‘मोदी-मोदी’ अब यह सिर्फ भारत का स्वर नहीं, वैश्विक स्वर

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प्रभात झा

‘चाय गरम – चाय गरम’ कहते हुए रेलगाड़ी में लोगों को चाय पिलाने वाला अपना भविष्य नहीं, बल्कि भारत का भविष्य संभालेगा, यह कोई सोच नहीं सकता था। मां हीराबेन ने जन्म दिया, पिता दामोदरदास के सान्निध्य में उन्होंने कर्मशील जीवन आरंभ किया। पिता चाय बनाते थे और ये दौड़-दौड़ कर यात्रियों को चाय पिलाते थे। माता-पिता ने इस गरीबी में भी नरेन्द्र को रात-दिन संस्कारित करने का प्रयत्न जारी रखा। गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर में जन्मा वह नन्हा बालक गरीबी के हर थपेड़े सह रहा था।

वो चाय जरूर बेचता था, पर अपने स्वाभिमान को कभी बिकने नहीं दिया। गांव की माटी में पले नरेन्द्र भाई को जब यह समझ में आया कि एक मां ने तो जन्म दिया है, पर दूसरी मां तो भारत माता है, और उसकी सेवा करना भी बतौर भारतीय हमारा कर्तव्य है तो वे अपनी इस समझ को धीरे-धीरे बढ़ाते चले गए। वे बाल्यकाल से ही बड़े निडर थे। कुछ वर्षों बाद भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व के लिए काम करने वाली संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा पर नरेन्द्र भाई जाने लगे। परिवार का संस्कार और भारत माता के माटी का संस्कार बढ़ता गया और वे आगे बढ़ते गए। कुछ बड़े हुए तो उन्होंने अपनी समझ बढ़ाई। स्कूली शिक्षा समाप्त कर वे कुछ समय के लिए हिमालय की ओर बढ़ गए। मूल स्वभाव आध्यात्मिक ही रहा।बचपन से ही ललक थी कैसे मैं मां भारती की सेवा करूं। वे संघ के प्रचारक निकले। वे लोकसंग्रह का कार्य करते रहे। समाज में समरसता को मजबूत करने का काम करते रहे। सत्तर के दशक में जब देश पर आपातकाल थोपा गया तो उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए जबरदस्त संघर्ष किया।

बाद में उनका कार्यक्षेत्र राजनीति हो गया। एक समय आया कि वे गुजरात भाजपा के संगठन मंत्री बने। राजनीति को उन्हें करीब से देखने का मौक़ा मिला। धीरे-धीरे नरेन्द्र भाई घर से दूर और समाज के निकट पहुंचने लगे। संघ का कार्य और बाद में भाजपा का कार्य उनके जीवन का मुख्य हिस्सा बन गया। किसी भी विषय को जानना और समझना उनका स्वभाव रहा। उत्सुकता को उन्होंने कभी कम नहीं होने दिया। उसके बाद गुजरात की राजनीति से संगठन ने उन्हें केंद्र की राजनीति में लाने का निर्णय भी लिया। वे बतौर प्रचारक राष्ट्रीय मंत्री के नाते दिल्ली आ गए। वे अखंड प्रवास करते रहे। संगठन-कार्य को आगे बढ़ाते रहे। वे पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बने।

डॉ. जोशी द्वारा पूरे भारत में निकाली गई एकात्मता यात्रा के वे प्रभारी भी बने। उनका अखिल भारतीय स्वरूप धीरे-धीरे उभरता गया। जम्मू-कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा कभी फहराया नहीं जाता था, वहां जोशीजी के साथ उन्होंने तिरंगा फहराया। उनकी संगठन कुशलता, उनकी कार्यपद्धति, उनकी कार्य-योजकता और उनकी कार्यक्षमता सबको समझ में आ रही थी। राजनीति में नए प्रयोग करना और उन प्रयोगों के माध्यम से पार्टी का विस्तार करना उनकी मूल प्रकृति रही। अनेक राज्यों में प्रभारी के तौर पर सघन प्रवास कर पार्टी को सशक्त किया। इसी बीच गुजरात में भाजपा सरकार संक्रमण काल से गुजर रही थी। अटलजी प्रधानमंत्री थे। उन्होंने आडवाणीजी से चर्चा कर नरेन्द्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा।

