भारतीय सेना ने ‘आत्मनिर्भरता’ को प्रोत्साहन देते हुए पांच मेक-II परियोजनाओं को दी मंजूरी

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भारतीय सेना स्वदेशी विकास के माध्यम से विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को लाने वाले ‘मेक प्रोजेक्ट्स’ को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए कार्य कर रही है। फिलहाल जारी परियोजनाओं को और बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना ने अब पांच मेक II परियोजनाओं के परियोजना स्वीकृति आदेश (पीएसओ) को मंजूरी दे दी। मेक II परियोजनाएं अनिवार्य रूप से उद्योग द्वारा वित्त पोषित परियोजनाएं हैं, जिनमें प्रोटोटाइप के विकास के लिए भारतीय विक्रेताओं द्वारा डिजाइन एवं विकसित किए गए अभिनव समाधान शामिल हैं। सफल प्रोटोटाइप विकास के बाद आदेश का आश्वासन दिया जाता है।

कुल 43 मेक II परियोजनाओं में से 22 अब प्रोटोटाइप विकास चरण में हैं, जो लागत के हिसाब से परियोजनाओं का 66% (27,000 करोड़ रुपये में से 18,000 करोड़ रुपये) है

रक्षा मंत्रालय द्वारा चार नवंबर को जारी एक बयान के अनुसार निम्नलिखित परियोजनाएं हैं जिनके पीएसओ को मंजूरी दी गई:

• हाई फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एचएफएसडीआर)
• ड्रोन किल सिस्टम
• इन्फैंट्री ट्रेनिंग वीपन सिम्युलेटर (आईडब्ल्यूटीएस)
• 155 मिमी टर्मिनली गाइडेड मुनिशन (टीजीएम)
• मीडियम रेंज प्रिसिशन किल सिस्टम (एमआरपीकेएस)

भारतीय सेना पहले से ही पूंजी अधिग्रहण की मेक II प्रक्रिया के तहत जारी 43 परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है। 43 में से 17 परियोजनाओं को उद्योग से प्राप्त स्व-प्रेरणा प्रस्तावों के माध्यम से शुरू किया गया है। मेक II खरीद योजना ने विभिन्न प्रकार की हथियार प्रणालियों, गोला-बारूद और आधुनिक प्रशिक्षण प्रणालियों, जो वर्तमान में देश में उपलब्ध नहीं हैं, में उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकी प्रणालियों के स्वदेशीकरण की प्राप्ति हेतु रक्षा उद्योग में डिजाइन और विकास को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया है। कुल 43 मेक II परियोजनाओं में से 22 अब प्रोटोटाइप विकास चरण में हैं, जो कि लागत के हिसाब से परियोजनाओं का 66% (27,000 करोड़ रुपये में से 18,000 करोड़ रुपये) है।