नरेन्द्र मोदी: ‘एक भारत—श्रेष्ठ भारत’ के शिल्पकार

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 70वें जन्मदिवस पर विशेष लेख

 -योगी  आदित्यनाथ

नायको यस्य राष्ट्रस्य धृतिमान् मतिमान् भवेत्।
उन्नतिस्तस्य राष्ट्रस्य जायते नात्र संशयः।।

अर्थात् जिस राष्ट्र का नायक धैर्यशाली, बुद्धिमान होता है, उस राष्ट्र की सदैव उन्नति होती है, इसमें संशय नहीं है।

उक्त भावनाओं को समेकित रूप में देखना है तो भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का व्यक्तित्व इसमें स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। राष्ट्रभावों से ओतप्रोत, मां भारती के प्रति समर्पण की प्रतिमूर्ति, जनगण के मर्म को सम्मान देने वाले जननायक, मातृशक्ति और मातृभूमि के अगाध श्रद्धाभाव सम्पन्न प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन, उनके विचार और उनके संकल्प का ही परिणाम है कि जो राष्ट्र पिछले 70 वर्षों से बहुत लोकाचारों के तटबंधों के बीच ठहरा हुआ था, वह अब ‘एक भारत—श्रेष्ठ भारत’ बनकर सम्पूर्ण विश्व हर कदम पर उसकी तरफ देखने के लिए विवश है।

‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ के भाव को प्रधानमंत्री मोदीजी ने न केवल अपनाया बल्कि दोनों के प्रति अपने कर्तव्यों का पवित्रता के साथ निर्वहन भी किया। ‘बेटी बचाओ—बेटी पढ़ाओ’ के माध्यम से बेटियों के न केवल अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित किया बल्कि उन्हें सामाजिक और वित्तीय रूप से सक्षम एवं स्वावलम्बी बनाने का सत्कार्य भी किया। 2014 के पहले मातृ शक्ति के सम्मान की सिर्फ बातें होती थीं। स्वच्छ भारत अभियान ने उनके उस मान की रक्षा ही नहीं की बल्कि नारी गरिमा की रक्षा के साथ ही बालिकाओं के स्कूल ड्राॅप रेट को रोककर उन्हें शिक्षित और कुशल बनाया ताकि वे अपने स्वाभिमान की रक्षा स्वयं कर सकें। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने मातृशक्ति को न केवल कार्बनजनित बीमारियों से बचाया बल्कि उन्हें सामाजिक गौरव की अनुभूति भी करायी। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री धनलक्ष्मी योजना, फ्री सिलाई योजना, बालिका अनुदान योजना, विद्या लक्ष्मी शिक्षा ऋण योजना और प्रधानमंत्री श्री मातृवंदना योजना जैसी बहुत सी योजनाएं हैं जो मातृशक्ति को कुशल, प्रतिस्पर्धी, आत्मनिर्भर और सशक्त बनाकर नारी शक्ति को राष्ट्रशक्ति का पूरक बनाने में समर्थ हैं।

आजादी के पहले से ही हमारे राष्ट्रनायक अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति की बात करते आए हैं। लेकिन आजादी के 70 वर्षों में इसे कोई भी जमीन पर नहीं उतार पाया किन्तु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसे जमीन पर उतारा भी और उसकी अनुभूति भी करायी। जनधन जैसी योजनाओं ने जब इस अंतिम व्यक्ति को राष्ट्र की वित्तीय व्यवस्था से सीधे जुड़ने का अवसर दिया तो पहली बार उसे यह अनुभूति हुई कि राष्ट्र के बैंक उनके लिए हैं और वह राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की एक इकाई है। इससे भी महान कार्य है भारत के जन के भाव को समझना और उसे राष्ट्रभाव से जोड़ना। जनोत्थान को राष्ट्रोत्थान की थाती बनाना। सभी को एक प्रकार से और एक जैसा सोचने के लिए प्रेरित करना। अंत्योदय को राष्ट्रोदय के सांचे में ढालना। यह सिर्फ मोदी जी ही कर सकते थे। सच में, महाकुंभ के समय गंगा के तट पर जब वे उन स्वच्छताकर्मियों, जिनसे जनसामान्य भी दूरी बनाए रखता है, के पांव पखार रहे थे तो सही अर्थों में वे अंत्योदय से राष्ट्रोदय तक की भारत की यात्रा को सम्पन्न कर रहे थे।

