लॉकडाउन और किसान


Posted in:
15 Apr, 2020
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15 Apr, 2020
आज पूरा देश कोरोना वायरस के संकट से गुजर रहा है. जब से लॉकडाउन हुआ है तब से हर प्रकार की गतिविधियों पर प्रभाव पड़ा है. कृषि के क्षेत्र में देश के  आधा से ज्यादा लोग काम करते हैं. कृषि का क्षेत्र देश की रीढ़ है. कृषि का हमेशा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की प्राथमिकता रही है. कोरोना से लड़ाई के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन जैसी आपात स्थिति में भी खेती को उसके दायरे से बाहर रखा गया है. शुरुआत में सरकार ने कृषि क्षेत्र को कुछ विशेष कारणों से लॉकडाउन के अंदर ही रखा था. बहरहाल जैसे ही किसानों की परेशानी और समस्याओं की खबर सरकार को हुई, सभी जरूरी कदम तत्काल उठाये गये. जिसके बाद गृह मंत्रालय की ओर से एक एडवाइजरी जारी कर कृषि क्षेत्र में सभी कामकाज जारी रखने के लिये सरकार ने रियायतों का ऐलान किया.अप्रैल का महीना रबी फसलों की कटाई का समय होता है, लिहाजा कृषि क्षेत्र को लॉकडाउन में रियायत दी गई है. देश के कई इलाकों में गेहूं और बाकी रबी फसलों की कटाई का काम शुरू हो चुका है. प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन के दौरान कटाई और उसके बाद फसलों की बिक्री में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने का निर्देश दिया है.केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लॉकडाउन के दौरान कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों को दी गई रियायतें सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. तोमर ने वीडियो देश के कृषि मंत्रियों के साथ हुई बैठक में कोरोना महामारी के चलते सभी उपस्थित मंत्रियों एवं अधिकारीयों को “आरोग्य सेतु एप” डाउनलोड करने और औरों को भी  डाउनलोड करने हेतु प्रेरित करने का आग्रह किया, ताकि इस महामारी से निपटने में सहायता मिल सके. कृषि से जुड़ी गतिविधियों को मिलने वाली छूट के बारे में एक कंट्रोल रूम बनाने का फैसला सरकार ने किया है.जिसका काम मुख्य तौर पर इन रियायतों को अमल में लाना है ताकि खेती के काम में कोई बाधा नहीं पहुंचे. केंद्र सरकार ने अधिकारियों को ये भी निर्देश दिया है कि किसानों और कृषि क्षेत्र को मिली इन रियायतों के बारे में सभी सम्बन्धित एजेंसियों को भी संवेदनशील बनाया जाए. कृषि क्षेत्र को दी गई छूटों में खेतों में बुवाई और कटाई जैसे काम, खेती के उत्पादों की खरीद/बिक्री में लगी एजेंसियां, कृषि बाजार समितियों द्वारा संचालित मंडियां, कटाई और बुवाई में काम आने वाले उपकरण और उनके स्पेयर पार्ट्स को बेचने वाली दुकानें शामिल हैं. इतना ही नहीं बीज, कीटनाशक और फर्टिलाइजर के उत्पादन और पैकेजिंग को भी लॉकडाउन से छूट दी गई है. किसानों और कृषि मज़दूरों को खेतों में काम करने की भी छूट मिली है. इसके अलावा, कृषि उपज बाजार समिति द्वारा संचालित मंडियों या राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित (मंडियों) को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी. दिशानिर्देश राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकार या उद्योग द्वारा सीधे किसानों / किसानों के समूह से सीधे बेचने की अनुमति देता है. राज्य / केंद्रशासित प्रदेश ग्रामीण स्तर पर विकेन्द्रीकृत विपणन और खरीद को बढ़ावा दे सकते हैं.लॉकडाउन के दौरान कृषि कार्य प्रभावित न हो एवं किसानों को असुविधा का सामना न करना पड़े, इसके लिए सरकार लगातार निगरानी रखे हुए है. कृषि उपज का परिवहन एवं निर्यात निर्बाध रूप से होता रहे, इसके लिए भी सरकार ने किसानों के हित में कई निर्णय भी लिए हैं. सरकार ने किसानों से अपील की है कि कृषि कार्य करते समय सामाजिक दूरी का ध्यान रखें एवं सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को पालन करें.कोविड-19 के कारण किए गए लॉकडाउन के दौरान पशु चिकित्सा अस्पतालों को भी कृषि और संबद्ध गतिविधियों के तहत छूट दी गयी है. इसके अलावा कम्बाइन हार्वेस्टर और कृषि/बागवानी उपकरणों की कटाई और बुवाई से संबंधित मशीनों की अंतर-राज्य आवाजाही की भी अनुमति सरकार ने दी है.