नरेन्द्र भाई का बतौर मुख्यमंत्री शासन-प्रशासन, विकास का नजरिया लोगों ने देखना शुरू किया। वे शुरू से धुनी रहे हैं। वे जुट गए गुजरात के विकास पर। गुजरात के विकास के नए-नए आयाम उन्होंने तय किये। एक मुख्यमंत्री अपने राज्य को भारत के सभी राज्यों से आगे कैसे ले जा सकता है, इसका अनोखा और अनुपम उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किया। देश के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्रियों में उनके नाम की चर्चा शुरू होने लगी। इसी बीच गुजरात में गोधरा काण्ड हो गया। विरोधी बहुत हावी हुए। क्या-क्या नहीं किया। पर अटलजी के कथनानुसार नरेन्द्र मोदी ‘राजधर्म का पालन’ करते रहे। आंतरिक और बाहरी विरोधों के बावजूद वे सोने की तरह तपकर निकले और पुन: गुजरात में अपनी सरकार बनाकर अपनी साख को बढ़ाया। वे गुजरात के लोगों के मसीहा बन गए। उन्होंने गुजरात का इतना विकास किया कि धीरे-धीरे उनके विरोधी भी दम तोड़ते चले गए। उनकी सफलता ने न केवल गुजरात की बल्कि उनके स्वयं के कार्य करने की पद्धति निरंतर चर्चा में आती रही। केंद्र में यूपीए सरकार रही पर उन्होंने गुजरात में भाजपा सरकार को कभी केंद्र सरकार के आगे झुकने नहीं दिया। वे सभी बाधाओं को पार करते हुए अपने सभी सहयोगियों के साथ आगे बढ़ते गए, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी और वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर विरोधी दल के नेतागण झूठे आरोप लगाकर वार करते रहे, पर न नरेन्द्र मोदी झुके और न अमित शाह।

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने। एक अभिनव नायक के रूप में वो देश के सामने उभरकर आये। विपक्ष धराशायी हुआ। भाई नरेन्द्र मोदी ने भारत के विकास की एक नई गाथा लिखनी शुरू की। लालकिले की प्राचीर से दिया गया उनका पहला भाषण जहां ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ को पुष्ट करने वाला रहा, वहीं एकात्म मानववाद और अन्त्योदय के सपने को भी साकार करता हुआ दिखाई पड़ा। लाल किले से वे वैसे नहीं बोले जैसे पूर्व के प्रधानमंत्री बोलते थे। उन्होंने भारत के आम आदमी की नब्ज टटोली। भारत के गांव और कृषि को आधार बनाया। भारत में नारकीय जीवन जी रहे लोगों के जीवन में नया सवेरा लाने का प्रयास किया। उसी में से निकली शौचालय योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छता अभियान, जन धन योजना, आयुष्मान योजना, मुद्रा योजना, अटल पेंशन योजना, जीवन ज्योति योजना, 60 से अधिक उम्र के किसान और व्यवसायी परिवार को पेंशन, किसान सम्मान निधि योजना, न्यूनतम समर्थन मूल्य को फसल की लागत से डेढ़ गुना करने के साथ-साथ नोटबंदी और जीएसटी, एक साथ 104 उपग्रह छोड़ने, मंगलयान, चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 जैसे अकल्पनीय, अद्भुत, अविस्मरणीय निर्णय लेकर उन्होंने इतिहास रच दिया।

भारत माता के सच्चे सपूत नरेन्द्र मोदी ने बिना युद्ध किये पकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से दिया। जब उरी की घटना हुई तब सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान के भीतर जाकर आतंकियों को मार कर भारत का मस्तक ऊंचा किया। पुलवामा की घटना जब घटी तब एयर स्ट्राइक कर भारत ने विश्व में अपनी धाक जमाई। यह अदम्य साहस दिखाकर जो काम नरेन्द्र मोदी ने किया, उसकी सराहना हर भारतीय ने की। वहीं विश्व में सभी राष्ट्र भारत के साथ खड़े हुए।

