तिरंगा पूरे देश का स्वाभिमान है

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ब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, ‘हर घर तिरंगा अभियान’ से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के लिए जन-जन की प्रतिबद्धता पुनः सुदृढ़ हो रही है, घर-घर तिरंगा लगाकर राष्ट्रध्वज को अपने हाथों में उठाए करोड़ों लोग जब सड़कों पर आजादी के 75 साल होने पर जश्न मना रहे हैं, हर कोई ‘नए भारत’ के निर्माण के लिए नए आत्मविश्वास, उत्साह एवं संकल्प से ओत-प्रोत दिख रहा है। यह समय है हमारे पुरखों के बलिदानों को पुनः स्मरण करने का, जिन्होंने भारत वर्ष के गौरव को पुनर्प्रतिष्ठित करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। यह समय है जब पूरा देश अपने नायकों के संघर्षों से पुनः प्रेरित होकर उनके स्वप्नों को साकार करने का संकल्प ले रहा है। यह समय है जब देश सदियों के संघर्षों पर पुनः गौरवान्वित हो भारतवर्ष के तपस्वियों एवं द्रष्टाओं के द्वारा आलोकित नियति को साकार करने को कृतसंकल्पित हो रहा है। यह वह समय भी है जब पीछे मुड़कर अपनी यात्रा का अवलोकन करके विपरीत परिस्थितियों में प्राप्त उपलब्धियों से देश प्रेरणा ले रहा है। इस समय अपनी असफलताओं को भी समझ, उन असफलताओं को सफलताओं में बदलने के दृढ़ संकल्प की गाथा का भी स्मरण जन-जन कर रहा है। यह समय है पुनः संकल्प लेने का, पुनः समर्पित होने का और पुनः उत्सव मनाने का।

आज पूरा राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। विदेशी शासन से मुक्ति के लिए चुकाए गए भारी कीमत को देश कभी नहीं भूल सकता। एक ओर जहां देश को आजादी मिली, दूसरी ओर मुस्लिम लीग की घोर सांप्रदायिक एवं पृथकतावादी राजनीति के कारण देश का विभाजन हुआ। इसका परिणाम अत्यंत पीड़ादायी था तथा लाखों लोगों को विभाजन का मूल्य अपने प्राण गंवाकर चुकाना पड़ा था। करोड़ों लोगों को अपने पूर्वजों के जमीन से उजाड़कर दूरदराज के स्थानों में पलायन करना पड़ा था। विभाजन के दौरान करोड़ों महिला, बच्चे एवं बुजुर्गों को भयानक त्रासदी, हिंसा, पीड़ा एवं मानसिक वेदना से गुजरना पड़ा। यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी विभीषिका थी और यह राष्ट्र की सामूहिक स्मृति में एक दुःस्वप्न के रूप में अंकित है। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हर वर्ष 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाने का आह्वान किया था। यह केवल उन लाखों-करोड़ों लोगों के कई पीढ़ियों तक जारी असहनीय पीड़ा, भयंकर वेदना एवं भयावह त्रासदी को स्मरण करने के लिए नहीं, बल्कि विभाजन के दुःखमयी इतिहास से सीख लेने के लिए भी है। देश को हमेशा विभाजन की विभीषिका को याद रखना चाहिए तथा आनेवाली पीढ़ियों को घोर सांप्रदायिक, विभाजनकारी एवं पृथकवादी राजनीति के दुष्परिणामों से अवगत कराना चाहिए।

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ एक ऐसा अवसर है जब सारा देश उत्सव मना रहा है, परंतु यह समय उत्सव मनाने के साथ-साथ देश की आनेवाली यात्रा एवं उसमें सबके दायित्व का भी स्मरण करा रहा है। यह अवसर है जब एक सशक्त, समृद्ध एवं समर्थ राष्ट्र के निर्माण के संकल्प को सुदृढ़ कर ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ एवं ‘विश्व-कल्याण’ के मंत्र को जन-जन आत्मसात करे। जैसाकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक ‘नया भारत’ बनाने के लिए ‘अमृतकाल’ में राष्ट्र के लिए पूरी तरह से समर्पित होने का आह्वान किया है, हर नागरिक के ऊपर देश की पूरी संभावनाओं को साकार करने का दायित्व है। आज जब पूरा राष्ट्र स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों का स्मरण कर रहा है तथा पिछले 75 वर्षों की उपलब्धियों पर गौरवान्वित है, देश को ‘अमृतकाल’ में उत्कर्ष की ओर ले जाने का दायित्व हर भारतीय पर है। ‘हर घर तिरंगा अभियान’ निश्चय ही देश भर के उसी उत्साह एवं उमंग की पुनरावृत्ति करेगा, जिससे हमारे स्वतंत्रता आंदोलन ने ऊर्जा प्राप्त की थी। इससे ‘अमृतकाल’ के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सफलता मिलेगी। तिरंगा पूरे देश का स्वाभिमान है। यह हर भारतीय को एकजुट होकर ‘मां भारती’ के चरणों में अर्पित होने के लिए प्रेरित करता है। आइए, हम अपने राष्ट्रध्वज को हर क्षेत्र के शिखर पर फहराएं!

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