भाजपा– देश की आशा, विपक्ष की हताशा

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‘विकसित भारत’ के संकल्प के साथ
प्रधानमंत्री मोदीजी के सुदृढ़ नेतृत्व में एकजुट हों

‘भारत मंडपम’, नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय भाजपा राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन 18 फरवरी, 2024 को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने ‘भाजपा—देश की आशा, विपक्ष की हताशा’ प्रस्ताव प्रस्तुत किया, इसका अनुमोदन केंद्रीय जनजातीय कार्य, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव ने किया।

इस प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस दुष्प्रचार एवं झूठ की राजनीति का सहारा ले रही है। इसे लगता है कि बार-बार आधारहीन आरोपों को दुहराकर यह सत्ता में वापसी कर सकती है। जब तक यह रचनात्मक राजनीति से दूर रह लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान करती रहेगी तथा देश को तोड़ने वालों का समर्थन करेगी, जनता भी इसे चुनावों में सबक सिखाती रहेगी। भाजपा की यह राष्ट्रीय अधिवेशन आह्वान करता है कि कांग्रेस एवं ‘इंडी-गठबंधन’ की स्वार्थ, परिवारवाद, भ्रष्टाचार, नकारात्मक एवं हताशा की राजनीति को पराजित करें।
हम प्रस्ताव का पूरा पाठ यहां प्रकाशित कर रहे हैं:

भारतीय राजनीति में विपक्ष नकारात्मकता, संकीर्णता एवं भ्रष्टाचार से घिरकर अपना उचित योगदान नहीं दे पा रहा। इस विपक्ष की धुरी में कांग्रेस और हाल ही में बना ‘इंडी गठबंधन’ है जो आपसी स्वार्थ, मतभेद और दिशाहीन नेतृत्व के कारण निरंतर बिखर रहा है। एक ओर जहां कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी अहंकार से ग्रसित है, वहीं दूसरी ओर खोखली नैतिकता प्रस्तुत करने वाली ‘आम आदमी पार्टी’ का पूरा राष्ट्रीय नेतृत्व आबकारी घोटाले में बंद है। विपक्ष की मानसिकता इसी बात से परिलक्षित होती है कि डीएमके के नेताओं द्वारा दिए जाने वाले अनर्गल बयान अकारण ही भारत की मूल भावना को ठेस पहुंचा रहा है। लोकतंत्र की बात करने वाले इंडी गठबंधन के प्रमुख दल तृणमूल कांग्रेस द्वारा शासन संरक्षित हिंसा ने बंगाल के महिला एवं अन्य नागरिकों के अधिकार छीन लिए हैं।

यह विचित्र विडंबना है कि दो बार लगातार चुनाव हारने के बाद देश में निरंतर गिरता जनाधार एवं सिकुड़ते प्रभाव क्षेत्र के बाद भी कांग्रेस पार्टी का अहं टूट नहीं रहा और इसके नेताओं का अहंकार चरम पर है। इसकी पराकाष्ठा तो इस सीमा तक है कि कांग्रेस के प्रमुख नेता विदेशों में भी जाकर भारत के गौरवशाली लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रश्न चिह्न खड़े करते हैं और यहां तक कि विदेशी हस्तक्षेप को आमंत्रित करने से भी नहीं चूकते। विगत दस वर्षों में जब-जब देश में गौरव के क्षण आए, चाहे वह जीएसटी को लागू कर आर्थिक न्याय को मजबूत करने का रास्ता हो, भारत के सर्वोच्च पद पर जनजातीय समाज की महिला श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के राष्ट्रपति निर्वाचित होने का विषय हो, अमृतकाल में नए संसद भवन का उद्घाटन हो, जी-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन में देश को वैश्विक नेतृत्व करने का गौरवपूर्ण अवसर हो, भारत की सांस्कृतिक विरासत एवं राजनीति में न्याय, नीति एवं मूल्यों का प्रतीक पवित्र ‘सेंगोल’ की संसद में स्थापना का विषय हो, कांग्रेसनीत विपक्ष ने हमेशा बहिष्कार किया है।

कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलाें की मानसिकता इस बात को दर्शाती है कि उनकी राजनीति नीति एवं सिद्धांत आधारित न होकर केवल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘फोबिया’ से ग्रसित है। एक ओर इनके नकारात्मक सोच के कई प्रमाण है; वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने समाज में सभी वर्गों से संवाद स्थापित कर, उन्हें साथ लेकर देश में एक सकारात्मक वातावरण के निर्माण का प्रयास किया है। श्री रामलला की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ में शामिल होने के लिए अपने व्यक्तिगत जीवन में यम-नियम का पालन करते हुए पूरे अनुष्ठान को उन्होंने एक सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया।

देश ने 2014 के भी उस दौर को देखा, जब कांग्रेसनीत यूपीए के शासनकाल में हर ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला था। आज भी जब झारखंड में 350 करोड़ रुपया नकद पकड़ा जाता है, तमिलनाडु में करोड़ों रुपए जब्त किए जाते हैं और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में ‘महादेव’ के भी नाम को भी न छोड़ते हुए ‘महादेव एप’ पर करोड़ों की ठगी की आती है, उसमें कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों के नेता संलिप्त पाए जाते हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि कांग्रेस की सत्ता-लोलुपता एवं भ्रष्टाचार की भूख अभी मिटी नहीं है।

यह दुर्भाग्यपूर्ण विषय है कि संसद चलाने में भी विपक्ष द्वारा बार-बार मर्यादा को तोड़ा गया; न केवल संसद के काम में अवरोध उपस्थित किया गया; बल्कि संवैधानिक पीठ पर बैठे हुए सर्वाच्च व्यक्तियों को निम्नस्तर पर उपहास कर निशाना बनाया गया। यह इस बात को दर्शाता है कि अब तक देष में स्वीकार्य विपक्ष की संसदीय मर्यादा की भूमिका को उन्होंने कलंकित करने का प्रयास किया। विपक्ष को इसका भी उत्तर देना चाहिए कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप हर बार न्यायालय द्वारा अमान्य क्यों ठहराए गए। उन्होंने इस बात पर भी अफसोस नहीं जताया, जब ओबीसी समाज से आने वाले प्रधानमंत्री पर जातिगत विषयों को लेकर की गई टिप्पणी पर कोर्ट से सजा हुई। बार-बार केन्द्रीय एजेन्सी की दुहाई देने वाली कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि उनके नेताओं के घरों से जो भ्रष्टाचार के पैसे मिले उस पर उन्होंने पार्टी द्वारा उन पर क्या कार्रवाई की। सबसे बड़ी विडंबना की बात तो यह है कि यूपीए के काल में देश की जो अर्थव्यवस्था दुनिया के ‘फाइव फ्रैजाइल इकोनॉमी’ में आती थी आज वो दुनिया की सबसे बड़ी पांच अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हुई है, उसका भी उनको गम है। विपक्ष की नकारात्मक मानसिकता देश के लोकतंत्र के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है।

कांग्रेस अस्थिरता की जननी

भारत की लोकतांत्रिक यात्रा इस बात की गवाह है कि जवाहरलाल नेहरू के समय से ही धारा-356 का निरंतर दुरुपयोग किया गया तथा गैर कांग्रेसी सरकारों को अस्थिर किया गया। इसकी पराकाष्ठा तो तब हुई जब अपनी अलोकप्रियता को देखकर कांग्रेस ने देश पर

देश ने 2014 के भी उस दौर को देखा, जब कांग्रेसनीत यूपीए के शासनकाल में हर ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला था। आज भी जब झारखंड में 350 करोड़ रुपया नकद पकड़ा जाता है, तमिलनाडु में करोड़ों रुपए जब्त किए जाते हैं और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में ‘महादेव’ के भी नाम को भी न छोड़ते हुए ‘महादेव एप’ पर करोड़ों की ठगी की आती है, उसमें कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों के नेता संलिप्त पाए जाते हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि कांग्रेस की सत्ता-लोलुपता एवं भ्रष्टाचार की भूख अभी मिटी नहीं है

