मन की बात@100 व्यापक परिवर्तन का वाहक

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न की बात ने रेडियो के एक अत्यंत लोकप्रिय कार्यक्रम के रूप में जन-जन के मन में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। एक ऐसे दौर में जब रेडियो को लोग बीते जमाने की बात मानने लगे थे, ‘मन की बात’ को इसे संचार माध्यमों की दुनिया में पुनः स्थापित करने का श्रेय जाता है। जहां इसकी लोकप्रियता इसके हर संस्करण के साथ बढ़ी, वहीं पूरे देश में इसके श्रोता कई गुणा अधिक बढ़ गए। आज यह नई पहलों एवं विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। 3 अक्तूबर, 2014 को विजयदशमी को प्रारंभ होने के पश्चात‌् अब यह 23 भारतीय भाषाओं, 29 बोलियों एवं 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित हो रहा है। आईआईएम, रोहतक के एक सर्वे के अनुसार 100 करोड़ लोगों ने कभी-न-कभी इस कार्यक्रम को सुना है तथा 23 करोड़ लोग इसे नियमित रूप से सुनते हैं। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा ने अपने भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ 27 जनवरी, 2015 को इस कार्यक्रम में शामिल हो लोगों के प्रश्नों के उत्तर दिए थे। आज जबकि मन की बात का 100वां संस्करण प्रसारित हुआ है, ‘चरैवेति’ के संदेश से आेत-प्रोत यह गौरवपूर्ण यात्रा निरंतरता एवं प्रगति के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है।

‘मन की बात’ के मंच से उभरते विचार एवं संवाद कड़ी-दर-कड़ी राष्ट्र निर्माण के व्यापक संदर्भ में चरित्र-निर्माण के माध्यम से राष्ट्रीय पुनर्जागरण की नई गाथा लिख रहे हैं

जैसे-जैसे ‘मन की बात’ अधिक से अधिक लोकप्रिय होता गया, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जीवन के वास्तविक नायकों की संघर्ष गाथा, उनकी सफलताएं, विचार एवं दृष्टि से जनता का परिचय कराते हुए लोगों को प्रेरित करते रहे हैं। ‘मन की बात’ के हर संस्करण में लोगों को जोड़कर यह एक ऐसे मंच के रूप में विकसित हुआ है जिसमें लोग अपने विचारों एवं प्रयोगों को जन-जन से साझा कर सकते हैं। ‘सेल्फी विद डॉटर’ के माध्यम से बालिकाओं के सम्मान का अभियान, ‘स्टेच्यू क्लीनिंग’ अभियान के माध्यम से हमारे नायकों को सम्मान, ‘फिट इंडिया’ के माध्यम से स्वास्थ्य जागरूकता अभियान जैसे पहलों से कई प्रयोगों को जनांदोलन बनाने में सफलता मिली। कोविड-19 महामारी के उस कठिन दौर को कौन भूल सकता है जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ के मंच का प्रभावी रूप से उपयोग करते हुए जन-जन को इस आपदा को अवसर में बदलने के लिए प्रेरित किया जब भी देश के सामने विपरीत परिस्थिति आई, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हर कठिन समय में लोगांे में आशा और विश्वास का संचार किया। वास्तव में ‘मन की बात’ एक ऐसे मंच के रूप में उभरा, जिसने लोगों में सकारात्मक ऊर्जा भर हर चुनौती से दो-दो हाथ करने को प्रेरित किया। उनके शब्द लोगों का मनोबल बढ़ाने तथा तपती धूप में शीतल छाया देने वाले साबित हुए हैं। उन्होंने इस मंच का उपयोग समाज में हाशिए पर माने जाने वाली संस्कृतियों, भाषाओं, कथाओं एवं कहानियां तथा उनके पर्व-त्योहारों को देश की मुख्यधारा के अभिन्न अंग के रूप में प्रस्तुत करने के लिए किया। उन्हांेने न केवल देश की एकात्मता को प्रतिबिंबित करते हुए हर हिस्से को देश की मुख्यधारा के रूप में परिभाषित किया, बल्कि पीढ़ियों के मध्य बढ़ती खाई को भी पाटने के उल्लेखनीय प्रयास किए।

‘मन की बात’ के मंच से उभरते विचार एवं संवाद कड़ी-दर-कड़ी राष्ट्र निर्माण के व्यापक संदर्भ में चरित्र-निर्माण के माध्यम से राष्ट्रीय पुनर्जागरण की नई गाथा लिख रहे हैं। ‘मन की बात’ के सौंवें संस्करण ने जहां पीछे मुड़कर नौ वर्षों की अपनी गौरवशाली यात्रा का अवलोकन किया, वहीं एक स्वर, एक भावना, एक आह्वान की एकात्मता के अनुरूप जन-जन की सोच में व्यापक परिवर्तन का वाहक भी बना है। इसने सामाजिक विषयों पर जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ घरेलू खिलौना उद्योग, जल-संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता अभियान, हर घर तिरंगा अभियान, देश में रिकॉर्ड टीकाकरण जैसे पहलों को व्यापक जनांदोलनों में परिवर्तित करने में भी सफलता पाई। आज जब देश ‘मन की बात’ के कई और नए संस्करणों की प्रतीक्षा रहा है, आने वाले समय में यह मंच युवाओं को प्रेरित एवं जन-जन को प्रोत्साहित करता रहेगा।

                                                                shivshaktibakshi@kamalsandesh.org