नरेन्द्र मोदी की अभिनव सोच और इसकी सफलता की कहानी

| Published on:

मोदी  स्टोरी                                                                                               नरेश भाटिया

भिनव विचार और लीक से हटकर सोच श्री नरेन्द्र मोदी के जीवन की पहचान रही है। प्रचारक के दिनों से लेकर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां ये विशेषताएं स्पष्ट रूप से सामने आईं है। ऐसी ही एक घटना 1979 में आपातकाल के ठीक बाद की है, जब श्री नरेन्द्र मोदी ने राजकोट में रा.स्व.संघ के बारे में जनता की धारणा जानने के लिए ‘सर्वेक्षण’ की शुरुआत की थी।

श्री नरेश भाटिया, रा.स्व.संघ के स्वयंसेवक याद करते हैं कि श्री नरेन्द्र मोदी बौद्धिक विभाग के प्रमुख थे। एक दिन उन्होंने कार्यकर्ताओं से एक ऐसा काम करने को कहा, जो सबके लिए नया था। उन्होंने हमें समाज में संघ की धारणा जानने के लिए एक सर्वेक्षण करने का सुझाव दिया। पहले इस तरह की योजना के लिए कोई भी अभ्यस्त नहीं था, इसलिए इस विचार के प्रति हिचकिचाहट वाली प्रतिक्रिया थी। लेकिन उन्होंने हमें ऐसा करने के लिए कहा।

श्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वेक्षण के लिए एक प्रारूप तैयार किया और उत्तरदाताओं से पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में हमें प्रशिक्षित किया। उन्होंने हमें बताया कि सभी कार्यकर्ताओं को पास के घरों में जाकर उत्तरदाताओं से ये प्रश्न पूछने होंगे।

इस दौरान उन्होंने आगाह भी किया कि लोग आपका अपमान कर सकते हैं, लेकिन आपको पलट कर उत्तर देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि लोग आपका स्वागत कर सकते हैं, तो बहुत खुश भी नहीं होना है।

इसलिए सभी कार्यकर्ता आस-पास के घरों का सर्वे करने चले गए। वे कुछ घंटों के बाद वापस आए और अपने अनुभव साझा किए। उन सभी का उत्तरदाताओं के साथ अच्छा अनुभव था। श्री भाटिया कहते हैं, कुछ लोगों को उत्तरदाताओं के घरों में चाय और नाश्ता भी दिया गया।

इसके अलावा श्री नरेन्द्र मोदी ने डेटा एकत्र किया, बार डायग्राम का उपयोग करके एक चार्ट बनाया और प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रस्तुत किया। सर्वेक्षण का विश्लेषण करना और उस प्रारूप में परिणाम प्रस्तुत करना सभी के लिए नया था। सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप आम जनता में रा.स्व.संघ की धारणा के लिए सकारात्मक प्रतिसाद मिला।

श्री भाटिया आगे कहते हैं कि सर्वे नया था, लेकिन यह सभी कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रशिक्षण भी था।