बीज उत्पादक किसानों को अपने बीजों को लेकर बीज कंपनियों तक ढुलाई करने की इजाजत दी गई है, बशर्ते कि उन किसानों के पास संबंधित दस्तावेज हों तथा भुगतान के वक्त वे समुचित सावधानी बरतें. बीज प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग संयंत्रों द्वारा बीजों का आवागमन बीज उत्पादक प्रांतों से फसल उत्पादक प्रांतों तक आवश्यक है. जिससे गुणवत्‍ता युक्त बीजों की उपलब्धता आगामी खरीफ सीजन के लिए सुनिश्चित किया जा सके. उदाहरण के लिए अप्रैल के महीने में उत्तर भारत में हरे चारे की खेती हेतु बीज की आपूर्ति दक्षिण भारत के प्रांतों द्वारा की जाती है. उर्वरकों, कीट नाशकों और बीजों के उत्पादन और पैकेजिंग यूनिट्स को छूट मिली है. कृषि मशीनरी की दुकानें, इसके स्पेयर पार्ट्स (आपूर्ति श्रृंखला सहित) और मरम्मत खुली रहेगी. उर्वरकों, कीटनाशकों और बीजों के विनिर्माण, वितरण और खुदरा क्षेत्र को भी खुले रहने की अनुमति दी गई है.प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत लॉकडाउन अवधि के दौरान लगभग 7.92 करोड़ किसान परिवारों को अब तक 15,841 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है. जिससे अन्नदाता को किसी आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. मोदी सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान भी किसान कॉल सेंटर्स का संचालन किया जा रहा है. देश के सभी 21 किसान कॉल सेंटर्स सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कार्यरत रहते हैं. लॉकडाउन के दौरान भी मोदी सरकार ने फसल नुकसान के दावों का भुगतान सुनिश्चित किया है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अब तक 10 राज्यों में कुल 1,008 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है.कोविड-19 के चलते मूल्य समर्थन योजना के तहत सरकार ने सरसों की खरीद शुरु करने की तिथि 31 मार्च 2020 से बढ़ाकर 30 अप्रैल तक कर दिया. लॉकडाउन के दौरान एमएसपी के तहत चने और मसूर की खरीद हेतु सरकार ने अहम फैसला लिया है. राज्यों से प्रस्ताव की प्रतीक्षा किए बिना सरकार ने 13 राज्यों को मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीद की मंजूरी दी है. इन राज्यों के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत तक खरीदा जा सकता है. 1.75 लाख मीट्रिक टन चना और 0.87 लाख मीट्रिक टन मसूर की एमएसपी पर खरीद के लिये केंद्र सरकार ने 1250 करोड़ रुपये जारी कर दिया है. ये 13 राज्य असम, बिहार, छत्तीसगढ़,हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल,उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब, तमिलनाडु, और उत्तराखंड हैं.किसानों द्वारा लिए गये उन सभी अल्पकालीन कृषि ऋणों को जिनकी बकाया देय तिथि 1 मार्च 2020 से 31 मई 2020 के बीच थी, की पुनर्भुगतान तिथि को सरकार ने बढ़ाकर 31 मई 2020 तक कर दिया है. इस निर्णय के बाद अब  किसान अपने कृषि ऋणों का भुगतान 31 मई 2020 तक कर सकेंगे. इस पर उन्हें बिना किसी दंडात्मक ब्याज के मात्र 4% वार्षिक की दर से ब्याज का भुगतान करना है.कोविड-19 के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच किसानों एवं कृषि व्यापारियों के लिए सरकार ने तीन सॉफ्टवेयर मॉड्यूल की शुरुआत की है. वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल ई-नाम के माध्यम से चुनिंदा पंजीकृत गोदामों से अपने संग्रहीत कृषि उपज को बेचने की सुविधा उपलब्ध कराता है. एफपीओ के ट्रेडिंग मॉड्यूल के अंतर्गत एफपीओ अपने उत्पादों को कृषि उत्पाद बाज़ार में लाए बिना ही सीधे अपने संग्रह केंद्रों से व्यापार कर सकते हैं. लॉजिस्टिक मॉड्यूल ट्रेडर को अपनी उपज को राज्यों के भीतर और बाहर ले जाने के लिए परिवहन सुविधाओं का विकल्प उपलब्ध करवाएगा. सरकार के इस मॉड्यूल से पौने चार लाख ट्रक जुड़े रहेंगे. ये सुविधायें कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे किसानों को अपने खेतों के पास ही बेहतर कीमतों पर अपनी उपज बेचने में भी मदद मिलेगी.                           
 (लेखक भारतीय जनता किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.)