श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन को सरकार बनाने का ऐतिहासिक जनादेश …..


Posted in:
27 May, 2019
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27 May, 2019

2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों ने देश में फिर एक बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन को सरकार बनाने का ऐतिहासिक जनादेश दिया है। दशकों बाद ऐसा अवसर आया है जब किसी सत्ताधारी पार्टी को पुनः पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ हो। आज भारतीय जनता पार्टी देश की राजनीति की केन्द्रीय भूमिका में है। जनसंघ और उसके उत्तराधिकारी के रूप में भाजपा की यह 7 दशकों की लोकतांत्रिक यात्रा अनेक पड़ावों से होकर गुजरी है। भारतीय गौरव एवं मूल्यों को केंद्र में रखकर 1952 में श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने इसकी स्थापना की थी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने पार्टी के राजनीतिक विचार और दर्शन को सबके सामने रखा था। गौरतलब है कि जब हम भारत को उसकी ऐतिहासिक धरोहरों के साथ जोड़ते हैं तो स्पष्ट होता है कि मूल्य आधारित जीवन-धर्म (नीति आधारित शासन) और विश्व कल्याण की भावना ही भारत का मूल चिंतन रहा है। हम इतिहास की इस बात की भी अनदेखी नहीं कर सकते कि हमारे स्वाधीनता आन्दोलन में राजनीतिक आजादी की लड़ाई के साथ-साथ उच्च जीवन-मूल्यों, सांस्कृतिक जागरण एवं आध्यात्मिक मूल्यों को भी स्वीकारा गया था। इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि महात्मा गाँधी की सुबह की शुरुआत वैष्णव भजन से होती थी; बाबा साहब ने सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि बुद्ध के उद्देश्यों से प्राप्त की थी, तो वहीं डॉ. राम मनोहर लोहिया ने भारत को आगे बढ़ाने का ध्येय भारत की सांस्कृतिक एकता के उत्सव रामायण मेला में ढूंढा था।

आज के समय में लोकतान्त्रिक मूल्य, गरिमापूर्ण जीवन, स्त्री-पुरुष समानता, पर्यावरण संरक्षण, विश्व को हिंसा से मुक्ति, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जनमत का निर्माण आदि सभी विषयों में जब भारतीय मूल्यों का बोध कराया जाता है तो तथाकथित लिबरल यह स्वीकार नहीं कर पाते कि भारत का यह दृष्टिकोण दुनिया को नयी दिशा दिखा सकता है। यह विडंबना ही है कि आज जो लोकतंत्र के खतरे की बात करते हैं, वही लोग देश में आपातकाल लगाने वाले के पक्ष में खड़े भी होते हैं; जो लोग मानवाधिकार की दुहाई देते हैं, वही लोग 1984 के सिख दंगे को सामान्य घटना बताने वालों के साथ नजर आते हैं; जो लोग स्त्री-पुरुष समानता की बात करते हैं, वही लोग तीन तलाक के मुद्दे पर उसका विरोध करने वालों के पक्ष में खड़े होने में भी नहीं हिचकते। ऐसे लोग अपने ज्ञान पर भले आत्ममुग्ध हो लें, पर देश की जनता ने उनके इस दोहरे रूप को पहचानकर उन्हें पूर्णतया नकार दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने सत्य को सामने रखते हुए अपनी राजनीतिक यात्रा को देश के केंद्र बिंदु तक पहुँचाया है। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक आंदोलन पर एक नजर डालें तो 50 के दशक में जनसंघ का कश्मीर आंदोलन हो या 60 के दशक में गाँव और किसान के लिए गौरक्षा का आंदोलन हो या फिर 70 के दशक में देश में लोकतंत्र बचाने के लिए जनसंघ का जनता पार्टी में विलय करना हो अथवा 80 के दशक में भारतीय जनता पार्टी की पुनः स्थापना कर छद्म धर्मनिरपेक्षता और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना हो, भाजपा देशहित में हमेशा से संघर्षरत रही है। अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार के द्वारा समन्वय और समरसता का संदेश भारतीय जनता पार्टी ने देश के समक्ष प्रस्तुत किया था। 2014 में यूपीए की निर्णयहीनता, भ्रष्टाचार एवं असहाय नेतृत्व के खिलाफ जब जनता में रोष उत्पन्न हुआ तब भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश के समक्ष एक सशक्त विकल्प रखा। अपने राजनैतिक आंदोलन के उतार-चढ़ाव के दौर में भी भारतीय जनता पार्टी के असंख्य कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रवाद के विचार और सुशासन के मन्त्र को नहीं छोड़ा और भारतीय जीवन मूल्य एवं आधुनिक दृष्टिकोण में कोई विभेद भी खड़ा नहीं होने दिया।

