देश की सेहत, सूरत और सीरत संवारने का संकल्प


Posted in:
09 Feb, 2021
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09 Feb, 2021

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, वह देश की सेहत, सूरत और सीरत सुधारने में सहायक सिद्ध होगा। बजट के केंद्र में स्वास्थ्य, आत्मनिर्भरता और रोजगार है। यही सबसे बड़ी आवश्यकता है और इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लोकलुभावन घोषणाएं नहीं की गई है, बकायदा योजनाओं का ब्लूप्रिंट पेश किया गया है। इस बजट की खासियत यह है कि यह खर्च और बचत का संतुलन साधता दिख रहा था और वह भी कोरोना के संकट के बावजूद किसी भी वर्ग पर अतिरिक्त टैक्स लगाए बगैर। वित्त मंत्री ने देश की सेहत की चिंता करते हुए पिछले बजट की तुलना में स्वास्थ्य का बजट दोगुना कर दिया है। पहली नजर में यह वृद्धि 137 प्रतिशत ही दिखाई देती है, लेकिन यदि पोषण, पेयजल और स्वच्छता पर खर्च होनेवाली राशि को मिला दे तो यह वृद्धि दोगुनी हो जाती है। कोरोना काल में हम सब ने पूरी शिद्दत से महसूस किया कि सेहत के मोर्चे पर हमें अब कुछ खास करना होगा। स्वास्थ्य के मामले में देश की यही चिंता बजट में 2,23,846 करोड़ रुपये के प्रावधान के रूप में अभिव्यक्त हुई है। कोविड वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये के फंड की व्यवस्था की गई है। कोरोना काल में मास्क, पीपीई किट, फेसशिल्ड, सेनिटाइजर, वेंटिलेटर आदि की व्यवस्था जिस तत्परता से की गई, वह अपने आप में एक अन्यतम उद्धारण है।

देश की दूसरी सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। रोजगार के अधिकतम अवसर पैदा किए बगैर देश की सूरत बदलने वाली नहीं है। इस लिए वित्त मंत्री ने सबसे ज्यादा रोजगार देनेवाले ऑटोमोबाइल, रियल इस्टेट और टेक्सटाइल सेक्टर को बजट के माध्यम से प्रोत्साहित तथा गतिशील बनाने का प्रयास किया है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की सालों पूरानी मांग स्क्रैप पॉलिसी को बजट में मंजूरी मिल गयी है। इस के कारण एक अनुमान के मुताबिक ऑटो सेक्टर में 10 हजार करोड़ का निवेश आएगा और पचास हजार नई नौकरियां पैदा होंगी। स्टील पर ड्यूटी कम होने का लाभ तो ऑटो कंपनियों को मिलेगा ही, स्क्रैप पॉलिसी के कारण कच्चा माल भी सस्ता हो जाएगा। इससे कारों की कीमतों में 30 प्रतिशत तक कमी हो जाएगी।

बजट में तीन साल में सात मेगा टेक्सटाइल पार्क बनाने की भी घोषणा की गई है। इन टेक्सटाइल पार्क को मैन्युफैक्चरिंग तथा एक्सपोर्ट हब बनाया जाएगा। टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बूस्ट करने के लिए के लिए नायलॉन के धागे पर आयात शुल्क ढाई प्रतिशत घटा दिया गया है। बजट में कपड़ा मंत्रालय को पहले से अधिक रकम तो दी गई है, इसे सेक्टर का आकार बढ़ने का लक्ष्य रखा गया है। जाहिर है टेक्सटाइल उद्योग चल पड़े तो रोजगार बेहतर बेतहाशा बढ़ेंगे।

वित्त मंत्री ने अपने बजट में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रावधान किए हैं। इससे देश की सीरत बदलेगी तथा वोकल फॉर लोकल की आवाज और तेज होगी। इसके लिए बजट में हर उस सामान का आयात महंगा कर दिया गया है जिसे हम स्वयं बना सकते हैं या बनाते हैं। बजट में कस्टम एवं एक्साइज ड्यूटी में बरसों बाद बदलाव किया गया है, जिसके कारण कुछ वस्तुएं जैसे फ्रिज, एसी, मोबाइल, मोबाइल चार्जर आदि के महंगे होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसा निर्णय आवश्यक था। उदाहरण के तौर पर देखें तो इथाइल अल्कोहल का आयात महंगा कर दिया गया है। इससे एथनॉल बनता है, जिसका इस्तेमाल क्लीन फ्यूल बनाने में किया जाता है। लेकिन जब हम स्वयं गन्ना, मक्का और धान के अवशेषों से एथनॉल बना सकते हैं, बना भी रहे हैं। तब इसके महंगे आयात के बदले घरेलू उत्पादन को बढ़ावा बढ़ाने पर जोर क्यों न दिया जाए। इसी प्रकार घरेलू तेल कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए क्रूड पॉम आयल, क्रूड सोयाबीन ऑयल, सनफ्लावर पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी गई है। बजट में स्टील तथा आयरन स्क्रैप तो सस्ते किया गया है, लेकिन स्क्रु, नट, बोल्ट का आयात महंगा कर दिया गया है। यानी कच्चा माल तो हम बाहर से सस्ती दर पर मंगा सकते हैं, लेकिन तैयार माल मंगाना महंगा पड़ेगा। उद्देश्य यही है कि सस्ते कच्चे माल से जरूरत की चीजें हम खुद बनाएं, बेचें और बाहर भी भेजें।