आपातकाल थोप दिया। बाद में, लोकतंत्र का उपहास उड़ाते हुए अनेक सरकारें, चाहे चौधरी चरणसिंह की सरकार हो, या चंद्रशेखर की, इंद्रकुमार गुजराल या श्री एच.डी. देवगौड़ा की सरकार हो; कांग्रेस ने अपनी कुटिल राजनीति से इन सभी सरकारों को गिराया। हाल में आम आदमी पार्टी की सरकार को दिल्ली में समर्थन दिया फिर उसका विरोध किया, अब पुनः इंडी गठबंधन में साथ आए हैं। ममता बनर्जी को सबसे भ्रष्ट नेता कहने वाली कांग्रेस अब उन्हें इंडी गठबंधन का हिस्सा बनाए हुए है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से दोस्ती और दुश्मनी की आंख-मिचौली खेलती रही है। आज जो छोटे-छोटे दल कांग्रेस के गठबंधन में शामिल हुए हैं वो कोई लोकतंत्र में किसी प्रकार की आस्था के कारण नहीं, बल्कि अपने परिवार की जागीर को बचाने में लगी हुई पार्टियां हैं, लेफ्ट-लिबरल तथा टुकड़े-टुकड़े गैंग को चलाने वाले लोगों की पार्टियां हैं। यदि देखा जाए तो कांग्रेस देश में अस्थिरता की जननी है।

कलह, कटुता, कुटिलता और कुनीति का पर्याय इंडी गठबंधन

भारतीय जनता पार्टी ने राजनीति में परिवारवाद का इसलिए विरोध किया है कि राजनैतिक दल पारिवारिक उत्तराधिकार और वसीयत के आधार पर नहीं चलनी चाहिए, लेकिन कांग्रेस और उसके ‘इन्डी-गठबंधन’ के दल देश की राजनीति को परिवारवाद एवं उसके वसीयतनामें के आधार पर चलाना चाहते हैं जो लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है। आज भारत के नागरिक इस बात को जानते हैं कि 10 साल के भ्रष्टाचार के काले कारनामों से दागदार कांग्रेसनीत-यूपीए शासन जब अपनी साख खो चुका, तो कांग्रेस ने बड़ी चालाकी से इसे नया कलेवर ‘इन्डी-गठबंधन’ देने की कोशिश की, लेकिन विगत विधानसभाओं चुनावों ने कांग्रेस के इस भ्रम को भी समाप्त कर दिया। भारत की राजनीति में ‘सत्ता-परिवर्तन’ की बात करने वाला ‘इंडी-गठबंधन’ आज कलह, कटुता, कुटिलता और कुनीति का पर्याय बनकर रह गया। आने वाले 2024 के चुनाव में ‘इंडी-गठबंधन’ के क्षेत्रीय दल भी यह समझ चुके है कि इसका बोझ उन्हें ले डूबेगा। इसलिए पंजाब से लेकर बंगाल तक वो इससे छुटकारा पाने के चक्कर में लगे हुए है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 2019 में देश को बांटने का षड्यंत्र करने वाली ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ आज कांग्रेस की सलाहकार मंडली में शामिल है।

इंडी-गठबंधन का विचित्र मेल

केवल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करने के लिए बना इंडी गठबंधन का कोई भी सैद्धांतिक-वैचारिक आधार नहीं है। इसमें शामिल विभिन्न दल एक दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़ते हैं और कई प्रदेशों में एक दूसरे के राजनैतिक विरोधी हैं। केरल में कांग्रेस और कम्युनिस्ट एक दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़ते हैं, पंजाब में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ती है, तो वहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी एक दूसरे के धुर विरोधी हैं। इनके बीच न तो वैचारिक समानता है, न सामंजस्यता और न ही कोई समान कार्यक्रम। इनका एक ही लक्ष्य है— प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को रोकना।

गरीब विरोधी कांग्रेस

कांग्रेस ने एक समय ‘गरीबी हटाओ’ का नारा तो दिया, परंतु इसका चरित्र हमेशा गरीब, दलित, पिछड़ा, किसान एवं मजदूर विरोधी रहा। यही कारण है कि एक गरीब ‘चाय वाले’ परिवार में जन्मे व्यक्ति का प्रधानमंत्री बनना कभी कांग्रेस बर्दाश्त नहीं कर पाई। शुरू से ही गरीबों के नाम पर चलाई गई जनकल्याणकारी योजनाओं में भारी लूट का प्रमाण स्वयं राजीव गांधी द्वारा दिया गया, जिन्होंने कहा था कि एक रुपए में से केवल 15 पैसे ही जनता तक पहुंचता है। इस भारी लूट एवं भ्रष्टाचार के कारण स्वतंत्रता के पश्चात भी देश का कई दशकों तक विकास नहीं हो सका।

देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी के कारण आम जनता त्राहि-त्राहि करते रहे जबकि कांग्रेस के नेता ऐशो-आराम की जिंदगी जीते रहे। कांग्रेस को न तो गरीबों की आवश्यकता का ज्ञान था, न ही वह देश की गरीबी दूर करने के प्रति कभी गंभीर रहे। आज अनेक अभिनव योजनाओं के माध्यम से देश के गरीब से गरीब को घर मिल रहा है, हेल्थ इंश्योरेंश मिला है, गैस चूल्हा सिलेंडर मिला है, शुद्ध पेयजल मिला है, बिजली मिली है, उनका बैंक खाता खुला है और निःशुल्क राशन भी दिया जा रहा है। यह पहली बार है कि मात्र एक दशक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संवेदनशील एवं गरीब समर्थक नेतृत्व में 25 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं और कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के बाद भी देश में extreme poverty की दर 1 प्रतिशत से भी कम रह गया है।

भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दल

श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जीरो-टॉलरेंस की नीति के तहत भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने का अभियान जोर-शोर से जारी है। देश ने एक कांग्रेस सांसद के यहां से सैकड़ों करोड़ रुपये कैश की रिकवरी हुई, तो एक सीटिंग मुख्यमंत्री के दिल्ली आवास से भी कैश बरामद हुए। दिल्ली में शराब घोटाले का खुलासा हुआ तो छत्तीसगढ़ में भी ‘महादेव-एप’ घोटाले ने जनता को हिलाकर रख दिया। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार में ये तो स्पष्ट हो गया कि जिन्होंने देश को लूटा है, उन्हें देश को उसका लूटा हुआ धन लौटाना ही पड़ेगा। भ्रष्टाचार के मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, भले ही वह कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो- ऐसी सोच देशवासियों में विकसित हुई है। देश को भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के लिए यह राष्ट्रीय महाधिवेशन अपने यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक अभिनंदन करता है।

कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति

लंबे समय से बार-बार देश तोड़ने वाली गतिविधियों को प्रश्रय देने का कार्य कांग्रेस का नेतृत्व करता आ रहा है। बीते दिनों कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में उप-मुख्यमंत्री के भाई और कांग्रेस से लोक सभा सांसद डी.के. सुरेश ने सरेआम दक्षिण भारत को अलग देश के रूप में मान्यता देने की विभाजनकारी मांग रखी। इस पर पूरा कांग्रेस नेतृत्व मौन साधे रहा।

सनातन संस्कृति के समर्थन में बातें करने पर जो कांग्रेस अपनी पार्टी से जुड़े एक हिंदू संत को निष्कासित कर देती है, वही कांग्रेस विभाजनकारी वक्तव्य देने वालों को संरक्षण देती है। साफ है कि कांग्रेस का हाथ विभाजनकारियों के साथ है।

देश-विदेश में हर प्रकार की विभाजनकारी शक्तियों से कांग्रेस नेताओं की वार्ता होती है। जो जॉर्ज पुनिया मां भारती का अपमान करते हुए लगातार बयान देता है, राहुल गांधी उसी से आशीर्वाद लेते हैं। कोयंबटूर बम कांड के अपराधियों को रिहा किया जाता है और ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का नारा लगाने वाले लोग कांग्रेसी कार्यक्रमों के चेहरे बनाए जाते हैं।

भारत द्रोही गतिविधियों को प्रायोजित करने वाले जॉर्ज सोरोस जैसे लोगों से कांग्रेस की गलबहियां साफ दिखाई देती है। विदेशी धरती पर जाकर विदेशी शक्तियों से भारत के लोकतंत्र में हस्तक्षेप की मांग की जाती है। पाकिस्तान से कांग्रेस नेता मोदी सरकार के खिलाफ मदद मांगते हैं और पाकिस्तान-परस्ती के गीत गाते हैं।

कांग्रेस के कई नेता पाकिस्तान में जाकर भारत विरोधी शक्तियों का आह्वान कर चुके हैं।
धारा 370 के निरस्तीकरण के समय लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी पाकिस्तान से सहमति मांगने की बात रखते हैं। बात यहीं नहीं रुकती है, पाकिस्तान धारा 370 के समर्थन में राहुल गांधी के बयान का उपयोग संयुक्त राष्ट्र संघ में दिए गए अपने डोजियर में करता है।

