‘बोफोर्स नहीं राफेल है’खोजी पत्रकरिता पर आधारित पुस्तक


Posted in:
24 Apr, 2019
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24 Apr, 2019

पत्रकार जीतेन्द्र चतुर्वेदी की खोजी पत्रकारिता पर आधारित  एक नई पुस्तक ‘बोफोर्स नहीं राफेल है’ आई है. के. एल. पचौरी प्रकाशन ने इसे प्रकशित किया है. राफेल को लेकर विपक्ष द्वरा फैलाए जा  रहे झूठ का पर्दाफास किया  है. यह पुस्तक ने खुलासा किया है कि राफेल में 70 साझीरदार हैं और सबसे बड़ा साझीरदार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ ) है जो एक सरकारी एजेंसी है,रिलायंस नहीं है. एच. ए. एल भी एक साझेदार है.और रिलायंस मनमोहन सिंह की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(यूपीए) के समय ही शामिल किया गया था. अभी का जो राफेल है वह यूपीए के समय के राफेल से कम कीमत ज्यादा उन्नत किस्म का है. लेखक ने एन राम पर आरोप लगाया है कि बतौर पत्रकार एन राम झूठ बोल रहे है. यूपीए की तुलना में राफेल को महंगा बता रहे हैं.  एन राम ने तथ्यों को छुपाया हैं.सौदा रक्षा खरीद नीति 2013 के अनुच्छेद 71 के तहत हुआ है.इस पर कोई बात नहीं कर रहा है. एन राम इसे छुपा रहे हैं.इसे खबर देना नहीं जबरदस्ती गढ़ना होता है. पुस्तक का एक अध्याय रक्षा दलालों और कांग्रेस के साथ उनके सम्बन्ध पर है. किताब ने यह भी उजागर किया है हथियार के डीलर सुधीर चौधरी कमल नाथ के रिश्तेदार है और बिपिन खन्ना कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नातेदार है. इसके भूमिका में ही लेखक ने स्पष्ट किया है कि यह किताब राहुल गांधी की राफेल उड़ान का कच्चा चिठ्ठा है। इसी बात को राहुल गांधी ने भरी अदालत में स्वीकार किया है। वह सर्वोच्च अदालत है जहां उन्होंने माना कि वे जो कह रहे थे, वह चुनावी स्टंट था। मतलब समझिए चुनाव के लिए कुछ भी किया जा सकता है। राफेल को लेकर भ्रम फैलाना उसी चुनावी रणनीति का हिस्सा है।