की आगामी G20 अध्यक्षता के लिए अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया है, जो दिसंबर, 2022 से नवंबर, 2023 तक चलेगा। इस संदर्भ में मंत्रियों ने वैश्विक सुरक्षा, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर निकटता से सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता की व्यक्त की। 2020 में 2+2 संवाद में भारत और अमेरिका ने भू-स्थानिक खुफिया के लिए बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। चौथी मंत्रिस्तरीय वार्ता में समीक्षा बैठक में दोनों देशों ने बीईसीए को क्रियान्वित करने के लिए हुई प्रगति की सराहना की।

इस यात्रा के द्वारन वाशिंगटन में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मीडिया से एक प्रश्न लेते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है कि मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी शर्तों पर पश्चिम के साथ सम्बन्ध बना रहा है। अल जज़ीरा की एक पत्रकार रैलैंड जॉर्डन ने भारतीय मंत्रियों से पूछा कि आप चारों ने अमेरिका और भारत के बीच गहरी दोस्ती और गठबंधन के बारे में बात की है, क्या यह समस्या नहीं है कि युद्ध के 48 दिनों के बाद भी, भारत ने रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की और कई रिपोर्टों से पता चलता है कि मॉस्को और दिल्ली भविष्य की ऊर्जा खरीद के लिए किसी प्रकार के मुद्रा विनिमय पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं। क्या यह सीएएटीएसए का उल्लंघन करने का जोखिम नहीं है। पत्रकार ने रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री श्री जयशंकर से पूछा कि आप रूस के आक्रमण की निंदा क्यों नहीं करते? क्या यह भारत की विदेश नीति के लक्ष्य और अंतरराष्ट्रीय स्थिति को सर्वोत्तम रूप से प्रदर्शित नहीं करेगा?”

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि जैसाकि अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बताया कि हमने कई बयान दिए हैं जो संयुक्त राष्ट्र और भारतीय संसद और अन्य मंचों में हमारी स्थिति को स्पष्ट करते हैं। और संक्षेप में, उन बयानों में कहा गया है कि हम संघर्ष के खिलाफ हैं। हम हिंसा की तत्काल समाप्ति के पक्षधर हैं, और हम इन उद्देश्यों के लिए कई तरह से योगदान करने के लिए तैयार हैं। श्री जयशंकर ने आगे कहा कि हमने गौर किया कि आप ने रूस से तेल खरीद का उल्लेख किया। मेरा सुझाव है कि आपका ध्यान यूरोप पर केंद्रित होना चाहिए, जो हम कुछ ऊर्जा खरीदते हैं जो हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है। आंकड़ों को देखते हुए मुझे संदेह है कि महीने की हमारी कुल खरीद शायद यूरोप एक दोपहर में रूस से खरीदता है। डॉ. जयशंकर ने कहा कि उन्हें इस बात की अच्छी समझ है कि उनके देश के हित में क्या है और वे जानते हैं कि इसकी रक्षा और इसे कैसे आगे कैसे बढ़ाना है। अमरीकी विदेश मंत्री श्री ब्लिंकन ने भी भारत की ऊर्जा आवश्यकता को यह कहकर स्वीकार किया कि प्रत्येक देश का भौगोलिक स्थान अलग है और ऊर्जा की अलग-अलग आवश्यकताएं हैं ।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 13 अप्रैल को दिल्ली में प्रेस को संबोधित करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के निराधार दावे कि अमेरिका कुछ सरकारों, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन में हाल के घटनाक्रम की अमेरिकी निगरानी में है, का जवाब दिया।
ब्लिंकेन की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि भारत संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य देशों की मानवाधिकार स्थितियों पर भी विचार करता है। उन्होंने कहा कि भारत लगातार भारतीय समुदाय से संबंधित ऐसे मामलों को उठाता है। डॉ. जयशंकर ने कहा, देखिए, लोगों को हमारे बारे में विचार रखने का अधिकार है। लेकिन हम भी समान रूप से उनके विचारों और हितों के बारे में विचार रखने के हकदार हैं, और हमें पता है वो कि लॉबी और वोट बैंक से संचालित हो रहे हैं।
श्री जयशंकर ने कहा कि हम भी संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य लोगों के मानवाधिकारों की स्थिति पर भी अपने विचार रखते हैं। इसलिए, जब हम इस देश (अमेरिका) के भी मानवाधिकार के मुद्दों को उठाते हैं, खासकर जब वे हमारे समुदाय से संबंधित होते हैं। और वास्तव में, हमारे पास कल एक मामला था… हम उस पर विचार रखते हैं। विदेश मंत्री श्री एस. जयशंकर ने ब्लिंकन की टिप्पणी पर दिल्ली में मीडिया को जवाब देने से ठीक एक दिन पहले न्यूयॉर्क में दो भारतीय-अमेरिकी सिख लोगों पर घृणा-अपराधों से सम्बंधित हमले की घटना की ओर इशारा किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी शर्तों पर पश्चिम को रिश्ते बना रहा है और द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर देश के हितों को सर्वोपरि रख रहा है। पिछले साल भारतीय नेतृत्व ने रूस के साथ समझौते को रद्द करने के लिए अमेरिका के दबाव के बावजूद S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए अपनी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समान दृष्टिकोण अपनाया।

विकास आनंद