भारतीय संस्कृति पर आघात

अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर रामलला की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह का बहिष्कार करना विपक्ष की तुष्टीकरण की राजनीति की पराकाष्ठा है। कांग्रेस, सपा, राजद, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके समेत ‘इंडी गठबंधन’ के तमाम घटक दल श्रीराम मंदिर के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां करते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कहते हैं कि यदि 2024 में श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की वापसी होती है तो भारत में सनातन की सत्ता स्थापित हो जायेगी। उनके पुत्र और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे सनातन संस्कृति को कलंकित करने का हरसंभव प्रयास करते हैं। कांग्रेस के

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दस वर्ष में जितने भी ऐतिहासिक निर्णय लिए गए तथा विकसित भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कदम उठाए गए, उन सबका कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों ने विरोध किया। चाहे धारा-370 को निरस्त करने का विषय हो, तीन-तलाक पर कड़े कानून का विषय हो, नागरिकता संशोधन अधिनियम हो, आतंकवाद विरोधी कड़े कानून हों, जम्मू-कश्मीर में वंचित, दलित, आदिवासी एवं पिछड़ों को अधिकार देने का विषय हो, कांग्रेस ने हर कदम का विरोध किया

गठबंधन साथी डीएमके जब सनातन की डेंगू, मलेरिया और एड्स से तुलना करते हैं तो कांग्रेस के सांसद कार्ति चिदंबरम उसके समर्थन में बयान देते हैं।

‘इंडी गठबंधन’ के सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी के नेता लगातार सनातन के विरुद्ध जहर उगलते हैं। इस सूची में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया से लेकर राजेंद्र गौतम और गोपाल इटालिया तक उसके कई नेता हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करते हैं।

हर प्रगतिशील कदम का कांग्रेस द्वारा विरोध

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दस वर्ष में जितने भी ऐतिहासिक निर्णय लिए गए तथा विकसित भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कदम उठाए गए, उन सबका कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों ने विरोध किया। चाहे धारा-370 को निरस्त करने का विषय हो, तीन-तलाक पर कड़े कानून का विषय हो, नागरिकता संशोधन अधिनियम हो, आतंकवाद विरोधी कड़े कानून हों, जम्मू-कश्मीर में वंचित, दलित, आदिवासी एवं पिछड़ों को अधिकार देने का विषय हो, कांग्रेस ने हर कदम का विरोध किया। और तो और इसने समय-समय पर सेना के पराक्रम एवं उपलब्धियों पर प्रश्नचिह्न खड़े करने का प्रयास करके हमारे देश के जवानों का मनोबल तोड़ने का भी निंदनीय प्रयास किया।

कभी समर्थन, कभी विरोध की ढुलमुल राजनीति

विगत दस वर्षों में यदि हम देखेंगे तो हर मौके पर कांग्रेस पूर्व में जिन बातों का समर्थन करती थी, बाद में उनका विरोध करने लगी। जिस डिजिटल क्रांति के लिए वह अपनी पीठ थपथपाती थी, आज जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उसे जमीन पर उतारा गया तब कांग्रेस उसका विरोध करने लगी। ‘गरीबी हटाओ’ के झूठे नारे देने वाली कांग्रेस जब गरीबों के जन-धन बैंक खाते खुलने लगे, तब उसका विरोध करने लगी। यूपीआई हो या आधार इन सबका कांग्रेस ने विरोध किया। पूर्व में जिस जीएसटी की वह वकालत कर रही थी, जब वास्तविकता में लागू करने का समय आया तब उसका विरोध करने लगी। कांग्रेस शासनकाल में कई बार नए संसद भवन का प्रस्ताव आया, परंतु जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा नए संसद भवन का निर्माण एवं शुभारंभ किया गया, तब कांग्रेस ने इसका बहिष्कार किया। देखा जाए तो वास्तव में यह लोकतंत्र के मंदिर का अपमान था। पिछड़ा वर्ग के लिए घड़ियाली आंसू रोने वाली कांग्रेस अपने दस वर्षों के शासनकाल में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता नहीं दे पाई और पिछड़ा वर्ग आरक्षण का किस हद तक राजीव गांधी ने विरोध किया था, यह जगजाहिर है। जब पूरी दुनिया में कोविड महामारी फैली हुई थी और भारत अपने संकल्प और अनुशासन के बल पर इस महामारी से जूझ रहा था, तब न केवल कांग्रेस ने देश के मनोबल को तोड़ने का काम किया, बल्कि इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए उठाए जा रहे कदमों में अड़चन पैदा की। यहां तक कि इसने भारत में बनी ‘मेड इन इंडिया’ वैक्सीन का भी विरोध किया। यदि देखा जाए तो कांग्रेस प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए जा रहे ऐतिहासिक एवं परिवर्तनकारी हर कदम का विरोध करने पर आमादा है, चाहे इससे देश को क्षति ही क्यों न पहुंचे।

