प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना कोरोना महामारी में गरीबी को रोकने में कामयाब रही

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28 Dec, 2023

साल 2020 को याद करिए……कोरोना वायरस बुरी तरीके से फैल रहा था, तब सरकार ने लॉकडाउन लगाने का निर्णय किया। निर्णय हुआ…..जो जहां था, वहीं रुक गया। सभी तरह के काम-धंधे पर ब्रेक लग गया। जब सारे काम-धंधे बंद हुए, तब रोज कमा कर खाने वालों के सामने भूख का संकट खड़ा हो गया। उन गरीब परिवारों को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी भूख मिटाने के लिए अनाज की व्यवस्था कहां से करें। तत्काल मोदी सरकार ने गरीब परिवारों के हित में निर्णय लेते हुए अनाज के भंडार खोल दिए। बिना पैसा दिए यानि मुफ्त में गरीब परिवारों राशन देने की व्यवस्था प्रारंभ हुई। तब से लेकर आज तक सरकार ने गरीब परिवारों के लिए अनाज के लिए प्रति वर्ष 2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। हम यह कह सकते हैं कि पूरी दुनिया में मानवता के हित में लिया गया यह सबसे बड़ा निर्णय होगा, जो किसी सरकार ने लिया है।

जब मुफ्त अनाज देने वाली स्कीम की समयसीमा समाप्त हो रही थी, तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ की एक जनसभा से गरीब कल्याण के लिए चल रही मुफ्त अन्न योजना को 5 साल और बढ़ाने का एक बड़ा निर्णय किया। अपनों से लेकर दूसरी पार्टियों ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठाने शुरु कर दिए। विपक्षी पार्टियों ने कहा- राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने चुनावी रेवड़ी बांटी है, लेकिन विपक्ष अगर किसी ऐसी फ्री स्कीम की बात करता है, तब पीएम मोदी से लेकर भाजपा के लोग उसकी आलोचना करते हैं।

हमें यह समझना जरूरी है कि अगर पीएम मोदी ने इतनी बड़ी अन्न योजना शुरु की है, जिस पर प्रतिवर्ष 2 लाख करोड़ खर्च हो रहे हैं। उसका असल में कुछ प्रभाव है या नहीं। पिछले साल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक स्टडी रिपोर्ट ने पूरे विश्व को बताया कि कोरोना महामारी के दौरान प्रारंभ हुई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना काफी हद तक गरीबी को रोकने में कामयाब रही है। रिपोर्ट के अनुसार इस योजना के कारण महामारी के दौरान भी देश में अत्यंत गरीबों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है। इससे पहले हुए कुछ अध्ययनों में महामारी के कारण भारत में अत्यंत गरीबी बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई थी। वैसे हम जानते हैं कि अगर किसी देश में महामारी आती है, तो भूखमरी आने के प्रबल आसार होते हैं,लेकिन पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना ने हमें बचा लिया।

यह समय की सबसे बड़ी जरुरत थी, आज वह एक बड़े लैंडमार्क योजना के तौर पर सामने आ रही है। अब तक अपने देश में यह कल्चर था कि जब चुनाव आए, तो फ्रीबीज स्कीमों का एलान कर दो। जैसे- फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री में स्मार्टफोन, फ्री इंटरनेट, फ्री साइकिल, फ्री स्कूटी, फ्री लैपटॉप और फ्री इलेक्ट्रॉनिक उपकरण इत्यादि। दक्षिण के राज्यों में तो गोल्ड तक देने का वादा किया गया, लेकिन यह योजना समय की समय बड़ी जरुरत थी। आज भी वह एक बड़ी जरुरत बनी है।

इस योजना ने किसानों से लेकर गरीबों तक खूब फायदा पहुंचाया है। गरीब को अनाज मिला और किसान को उसकी उपज का अच्छा दाम मिला। नहीं तो पहले की स्थिति ऐसी थी कि आढ़ती न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी कम कीमत पर अनाज लेकर जाते थे। परिणाम स्वरुप किसानों को उसका भाव नहीं मिल पाता था। ऐसी स्थिति में गरीब को अनाज और किसान को भाव मिल रहा है।

पूर्व के समय में राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए वादों की बौछार कर देती थीं, लेकिन इसका बोझ सरकारी खजाने पर पड़ता था। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार कहा था कि टैक्सपेयर के पैसे का इस्तेमाल कर बांटी जा रहीं फ्रीबीज सरकार को ‘दिवालियेपन’ की ओर धकेल सकती हैं। पूर्व के वर्षों की आरबीआई की भी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकारें मुफ्त की योजनाओं पर जमकर खर्च कर रही हैं, जिससे वो कर्ज के जाल में फंसती जा रही हैं। इसके बावजूद विपक्षी पार्टियों ने फ्री बीज वाली स्कीम का वादा करने से नहीं चूकतीं।

अब यहां आपको समझाते हैं….क्या है फ्रीबीज और क्या है सरकार की कल्याणकारी योजनाएं। आमतौर पर फ्रीबीज का ऐलान चुनाव से पहले किया जाता है, जबकि कल्याणकारी योजनाएं या वेलफेयर स्कीम्स किसी भी समय जरूरत के मुताबिक लागू की जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक हियरिंग में कहा था कि आजीविका चलाने के लिए या आजीविका मिशन के तहत ट्रेनिंग देने के लिए लागू की गई योजनाओं को फ्रीबीज नहीं कहा जा सकता। कल्याणकारी योजनाएं लोगों के जीवन को बेहतर बनाती हैं, उनके जीने का स्तर सुधारती हैं। इससे रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने में मदद मिलती है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना देश के गरीब परिवारों की सबसे बड़ी जरुरत है.

(उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार है.)