देश के कोने-कोने में दिख रही है ‘डिजिटल इंडिया’ की ताकत : नरेन्द्र मोदी

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भारत का ई-संजीवनी ऐप्प हो या फिर यूपीआई, ये ‘ईज ऑफ़ लिविंग’ को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हुए हैं

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 26 फरवरी को ‘मन की बात’ की 98वीं कड़ी में देश में डिजिटल इंडिया की बढ़ती पहुंच, ऐप्प ‘ई-संजीवनी’, यूपीआई, देश की अनेक महान परंपराओं के पुनर्जीवित करने हेतु चल रहे प्रयासों समेत कई विषयों पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि तेजी से आगे बढ़ते हमारे देश में डिजिटल इंडिया की ताकत कोने-कोने में दिख रही है। डिजिटल इंडिया की शक्ति को घर-घर पहुंचाने में अलग-अलग ऐप्स की बड़ी भूमिका होती है। ऐसा ही एक ऐप्प है ई-संजीवनी। इस ऐप्प से टेली-कंसल्टेशन यानी दूर बैठे वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से डॉक्टर से अपनी बीमारी के बारे में सलाह कर सकते हैं। इस ऐप्प का उपयोग करके अब तक टेली-कंसल्टेशन करने वालों की संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है।

श्री मोदी ने कहा कि वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से 10 करोड़ कंसल्टेशंस! मरीज और डॉक्टर के साथ अद्भुत नाता; ये बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने तकनीक को कैसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया है, ये इसका जीता-जागता उदाहरण है। हमने देखा है कि कोरोना के काल में ई-संजीवनी ऐप्प के जरिए टेली-कंसल्टेशन लोगों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हुआ है।

दुनिया के कई देशों में यूपीआई का आकर्षण

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत के यूपीआई की ताकत भी आप जानते ही हैं। दुनिया के कितने ही देश इसकी तरफ आकर्षित हैं। कुछ दिन पहले ही भारत और सिंगापुर के बीच ‘यूपीआई पे नाउ’ लिंक लॉन्च किया गया। अब सिंगापुर और भारत के लोग अपने मोबाइल फ़ोन से उसी तरह पैसे ट्रान्सफर कर रहे हैं, जैसे वे अपने-अपने देश के अन्दर करते हैं। मुझे खुशी है कि लोगों ने इसका लाभ उठाना शुरू कर दिया है। भारत का ई-संजीवनी ऐप्प हो या फिर यूपीआई, ये ईज ऑफ़ लिविंग को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हुए हैं।

श्री मोदी ने कहा कि जब हमने ‘मन की बात’ में भारत के पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन की बात की थी, तुरंत उस समय देश में एक लहर सी उठ गई भारतीय खेलों के जुड़ने की, इनमें रमने की, इन्हें सीखने की। ‘मन की बात’ में जब भारतीय खिलौनों की बात हुई, तो देश के लोगों ने इसे भी हाथों-हाथ बढ़ावा दे दिया। अब तो भारतीय खिलौनों का इतना क्रेज हो गया है कि विदेशों में भी इनकी डिमांड बहुत बढ़ रही है।

अनेक महान परंपराएं हो रही हैं पुनर्जीवित

‘मन की बात’ के दौरान उन्होंने कहा कि हमारे देश में ऐसी अनेक महान परम्पराएं भी हैं, जो लुप्त हो चुकी थी, लोगों के मन-मस्तिष्क से हट चुकी थी, लेकिन अब इन्हें जनभागीदारी की शक्ति से पुनर्जीवित करने का प्रयास हो रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में त्रिबेनी को सदियों से एक पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है। इसका उल्लेख विभिन्न मंगलकाव्य, वैष्णव साहित्य, शाक्त साहित्य और अन्य बंगाली साहित्यिक कृतियों में भी मिलता है। विभिन्न ऐतिहासिक दस्तावेजों से यह पता चलता है कि कभी ये क्षेत्र संस्कृत, शिक्षा और भारतीय संस्कृति का केंद्र था। कई संत इसे माघ संक्रांति में कुंभ स्नान के लिए पवित्र स्थान मानते हैं। त्रिबेनी में आपको कई गंगा घाट, शिव मंदिर और टेराकोटा वास्तुकला से सजी प्राचीन इमारतें देखने को मिल जाएंगी।

उन्होंने कहा कि त्रिबेनी की विरासत को पुनर्स्थापित करने और कुंभ परंपरा के गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए यहां पिछले साल कुंभ मेले का आयोजन किया गया था। सात सदियों बाद तीन दिन के कुंभ महास्नान और मेले ने इस क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। तीन दिनों तक हर रोज होने वाली गंगा आरती, रुद्राभिषेक और यज्ञ में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस बार हुए महोत्सव में विभिन्न आश्रम, मठ और अखाड़े भी शामिल थे।

श्री मोदी ने कहा कि हमारे युवाओं को देश के सुनहरे अतीत से जोड़ने का यह एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है। भारत में ऐसी कई और परम्पराएं हैं, जिन्हें पुनर्जीवित करने की जरुरत है।