सामाजिक न्याय के नाम पर वर्ग संघर्ष उत्पन्न करने की बजाय ‘सबका साथ-सबका विकास’ की राजनीति को आगे बढ़ाया। हमारे समक्ष अक्सर राष्ट्रवाद और विकास को लेकर सवाल आते हैं। यह सच है कि भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक बुनियाद में राष्ट्रवाद निहित है और उतना ही सच यह भी है कि राष्ट्रवाद की भावना विकास की गति को तेज करने वाली होती है। इसके पीछे कारण यह है कि जब राष्ट्रवाद की भावना से कोई राजनीति में आता है तो उसके लिए निजी स्वार्थ एवं हित मायने नहीं रखते। वह राष्ट्रहित को प्रथम मानता है। राष्ट्रहित में विकास स्वाभाविक रूप से अंतर्निहित होता है। ऐसी स्थिति में यह कहना उचित है कि राष्ट्रवाद और विकास में कोई विरोधाभाष नहीं है, दोनों साथ-साथ चल सकते हैं। सही मायने में राष्ट्रवाद विकास के इंजन की तरह होता है। राष्ट्रवाद की भावना जितनी प्रबल होगी विकास की गति उतनी ही तेज होगी। इसीलिए भाजपा बार-बार इस सूत्रवाक्य को दोहराती है कि ‘राष्ट्रवाद हमारी प्रेरणा है, अन्त्योदय हमारा दर्शन है और सुशासन हमारा लक्ष्य है।’ विगत कार्यकाल में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार की गरीब कल्याण नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण, सबका साथ-सबका विकास के मूलमंत्र के साथ भारत की वैश्विक साख बढ़ाने जैसे अनेक मुद्दों पर सरकार ने सकारात्मक कार्य किया है। 23 मई को जब दुबारा ऐतिहासिक जनसमर्थन प्राप्त करने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने भाषण में पार्टी की इस यात्रा को प्रतिबिंबित करते हुए कहा कि “2 सांसद रहे हों या आज इतना अपार जनसमर्थन हो, पार्टी हमेशा अपने मूल्यों को साथ लेकर आगे बढ़ी है।“ इसका अर्थ यह है कि पार्टी ने अपने आप को केवल चुनाव जीतने तक सीमित नहीं रखा है बल्कि अपने वैचारिक राजनीतिक मिशन के साथ आगे बढ़ती रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने भाजपा को 10 करोड़ से अधिक सदस्यों की पार्टी बनाने के बाद भी इसको केवल पार्टी की रैलियों तक में ही सीमित नहीं रखा बल्कि पार्टी के अनेकों कार्यकर्त्ताओं को अपना एक वर्ष का समय पार्टी की योजना-रचना में देने, प्रशिक्षण कार्यक्रम, विभागों की संकल्पना, सामाजिक मूल्यों के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रम, पर्यावरण मूल्यों के लिए नमामि गंगे जैसे कार्यक्रम, आर्थिक शुचिता के लिए आजीवन सहयोग निधि की स्थापना करने जैसे अनेक कार्य किए हैं।

यह सच है कि भारतीय जनता पार्टी ने आज एक मुकाम को हासिल किया है। प्रधानमंत्री जी के शब्दों में देश को गरीबी मुक्त करना पार्टी का सबसे बड़ा लक्ष्य है। विगत एक कार्यकाल में पार्टी और सरकार के अथक परिश्रम से पार्टी उन लक्ष्यों की ओर बढ़ी है। राष्ट्रवाद की भावना और बहुमुखी विकास के लक्ष्यों के साथ जनादेश आशाओं पर मोदी सरकार खरी उतरेगी। भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक बुनियाद में राष्ट्रवाद निहित है। उतना ही सच यह भी है कि राष्ट्रवाद की भावना विकास की गति को तेज करने वाली होती है। इसके पीछे कारण यह है कि जब राष्ट्रवाद की भावना से कोई राजनीति में आता है तो उसके लिए निजी स्वार्थ एवं हित मायने नहीं रखते। वह राष्ट्रहित को प्रथम मानता है। राष्ट्रहित में विकास स्वाभाविक रूप से अंतर्निहित होता है। ऐसी स्थिति में यह कहना उचित है कि राष्ट्रवाद और विकास में कोई विरोधाभाष नहीं है, दोनों साथ-साथ चलते हैं। राष्ट्रहित की भावना की एक और विशेषता यह है कि इसमें कल्याण का भाव भी निहित होता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के पांच वर्षों के कार्यकाल को जब देखते हैं तो उसमें विकास के उन बहुआयामी विषयों के साथ-साथ सामान्य जन के कल्याण के लिए उठाये गये अनेक कदम उभर कर आते हैं। सही मायने में अगर हम गहनता से विचार करें तो राष्ट्रवाद विकास के इंजन की तरह होता है। राष्ट्रवाद की भावना जितनी प्रबल होगी विकास की गति उतनी तेज होगी। इसीलिए भाजपा बार-बार इस सूत्रवाक्य को दोहराती है कि ‘राष्ट्रवाद हमारी प्रेरणा है, अन्त्योदय हमारा दर्शन है और सुशासन हमारा लक्ष्य है।’ मैं कहना चाहूँगा कि जब हम राष्ट्रवाद की बात करते हैं तो उसके व्यापक पक्षों में विकास, सुशासन, लोक कल्याण और भारत के सांस्कृतिक गौरव को वैश्विक पटल पर एकबार फिर स्थापित करने का संकल्प स्वत: नजर आता है।