कांग्रेस द्वारा देश के संवैधानिक संस्थानों एवं वैज्ञानिकों का अपमान

देश की तमाम संवैधानिक संस्थानों का अपमान करना इंडी गठबंधन की पुरानी आदत है। न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और निर्वाचन आयोग के बारे में उल-जुलूल बयानबाजी करने से आगे बढ़कर देश के वैज्ञानिकों को भी कोसने में इंडी-गठबंधन के नेताओं को कोई संकोच नहीं है। देश के सेना प्रमुख को पहले ही ‘गुंडा’ जैसे शब्दों से नवाजा जा चुका है। अब कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे चंद्रयान की सफलता में अपना विशिष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों से भी पूछ रहे हैं कि चंद्र पर यान पहुंचने से क्या भूखों का पेट भरता है? कोविड काल में भी देश के वैक्सीन पर सवाल उठाकर भारतीय वैज्ञानिकों का अपमान तो किया है, साथ ही विदेशी कंपनियों के लिए लामबंदी करने का विफल प्रयास भी किया।

कांग्रेस की अपरिपक्व एवं गैर जिम्मेदार राजनीति

देश के संविधान, न्यायालय, संसद, चुनाव आयोग, ईवीएम और अन्य सम्मानित लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमले कर कांग्रेस लगातार अपनी दुरवस्था के लिए आत्मचिंतन से बचती रही है। जब भी कोई न्यायालय इसके विरुद्ध निर्णय देता है, ये न्यायालय को कोसते हैं और जब चुनाव हारते हैं तब चुनाव आयोग, फिर ईवीएम और यहां तक कि मतदाताओं तक को गाली देते हैं। परिणाम यह है कि राहुल गांधी विदेश में जाकर यहां तक कह रहे हैं कि भारत का लोकतंत्र खतरे में है तथा दूसरे देशों से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं। जहां एक ओर वे भारत, जो ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में जाना जाता है, का अपमान कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई चेतावनी के बाद भी वे उन्हीं गलतियों को दुहरा रहे हैं जिसके लिए उन्हें दंडित किया गया है। देश को अब भी याद है कि किस प्रकार से ‘चौकीदार चोर है’ जैसे बयानों के लिए उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में माफी मांगनी पड़ी थी। आज, जब कांग्रेस अपनी गलतियों से सीख लेने में असमर्थ है यह झूठ, प्रोपगेंडा एवं फरेब की राजनीति कर रही है। इस प्रकार की अपरिपक्व एवं गैर जिम्मेदार राजनीति से कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दल अपनी जग-हंसाई कर रहे हैं।

इंडी गठबंधन द्वारा हिंसा एवं अराजकता की राजनीति

इंडी गठबंधन में शामिल कांग्रेस एवं इसके अधिकांश सहयोगी देश में अराजकता एवं हिंसा की राजनीति में संलिप्त रहे हैं। अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल के संदेशखली में घटित दिल दहलाने वाली भयावह घटनाएं सामने आई हैं। तृणमूल कांग्रेस द्वारा पश्चिम बंगाल में लगातार भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर जनता की आवाज को हिंसा से दबाने का प्रयास किया जाता रहा है। इसी प्रकार केरल में सीपीआई-सीपीएम एवं इनके सहयोगी दलाें द्वारा भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या एवं हिंसा की अनेक घटनाएं हुई हैं। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल द्वारा जिस प्रकार का जंगलराज कायम किया गया था वह आज तक देश को याद है। जहां-जहां कांग्रेस की सरकारें थी वहां पर दलित, आदिवासी, महिला, किसान एवं आमजन को कई प्रकार के उत्पीड़न एवं प्रताड़ना सहनी पड़ी है। देश में जहां भी ‘आंदोलनों के नाम पर विभाजनकारी तत्वों द्वारा अराजकता के वातावरण के निर्माण के प्रयास होते हैं, कांग्रेस और इसके सहयोगी दल वहां आग में घी डालने सबसे पहले पहुंच जाते हैं। भाजपा का यह महाधिवेशन कांग्रेस एवं सहयोगी दलों के द्वारा की जा रही हिंसा एवं अराजकता की राजनीति के विरुद्ध देशभर में संघर्ष कर अपने प्राणों तक को न्योछावर करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं का अभिनंदन करता है। इस प्रकार की नकारात्मक राजनीति के विरुद्ध हम अपना संघर्ष जारी रखने का संकल्प लेते हैं।

कांग्रेस का पतन सुनिश्चित

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दल अयोध्या में भगवान श्रीरामलला की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ अनुष्ठान के राष्ट्रीय महत्व को नहीं समझ पाए। जहां पूरा देश इस पावन अवसर को एक त्योहार की भांति एकजुट होकर भगवान श्रीराम के प्रति श्रद्धावनत हो उत्सव मना रहा था, कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दल अपने सिद्धांतहीन राजनीति के कारण दूर रहे। कांग्रेस, जिसके आंखों पर वोट-बैंक की काली पट्टी बंधी हुई है, कभी भी किसी राष्ट्रीय विषय पर जनता के साथ खड़ी नहीं दिखती। इतना ही नहीं, किसी भी राष्ट्रीय महत्व का विषय, जिससे देश का गौरव एवं मान-सम्मान बढ़ता हो, उन पर कांग्रेस केवल बाधा उत्पन्न करने का शर्मनाक कार्य करती है। इसने न केवल श्रीराम मंदिर आंदोलन का विरोध किया, उसके रास्ते में रोड़े अटकाए, बल्कि इतना गिरे कि भगवान राम के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए। आज भी कांग्रेस में शायद इस बात का अफसोस है कि वह ‘रामसेतु’ को नहीं तोड़ पाई और अब अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण की सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रही है। अब जबकि लोग कांग्रेस एवं इसके सहयोगियों की अवसरवादी वोट-बैंक राजनीति को देख रहे हैं, इसमें कोई संदेह नहीं कि वे कभी इन्हें क्षमा नहीं करेंगे।

कांग्रेस का निरंतर पतन अब एक ऐसे दौर में इसे ले गया है जहां से इसका लौटना असंभव है। स्वतंत्रता के पश्चात् जिस प्रकार से इसका वैचारिक क्षरण शुरू हुआ, उसका परिणाम इसके संगठनात्मक बिखराब में हुआ। फलतः सत्ता-केंद्रित एवं सिद्धांतहीन राजनीति कांग्रेस के पतन का कारण बनी। आज यह राजनीति में हर प्रकार के दुर्गुण एवं बुराई की प्रतीक बनकर रह गई है। यह केवल वंशवादी राजनीति की अगुआ नहीं है, बल्कि वोट बैंक की राजनीति के कारण समाज को बांटने वाली जाति, क्षेत्र, संप्रदाय, भाषा और अन्य विखंडनकारी राजनीति की पर्याय बन गई है। आज जब जनता ने इसे सत्ता से बेदखल कर दिया है और हर चुनाव में सबक सीखा रही है, कांग्रेस दुष्प्रचार एवं झूठ की राजनीति का सहारा ले रही है। इसे लगता है कि बार-बार आधारहीन आरोपों को दुहराकर यह सत्ता में वापसी कर सकती है। जब तक यह रचनात्मक राजनीति से दूर रह लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान करती रहेगी तथा देश को तोड़ने वालों का समर्थन करेगी, जनता भी इसे चुनावों में सबक सिखाती रहेगी।

भाजपा का यह राष्ट्रीय अधिवेशन आह्वान करता है कि कांग्रेस एवं ‘इंडी-गठबंधन’ की स्वार्थ, परिवारवाद, भ्रष्टाचार, नकारात्मक एवं हताशा राजनीति को पराजित करें एवं ‘विकसित-भारत’ के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुदृढ़ नेतृत्व में एकजुट हों।

वंदे मातरम्! भारत माता की जय!!