स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने के बाद से देशभर में 9.5 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण

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र्थिक समीक्षा 2018-19 के अनुसार अक्टूबर, 2014 से देशभर में 9.5 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया और 5,64,658 गांवों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है। 14 जून, 2019 तक 30 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 100 प्रतिशत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) कवरेज उपलब्ध कराई जा चुकी है। स्वच्छ भारत मिशन ने स्वास्थ्य निष्कर्षों में महत्वपूर्ण सुधार किया है।

शिशु मृत्यु दर में कमी

स्वच्छ भारत मिशन ने पांच साल से छोटे बच्चों में अतिसार और मलेरिया जैसे रोगों, मृत जन्म लेने वाले शिशुओं और कम वजन वाले शिशु का जन्म (2.5 किलोग्राम से कम वजन वाला नवजात शिशु) जैसे मामलों में कमी लाने में मदद की है। ये प्रभाव खासतौर पर उन जिलों में देखा गया, जहां 2015 में आईएचएचएल कवरेज कम थी।

स्वच्छ भारत मिशन दुनिया के विशालतम स्वच्छता अभियानों में से एक है और इसकी बदौलत जबरदस्त बदलाव और उल्लेखनीय स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुए है। इस मिशन के अंतर्गत केवल शौचालयों के निर्माण पर ही नहीं, बल्कि समुदायों में व्यवहारिक बदलाव को प्रभावित करने पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया।

2014 से लेकर 2018 तक निर्माण किये गये घरेलू शौचालयों की कुल संख्या में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से प्रगति देखी गई है। शुरुआत में प्रतिवर्ष 50 लाख घरेलू शौचालयों से बढ़कर यह आंकड़ा अब 3 करोड़ शौचालय प्रति वर्ष हो चुका है।

स्वच्छ भारत मिशन में गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराने (ओडीएफ) पर मुख्य रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है। 29 मई, 2019 को 5,61,014 गांवों (93.41 प्रतिशत), 2,48,847 ग्राम पंचायतों (96.20 प्रतिशत) – 6,091 ब्लॉक (88.60 प्रतिशत) और 618 जिलों (88.41 प्रतिशत) को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘स्वच्छ भारत मिशन जबरदस्त बदलाव लाने और कुल मिलाकर समाज को उल्लेखनीय लाभ प्रदान करने में समर्थ रहा है। दुनिया में चलाये गये विशालतम स्वच्छता अभियानों में से एक है। अनेक राज्य 100 प्रतिशत ओडीएफ और आईएचएचएल कवरेज का दर्जा प्राप्त कर चुके है और इस प्रकार लोगों विशेषकर महिलाओं की गरिमा में व्यापक बदलाव आया है।

इस मिशन ने स्कूलों, सड़कों और पार्कों जैसे सार्वजनिक स्थानों में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय बनवाने के जरिये महिला-पुरूष में भेदभाव को दूर करने के वाहक का कार्य किया है। स्कूलों में दाखिला लेने वाली लड़कियों की संख्या में वृद्धि और स्वास्थ्य संबंधी मानकों में सुधार लाने के जरिये इस जनांदोलन का समाज पर परोक्ष रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’