चर्चित नारों की कहानी / जमीन गई चकबंदी में, मकान गया हदबंदी में, द्वार खड़ी औरत चिल्लाए, मरद गया नसबंदी में


Posted in:
03 Apr, 2019
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03 Apr, 2019
  • संजय गांधी ने मां इंदिरा के बीस सूत्री कार्यक्रम को पूरा करने के लिए अपना ही पांच सूत्री कार्यक्रम बना लिया था
  • सितंबर 1976 में संजय ने महाराष्ट्र में अनिवार्य नसबंदी शुरू कर दी थी

आपातकाल में नसबंदी के खिलाफ यह नारा काफी चर्चित हुआ था।  संजय गांधी ने मां इंदिरा गांधी के बीस सूत्री कार्यक्रम को पूरी तरह से लागू करने के लिए अपना ही पांच सूत्री कार्यक्रम बना लिया था। सबसे ज्यादा जोर परिवार नियोजन पर था। इसी तरह दिल्ली में झोपड़ियां हटाने का अभियान चल रहा था। तब दिल्ली में 300 बस्तियां थीं जिनमें 5 हजार लोग रहते थे।

संजय चाहते थे कि झुग्गियों को यमुना पार बसाया जाए। इमरजेंसी और संजय के समर्थन के बाद लोगों को मनाने की बजाय जबर्दस्ती की गई। इसी तरह संजय अनिवार्य नसबंदी का समर्थन कर रहे थे। निचले दर्जे के कर्मचारियों को वेतन लेने, ट्रक चालकों को लाइसेंस रिन्यू कराने और झुग्गियों के लोगों को पुनर्वास की जमीन लेने के लिए नसबंदी तक करानी पड़ी।

सितंबर 1976 में संजय ने महाराष्ट्र में अनिवार्य नसबंदी शुरू कर दी। 18 अक्टूबर 1976 को मुजफ्फरनगर में लोगों ने नसबंदी के विरोध में स्वास्थ्य केंद्र जला दिया। प्रशासन ने पुलिस बुलाई और फायरिंग में 50 लोगों की मौत हो गई। इसी दौरान नारा आया ‘जमीन गई चकबंदी में, मकान गया हदबंदी में, द्वार खड़ी औरत चिल्लाए, मेरा मरद तो गया नसबंदी में।’

और बाद में नारा बदला भी : नसबंदी के तीन दलाल- इंदिरा, संजय, बंसीलाल…।

 

Source : Bhaskar