हमारी सामूहिक ताकत कोरोना वायरस को हराएगी : नरेन्द्र मोदी

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भारत ने अपनी टीकाकरण मुहिम में ‘अभूतपूर्व सफलता’ हासिल की है, लेकिन वायरस के नए स्वरूप के कारण सतर्क रहने की आवश्यकता है। साथ ही, कोरोना वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत सतर्कता और अनुशासन देश की बड़ी ताकत है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 26 दिसंबर को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 84वीं कड़ी में कहा कि भारत ने अपनी टीकाकरण मुहिम में ‘अभूतपूर्व सफलता’ हासिल की है, लेकिन वायरस के नए स्वरूप के कारण सतर्क रहने की आवश्यकता है। श्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारे वैज्ञानिक इस नए ओमीक्रोन स्वरूप पर लगातार नजर रख रहे हैं। उन्हें हर रोज नए आंकड़े मिल रहे हैं और उनके सुझावों के आधार पर कदम उठाए जा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत सतर्कता और अनुशासन देश की बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सामूहिक ताकत कोरोना वायरस को हराएगी। हमें जिम्मेदारी की इस भावना के साथ 2022 में प्रवेश करना है।’’

श्री मोदी ने ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का भी जिक्र किया, जिन्होंने तमिलनाडु के कुन्नूर के निकट हुए हेलीकॉप्टर हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद पिछले सप्ताह बेंगलुरु के एक सैन्य अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इस हादसे में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के 11 कर्मियों की मौत हो गई थी। आठ दिसंबर को हुए इस हादसे में केवल ग्रुप कैप्टन सिंह ही जीवित बचे थे।

प्रधानमंत्री ने ग्रुप कैप्टन सिंह को शौर्य चक्र से सम्मानित किए जाने के कुछ सप्ताह बाद उनके द्वारा अपने स्कूल को लिखे प्रेरणादायी पत्र का भी जिक्र दिया।

श्री मोदी ने ‘मन की बात’ में यह भी कहा कि किताबें सिर्फ ज्ञान ही नहीं देतीं, बल्कि व्यक्तित्व भी संवारती हैं, जीवन को भी गढ़ती हैं। किताबें पढ़ने का शौक एक अद्भुत संतोष देता है। आजकल मैं देखता हूं कि लोग ये बहुत गर्व से बताते हैं कि इस साल मैंने इतनी किताबें पढ़ीं। अब आगे मुझे ये किताबें और पढ़नी हैं। ये एक अच्छा ट्रेंड है, जिसे और बढ़ाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हर नई शुरुआत अपने सामर्थ्य को पहचानने का भी एक अवसर लाती है। जिन लक्ष्यों की पहले हम कल्पना भी नहीं करते थे। आज देश उनके लिए प्रयास कर रहा है। हमारे यहां कहा गया है–
क्षणश: कणशश्चैव, विद्याम् अर्थं च साधयेत्।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या, कणे नष्टे कुतो धनम्।।

यानी, जब हमें विद्या अर्जित करनी हो, कुछ नया सीखना हो, करना हो, तो हमें हर एक क्षण का इस्तेमाल करना चाहिए और जब हमें, धन अर्जन करना हो, यानी उन्नति-प्रगति करनी हो तो हर एक कण का, यानी हर संसाधन का, समुचित इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि, क्षण के नष्ट होने से, विद्या और ज्ञान चला जाता है और कण के नष्ट होने से धन और प्रगति के रास्ते बंद हो जाते हैं।

श्री मोदी ने कहा कि ये बात हम सब देशवासियों के लिए प्रेरणा है। हमें कितना कुछ सीखना है, नए-नए इन्नोवेशंस करने हैं, नए-नए लक्ष्य हासिल करने हैं। इसलिए, हमें एक क्षण गंवाए बिना लगना होगा। हमें देश को विकास की नयी ऊंचाई पर लेकर जाना है, इसलिए हमें अपने हर संसाधन का पूरा इस्तेमाल करना होगा। ये एक तरह से ‘आत्मनिर्भर भारत’ का भी मंत्र है, क्योंकि हम जब अपने संसाधनों का सही इस्तेमाल करेंगे, उन्हें व्यर्थ नहीं होने देंगे, तभी तो हम लोकल की ताकत पहचानेंगे, तभी तो देश आत्मनिर्भर होगा। इसलिए आइए हम अपना संकल्प दोहरायें कि बड़ा सोचेंगें, बड़े सपने देखेंगे और उन्हें पूरा करने के लिए जी-जान लगा देंगे और हमारे सपने केवल हम तक ही सीमित नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे सपने ऐसे होंगे जिनसे हमारे समाज और देश का विकास जुड़ा हो, हमारी प्रगति से देश की प्रगति के रास्ते खुलें और इसके लिए हमें आज ही लगना होगा, बिना एक क्षण गवांए, बिना एक कण गवांये।

श्री मोदी ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि इसी संकल्प के साथ आने वाले साल में देश आगे बढ़ेगा और 2022 एक नए भारत के निर्माण का स्वर्णिम पृष्ठ बनेगा।