मोदी सरकार वंचित वर्गों के हित में हरसंभव कदम उठाएगी : अनुराग ठाकुर

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•• वैश्विक महामारी के दौर में पूरे विश्व के सामने अनेक चुनौतियां आयीं। इस बजट के माध्यम से देश किस प्रकार उन चुनौतियों का सामना करेगा?

दुनिया के सामने यह इतनी बड़ी चुनौती थी कि कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया के देश असमंजस में थे कि प्राथमिकता क्या हो? कुछ ने अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता माना और लॉकडाउन नहीं किया, उन देशों की हालत आपके सामने हैं। और कुछ देशों ने लॉकडाउन किया लेकिन फिर भी बहुत सारी जान नहीं बचा पाए। लेकिन भारत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से लॉक डाउन भी किया और अपनी क्षमताओं को भी बढ़ाया और जो चुनौतियां थीं उनका सामना करते हुए आज भारत दुनिया भर के सबसे कम मृत्यु दर वाले देशों में है।

•• भारत में ‘मेड इन इंडिया’ टीकों का निर्माण कर अद्भुत उपलब्धि प्राप्त की है, टीकाकरण के लिए बजट में 35 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। स्वास्थ्य क्षेत्र में इस बजट में 137% की अभूतपूर्व वृद्धि की गई है। इसका कितना सकारात्मक प्रभाव देश पर पड़ेगा?

हमारी पहली प्राथमिकता थी कि हर भारतीय की जान को बचाया जाए, अपनी ताकत को बढ़ाया जाए और वैक्सीन बनाने के लिए प्रयास किया जाए। पहले हमारे यहां पीपीई किट एक भी नहीं थी, उनको बनाने के लिए कोशिश किया जाए और आयात न किया जाए। वहीं दूसरी ओर टेस्टिंग लैब जो पहले केवल एक था आज 2400 से ज्यादा है। आज हम 12 लाख से ज्यादा टेस्ट 1 दिन में कर सकते हैं। तो कोविड ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। हमारी पहली चुनौती थी ‘जान है तो जहान है’ और दूसरा ‘जान भी जहान भी’ हमने दोनों पर काम किया। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि पीपीई किट आज हम निर्यात कर रहे हैं और कोविड वैक्सीन भारत ने एक नहीं बल्कि दो-दो बना ली है और वह दुनिया के गिने-चुने देशों में शामिल है। और हम आज 100 से ज्यादा देशों को कोविड वैक्सीन पहुंचा भी रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मध्यम, लघु, सूक्ष्म कुटीर उद्योग को धन उपलब्ध कराकर और बहुत सारे कदम उठाकर यह प्रयास किया कि उनके धंधे बंद ना हो, रोजगार ना जाएं और भारतीय अर्थव्यवस्था भी आगे बढ़ती रहें। तो हमने 3,00,000 करोड़ रुपए बैंकों के माध्यम से बगैर किसी गारंटी के 20% अतिरिक्त धनराशि भी दी है। ऐसे बहुत सारे क्रांतिकारी कदम उठाए गए जिससे अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिला और हमारे उद्योग धंधों को भी लाभ मिला।

•• बजट में छह स्तंभ की बात की गई है। इसके अंतर्गत इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी अभूतपूर्व निर्णय लिया गया है, इसका देश को क्या लाभ मिलेगा?

निश्चित तौर पर आज अर्थव्यवस्था को निवेश की जरूरत है, माहौल तभी बनता है जब सरकार निवेश करती है। सरकार ने लगभग 35% का खर्च बढ़ा दिया है सड़कों में 1,18,000 करोड़ रुपए, रेलवे के लिए 1,10,000 करोड़ रुपए, पानी के जल जीवन मिशन के लिए 50,110 करोड़ रुपए, स्वास्थ्य के लिए 2,23,000 करोड़ रुपए वह भी 137% वृद्धि के साथ, मजदूरों के मनरेगा के लिए 73,000 करोड रुपए, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना में 65,000 करोड़ रुपए, ऑटोमोबाइल क्षेत्र को बल देने के लिए 20,000 बसें खरीदने का प्रावधान किया गया है, जिससे गरीब आदमी को अच्छी बसों में सफर करने का लाभ मिले, मेट्रो ट्रेन को दोगुना करने की बात की गई है। तो इन सबसे लोगों को सुविधाएं भी मिलेंगी, रोजगार भी मिलेगा और अर्थव्यवस्था में भी तेजी आएगी। तो निश्चित तौर पर यही एक तरीका है और दुनिया भर के अनुभव देखे जाएं तो यह देखा जाता है कि अगर 500 साल पहले भी कोई आपदा आती थी तब भी राजा-महाराजा खर्च किया करते थे ताकि जनता को पैसा मिले, जनता को रोजगार मिल सके। आज भी सरकार का यही दायित्व बनता है कि सरकार ज्यादा खर्च करें ताकि रोजगार उत्पन्न हो और सरकार को देखकर प्राइवेट सेक्टर में निवेश करें। और आज के समय देखा जाए दोनों को मिलाकर के, एफडीआई कोविड के दौरान भी बहुत आया। हमारी कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिससे लगभग 10 सेक्टर में रोजगार मिलेगा और निवेश भी आएगा। फिर जिस तरह से हमने मेगा टैक्सटाइल पार्क की बात की है तो उसमें भी रोजगार उत्पन्न होगा। तो सरकार का मुख्य लक्ष्य इसी बात पर है कि हम किन किन क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न कर सकते हैं। कहां बढ़ोतरी हो सकती है और भारत लीडर बन सकता है।

•• आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास के अंतर्गत किसानों मजदूरों और वंचित वर्ग के लिए अनेक योजनाएं बनाई गई हैं इसका क्रियान्वयन किस प्रकार से होगा?

सरकार वह हर कदम उठाएगी जो समावेशी विकास के लिए किसानों मजदूरों और वंचित वर्ग के लिए लाभदायक हो। इसके लिए अनेक योजनाएं बनाई गई हैं जिनका क्रियान्वयन लगभग हर मंत्रालय से होगा। एससी-एसटी के लिए हर मंत्रालय में लगभग 5% की वृद्धि की गई है, सभी मंत्रालयों को मिलाकर देखें तो यह काफी अधिक हो जाता है। सभी क्षेत्रों में युवाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने व्यापक योजनाएं बनाई हैं।

कोविड के दौरान समाज के हर वर्ग को कुछ ना कुछ लाभ दिया गया है जैसे वह होटल जो लघु उद्योग में आते हैं उनको 20% की अतिरिक्त सहायता दी गई। दिवालियापन की सीमा को एक लाख से बढ़ाकर एक करोड़ किया गया और देश में कोल्ड स्टोरेज की चैन स्थापित करने के लिए बजट में व्यवस्थाएं की गई हैं। आज तो हम पैसा लेकर खर्च करेंगे और ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाएंगे। यह ऐसा पारदर्शी बजट है जिसमें सभी के लिए कुछ ना कुछ किया गया है और भारत के भविष्य को भी इस बजट में देखा जा रहा है। वैश्विक महामारी में देश के रूप में भारत में कैपिटल एक्सपेंडिचर पर बहुत ध्यान दिया गया है इससे अधिक रोजगार पैदा होंगे।

•• प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इस बजट के माध्यम से ‘आत्मनिर्भर भारत’ का लक्ष्य कैसे प्राप्त होगा?

अगर आप अंतरराष्ट्रीय संगठनों को देखें तो आईएमएफ ने कहा कि भारत की विकास दर 11.5% रहेगी, आरबीआई ने कहा कि यह 10.5% से ज्यादा रहेगी। तो दुनिया के संगठनों ने भारत के विकास दर को डबल डिजिट में ही रखा है यह अपने आप में अच्छी बात है। क्योंकि हमने जो कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की घोषणाओं के बाद उठाया है चाहे वह पावर सेक्टर के लिए हो, कोल सेक्टर के लिए हो, कृषि की बात हो, रक्षा उत्पादन की बात हो, स्पेस सेक्टर की बात हो या खनन की बात हो तो इन सब से क्या लाभ मिला। 90 के दशक में इतना सुधार नहीं हुआ जितना आपदा के दौरान हुआ। मोदी जी ने आपदा में अवसर ढूंढने का काम देखा और भारतीय अर्थव्यवस्था को गति दी। इसीलिए पिछले 4 महीने में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का रहा है और जनवरी में तो यह लगभग 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये हुआ। इसीलिए दुनियाभर के देश कहते हैं कि भारत में V आकार में रिकवरी हुई है इसका मुख्य कारण यही था कि भारत ने कोविड पर जीत दर्ज की। अब तक जितना भी काम किया है अर्थव्यवस्था वापस खड़ा करने के लिए जो भी कदम उठाए हैं वह बड़े साहसिक थे जिसकी लोगों ने कल्पना भी नहीं की थी।

किसी भी अर्थव्यवस्था को बढ़ने में समय लगता है जैसे आपने देखा कि 11वीं अर्थव्यवस्था से छठी अर्थव्यवस्था बनने में भारत ने मात्र 5 वर्षों का समय लिया। इसी तरह से हमारे प्रयास जारी थे, लेकिन पूरा वर्ष इस वैश्विक आपदा के कारण खराब हो गया। किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस आने में समय लगता है, लेकिन हमने जो कदम उठाए उसके कारण तेजी से भरपाई होती देखी गई है। यह अच्छा बजट था इसीलिए शेयर बाजार में पहले दिन 2200 अंकों से ज्यादा बढ़ोतरी हुई और दूसरे दिन 1200 अंक से ज्यादा था और अब बाजार 50,000 अंक से ज्यादा पहुंच गया। यह सब अपने आप में दिखाता है कि किस तरह से अच्छे कदम उठाने पर माहौल भी ठीक होता है और निवेश भी बढ़ता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ने की दिशा में यह बजट एक मजबूत कदम होगा।