किसान आंदोलन और कृषि उपज खरीदने वाली मंडियों को खात्मे की अफवाहों के बीच वित्त मंत्री ने ग्रामीण और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रुपये कर दिया है। यह फंड एपीएमसी मंडियों के लिए भी है। वित्त मंत्री ने यह भी ऐलान किया है कि कृषि ऋण को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ तक किया जा सकता है। इसी प्रकार 1.10 लाख करोड़ रुपए रेलवे को दिए गए हैं और सड़क निर्माण के लिए 1.18 करोड़ रुपए यानी कृषि, रेलवे, सड़क पर खर्च बढ़ेगा तो रोजगार के नये द्वार निश्चित रूप से खुलेंगे। उज्ज्वला योजना के माध्यम से एक करोड़ नये कनेक्शन देने का संकल्प बजट में व्यक्त किया गया है। जहां तक शिक्षा क्षेत्र की बात है, 750 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों के लिए 38 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, पहले यह राशि 20 करोड़ थी। यह राशि मैदानी क्षेत्रों के आदिवासी छात्रों की पढ़ाई पर खर्च होगी। पहाड़ी क्षेत्रों के आदिवासी छात्रों के लिए विद्यालयों को 48 करोड़ रुपये दिए गए हैं। पीपीपी मॉडल की मदद से 100 नये सैनिक और 15 हजार आदर्श स्कूल बनाने के साथ ही बजट में एससी छात्रों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति भी बढ़ा दी गई है।

सरकार ने अपने बजटीय प्रावधानों और प्रयासों के माध्यम से वायु प्रदूषण नियंत्रण पर भी ध्यान दिया है। पहली बार किसी सरकार ने इस मद में खर्च का प्रावधान किया है। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में मॉनिटरिंग सेंटर तो बनेंगे ही, ऊर्जा निगम और नवीनकरणीय ऊर्जा विकास में अतिरिक्त निवेश की व्यवस्था की गई है। अंतरिक्ष विभाग का बजट 470 करोड़ बढ़ाकर सरकार ने यह संदेश-संकेत दे दिया है कि हम अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नई इबारतें आगे भी लिखते रहेंगे। सरकार ने विश्वस्तरीय संस्थानों को अपने यहां स्थापित करने के मकसद से इस मद में बजट 3 गुना बढ़ा दिया है यानी सरकार हर मोर्चे पर सतर्कता के साथ काम करने की तैयारी दिखा रही है। सरकार ने बजट प्रावधानों के माध्यम से देश के सर्वांगीण विकास का जो खाका खींचा, उसके लिए फंड को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। इसका जवाब वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण ने अपने भाषण में ही दे दिया था। उन्होंने कहा था कि नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन और डेवलपमेंट फाइनेंसियल इंस्टीट्यूट के माध्यम से फंड जुटाया जाएगा। यानी सरकार उन सरकारी कंपनियों, संस्थानों को विनिवेश के हवाले करेगी जो सफेद हाथी बन गए हैं। सरकार बाजार से उधार लेकर भी इंफ्रास्ट्रक्चर में पैसे लगाएगी, लेकिन सड़क परिवहन और राजमार्ग की सभी परियोजनाएं पूरी की जाएंगी।

कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम ही है कहना, लेकिन जिन्हें करना है वे भला कहने वालों की परवाह क्यों करेंगे। जिन लोगों ने विनिवेश के दरवाजे खोलें, खुली अर्थव्यवस्था के श्रीगणेश के लिए वाहवाही लूटी आज वे ही अगर फंड जुटाने के लिए सरकार की योजनाओं पर सवाल उठाएं, तो सिर्फ उनपर हंसा ही जा सकता है। महामारी के हमले झेल रही किसी भी सरकार के लिए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बिना टैक्स बढ़ाये जो सर्वोत्तम करणीय था, वित्त मंत्री ने किया है। इसके लिए उन्हें बधाई और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार, जो बड़ी से बड़ी समस्याओं को साहस और समझ-बूझ से सरल बना देते हैं।

आइये, हम सब मिलकर एक ऐसे मजबूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करें, जो बेरोजगारी एवं अशिक्षा के अभिशाप से मुक्त हो तथा जहां कोई क्षेत्र विकास से अछूता न रहे।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं)