त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में भाजपा लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल रही है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने चुनाव परिणामों के बारे में ‘कमल संदेश’ के एसोसिएट एडिटर विकास आनंद से बात की। बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे ‘डबल इंजन’ की सरकार ने प्रदेश में भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त किया। हम ‘कमल संदेश’ के सुधी पाठकों के लिए इस बातचीत के प्रमुख अंश प्रकाशित कर रहे हैं :
सबसे पहले आपको त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत की हार्दिक बधाई।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
प्रदेश में भाजपा को दूसरी बार जनता का आशीर्वाद मिला। एंटी-इनकंबेंसी के बजाय प्रो-इनकंबेंसी ने चुनाव में अपनी भूमिका निभाई? इसको लेकर आपका क्या दृष्टिकोण है?
केंद्र और प्रदेश में ‘डबल इंजन’ की सरकार ‘सुशासन’ में विश्वास करती है। त्रिपुरा में हमेशा से ‘बदले की राजनीति’ हावी रही है। हम उस माहौल को बदलने के लिए काम कर रहे हैं, जो कम्युनिस्ट संस्कृति से उपजा है। आप उस संस्कृति को पश्चिम बंगाल और केरल में देख सकते हैं। हमने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को इसे रोकने के लिए कहा।
हम यह नहीं कहेंगे कि राजनीतिक हिंसा बंद हो गई है, लेकिन पिछले दस महीनों में इसमें कमी जरूर आई है। विपक्ष जिस हिंसा को भड़का रहा है, उसे खत्म करने में समय लगेगा।
सुशासन और विकास प्रो-इनकंबेंसी के दो सबसे महत्वपूर्ण घटक बने। हमारी सरकार ने पहली बार त्रिपुरा में इन घटकों को संबोधित किया, जिसके परिणामस्वरूप प्रो-इनकंबेंसी लहर से हमारी जीत हुई।
यह चुनाव आपके कार्यकाल में संपन्न हुए, जाहिर है, मुख्यमंत्री के रूप में आपके कार्यकाल ने भी इस जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा इस शानदार जीत का श्रेय आप किसे देते हैं?
हम भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व, विकास के एजेंडे और सुशासन की अवधारणा को लेकर चुनाव में जनता के पास गए। जमीनी स्तर से लेकर पन्ना प्रमुख तक सभी कार्यकर्ताओं ने उत्साह के साथ चुनाव लड़ा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, श्री अमित शाह, श्री जगत प्रकाश नड्डा एवं अन्य वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में हम इन चुनावों में गए। इस जीत के लिए मैं भारतीय जनता पार्टी के सभी केंद्रीय और प्रदेश कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित वैचारिक चुनाव में पार्टी को विजयी बनाया।
इन चुनावों में मतदाताओं ने पूरे उत्साह के साथ मतदान किया। यह देखा गया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत अधिक रहा। महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़ने के क्या कारण हैं?
राजनीतिक रूप से त्रिपुरा अब एक बदला हुआ प्रदेश है। राजनीति में लोगों की सक्रियता बढ़ी है और आज नागरिक हर नुक्कड़ पर राजनीतिक चर्चा करते मिल जाते हैं। मतदान प्रतिशत के बढ़ने का एक प्रमुख कारण हमारे माननीय प्रधानमंत्री के प्रति जनता का प्यार, सम्मान और स्नेह है। प्रदेश में लोग नहीं चाहते कि वामपंथी दल का अपवित्र गठबंधन लौटे। हमारा एकमात्र मंत्र विकास रहा है और यह विशाल जनसमूह उस लक्ष्य के समर्थन में था। हमने ‘डबल इंजन’ सरकार के माध्यम से महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अनेक योजनाएं चलाईं, जिन पर उनका विश्वास कायम रहा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और पूर्वोत्तर राज्यों पर उनका विशेष ध्यान इस विधानसभा चुनाव को कितना प्रभावित किया?
2014 के बाद से प्रधानमंत्री जी की ‘लुक ईस्ट से एक्ट ईस्ट’ की नीति ने नि:स्संदेह उत्तर पूर्व क्षेत्र को सबसे आगे ला दिया है। इससे पहले, हमने शायद ही किसी केंद्रीय मंत्री को यहां आते देखा हो, लेकिन 2014 के बाद से लगभग हर हफ्ते, एक या एक से अधिक केंद्रीय मंत्रियों ने पूर्वोत्तर क्षेत्र का दौरा किया है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का एकमात्र एजेंडा सुशासन के साथ विकास करना है और इस एजेंडे का विधानसभा चुनाव पर खासा असर पड़ा। जमीनी स्तर पर सभी लोग मोदीजी के विशेष फोकस को पहचानते हैं। मैं आपको इस उत्तर पूर्वी क्षेत्र की यात्रा के लिए आमंत्रित करता हूं, इससे आपको पता चलेगा कि यहां प्रधानमंत्री जी को जनता ने कैसे स्वीकार किया है।
अब त्रिपुरा सामाजिक संकेतकों पर अच्छा कर रहा है। राजनीतिक हिंसा में कमी आ रही है। आपकी सरकार इस बदलाव के लिए क्या प्रयास कर रही है?
हम सुशासन पर फोकस कर रहे हैं, ‘अमर सरकार’ जैसे प्लेटफॉर्म ने लोगों को ताकत दी है। हम 2000 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से लगभग 3.8 लाख लाभार्थी को सामाजिक पेंशन देने वाला पहला प्रदेश बन गये हैं। विकास के ‘हीरा मॉडल’ के माध्यम से राजमार्ग, इंटरनेट, रेलवे और वायुमार्ग को मजबूत किया गया है। हम प्रदेश में नशीले पदार्थों की आपूर्ति पर अंकुश लगाने में सफल रहे हैं। लोगों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए प्रशासन और नागरिकों के बीच अच्छे संबंध स्थापित किये गये हैं। इन सभी कारकों ने कहीं न कहीं प्रदेश के सामाजिक संकेतकों को बेहतर बनाने में मदद की है।
जैसा कि एनसीआरबी में कहा गया है, सभी प्रकार की आपराधिक गतिविधियों में कमी आई है। हम किसी भी प्रकार की हिंसा के लिए ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपना रहे हैं। इन सब बातों से प्रदेश की जनता का विश्वास बढ़ा है और इसलिए हमें ‘परिवर्तन की सरकार’ के रूप में जाना जाता है।