विश्व के रंगमंच पर अगर नजर दौड़ाएं तो अपने साढ़े पांच साल के कार्यकाल में नरेन्द्र मोदी ने विश्व के अनेक राष्ट्रों का दौरा कर उन राष्ट्रों के मन को जीतने का भरसक प्रयत्न किया। आज स्थिति यह है कि चाहे जी-20 की बैठक हो, ब्रिक्स की बैठक हो, बिम्सटेक की बैठक हो, ईस्टर्न इकॉनमी फोरम की बैठक हो या फिर यूएन की बैठक हो, विश्व नरेन्द्र मोदी का इंतजार करता है और उनके मंच पर आते ही सैंकड़ों राष्ट्र रोमांचित हो जाते हैं। सात से अधिक मुस्लिम राष्ट्रों ने अब तक अपने सर्वोच्च सम्मान से नरेन्द्र मोदी को नवाजा है। दो-तीन मुस्लिम राष्ट्र ने तो मंदिर बनाना शुरू भी कर दिया है। अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे विकसित राष्ट्रों ने भी अपने देश का सम्मान नरेन्द्र मोदी के नाम किया है।

21 जून को योग दिवस आज विश्व भर में नरेन्द्र मोदी के प्रयत्न से मनाया जाता है। नरेन्द्र भाई ने सभी राष्ट्राध्यक्षों को गीता प्रदान कर उन्हें “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” का संदेश देने की कोशिश की। चाहे भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात हो, विश्व में सबसे तेज गति से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था बनाने की बात हो, व्यापार सुगमता की रैंकिंग में सुधार की बात हो या फिर विश्व को जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों से बचाने की बात हो या फिर विश्व को आतंकवाद और गरीबी से मुक्त करने की बात हो, कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है जिसमें भारत का मस्तक ऊंचा करने के लिए नरेन्द्र भाई ने कसर छोड़ी हो।

कल तक भारत के लोग यह कहा करते थे कि अमेरिका, चीन, रूस, जापान, जर्मनी, फ्रांस की कतार में भारत कब खड़ा होगा। आज भारत के नरेन्द्र मोदी ने हमारे देश को उस कतार में खड़ा कर दिया है। विश्व में लोग अब यह चर्चा नहीं करते कि ट्रम्प, पुतिन दमदार हैं, बल्कि आज विश्व में यह कहते हैं कि किसी भी राष्ट्र का राष्ट्राध्यक्ष या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा होना चाहिए। आज यह वैश्विक चर्चा का विषय बना हुआ है।

नरेन्द्र मोदीजी ने एक दिन का भी विराम नहीं किया। अनवरत चलते रहना दीनदयालजी के आदर्श ‘चरैवेति चरैवेति’ को उन्होंने जिंदगी का पर्याय बना लिया। जिस भाजपा को कांग्रेस सहित कुछ अन्य राजनीतिक दल सदैव सांप्रदायिक कहते रहे, नरेन्द्र मोदी पर खासकर यह लेबल चिपकाते रहे, वही नरेन्द्र मोदी करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए मसीहा बनकर उभरे। तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी से हटा दिया। इस अमानवीय तीन तलाक को ख़त्म कर मुस्लिम महिलाओं के बीच मानवता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। इससे विश्व के अन्य मुस्लिम देशों में भी इस बात का तिलिस्म टूट गया कि भाजपा एक सांप्रदायिक पार्टी है।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की भूल जो शूल बनकर भारत माता के जीवन में चुभ रही थी उस धारा 370 को निरस्त कर दिया। ऐसा करके उन्होंने ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे’ का उद्घोष करनेवाले जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी, जिनकी जम्मू-कश्मीर में रहस्यमयी मौत हो गई, के सपने को साकार किया। संविधान में एक अस्थायी धारा 370 को 70 साल बाद हटाकर 130 करोड़ भारतवासियों का न केवल मन जीता, बल्कि विश्व में यह संदेश दिया कि राष्ट्रहित में निर्णय लेने वाली मोदी सरकार दमदार सरकार है।

आजादी के बाद से सदैव आंख दिखाने वाला पकिस्तान, जो चार बार युद्ध में चित हो चुका है, वह अपने ही कर्मों से अपनी ही धरती पर आज अंतिम सांसें ले रहा है। विश्व में पाकिस्तान को अलग-थलग करने में किसी को श्रेय जाता है तो उसका नाम है भारत का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।

भाजपा ने पिछली बार भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाया था। इस बार भी उनके जन्मदिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाया गया है। वे अब सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की संपत्ति नहीं हैं। अब भारत की संपत्ति बन गए हैं। उनके रख-रखाव की चिंता देश के 130 करोड़ लोगों ने शुरू कर दी है।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य हैं)