प्रधानमंत्री मोदीजी आज के युग में राष्ट्रनीति के प्रतिबिम्ब हैं। उनकी दूरदृष्टि राष्ट्र को जीवंत और समर्थ बनाती है। कोरोना की महामारी में आज हम जिन वजहों से स्वयं को बचाने में सफल हो रहे हैं, उन्हें प्रधानमंत्री ने आज से 5-6 वर्ष पहले ही अपनाने के लिए प्रेरित किया था। कोरोना महामारी में सबसे कारगर मंत्र स्वच्छता का है, जबकि प्रधानमंत्री जी ने 02 अक्टूबर 2014 में ही इसे अभियान के रूप में शुरू कर दिया था। कोरोना काल में शिक्षा से लेकर व्यवस्था तक और चिकित्सा से लेकर अध्यात्म तक का सबसे सशक्त माध्यम वर्चुअल प्लेटफार्म साबित हुआ। जबकि प्रधानमंत्री जी ने 6 साल पहले ही डिजिटल इंडिया की सशक्त नींव रख दी थी। प्रधानमंत्री जी ने भारत के प्रत्येक जन के मन को छुआ और उसकी आवश्यकताओं को ही नहीं बल्कि आकांक्षाओं को भी ध्यान में रखते हुए योजनाएं शुरू कीं। आज जब वे अपने जीवन के 70 वर्ष पूरे कर रहे हैं उन्हें भारत को 70 से अधिक ऐसी योजनाएं देने का श्रेय जाता है जो भारत के जन गण के साथ-साथ भारत राष्ट्र के उन्नयन का इतिहास लिख रही हैं।

2014 से पहले दो विशिष्ट विचारधाराओं ने एकेडमीशिया पर कब्जा कर रखा था। इसके चलते भारत अपने मूल चरित्र से लम्बे समय तक वंचित रहा। इस कारण से वैश्विक मंचों पर भारत की साख घटी और वैश्विक वैचारिकी में भारत के लिए साॅफ्ट स्टेट यानी कायर राज्य जैसे शब्द का प्रयोग किया जाने लगा। प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने कर्मठता, अपने व्यक्तित्व के प्रभाव, अपने विचारों और कूटनीतिक क्षमता से भारत राष्ट्र और उसके 135 करोड़ लोगों के मान और सम्मान को पुनप्रर्तिष्ठित किया। जो अमेरिका कभी उन्हें वीजा देने से ऐतराज कर रहा था उसी अमेरिका ने टाइम्स स्क्वायर पर प्रधानमंत्री जी के स्वागत को देखा और भारत की जीवंत शक्ति को भी। उसी अमेरिका ने हाउडी मोदी कार्यक्रम में भारत को एक विजेता के रूप में देखा, जहां दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्र के राष्ट्रपति को भारत के प्रधानमंत्री के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए देखा गया। प्रधानमंत्री ने पड़ोसी प्रथम नीति के जरिए भारत के पड़ोसी राज्यों को वह सम्मान दिया जिसके वे हकदार थे और वर्षों से उसकी अपेक्षा करते आए थे। हमारी एक्ट ईस्ट और पीवोट टू वेस्ट ने पूरब और पश्चिम के बीच एक महान सेतु का काम किया। इसी का परिणाम है कि जिस ओआईसी ने भारत को पाकिस्तान के दबाव में आमंत्रण तक नहीं दिया था उसी ओआईसी ने पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत के लिए पलक पांवड़े बिछाए।

कई अरब देशों द्वारा प्रधानमंत्री जी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया जो यह बताता है कि प्रधानमंत्री सार्वभौम एवं सर्वस्वीकार्य व्यक्तित्व हैं। आज के दिन दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है जो भारत से जुड़ना नहीं चाहता, जो भारत के साथ मिलकर चलना नहीं चाहता और जो भारत के साथ नयी विश्वव्यवस्था में नवनिर्माणों को सम्पन्न नहीं करना चाहता। इसका श्रेय सिर्फ प्रधानमंत्री को जाता है, यह उन्हीं के व्यक्तित्व और कृतित्व के कारण ही संभव हुआ है।

अयोध्या और कश्मीर दो ऐसे विषय हैं जो पूरे भारतीय जनमानस के मन को प्रायः कचोटते थे। अयोध्या सही अर्थों में लगभग 500 वर्षों से गुलामी जैसा अभिशाप झेल रही थी। भगवान श्रीराम के जन्मस्थान को मुक्त कराने के लिए हिन्दू समाज प्राणों की आहुतियां देता चला आ रहा था। 5 अगस्त 2020 को जब प्रधानमंत्री ने श्रीराम मंदिर की नींव रखी तो ऐसा लगा कि ऋषियों, यतियों और योगियों द्वारा किया जाने वाला राष्ट्रयज्ञ सम्पन्न हुआ। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 दशकों से भारतीय मानस को आहत करता था क्योंकि इसके रहते ’एक भारत—श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना अधूरी थी। प्रधानमंत्री ने अपने दृढ़संकल्प और अपनी प्रबल राजनीतिक इच्छा से इसे हटाकर राष्ट्रनायक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ‘एक निशान, एक विधान, एक प्रधान’ के संकल्प को साकार किया।

वैश्विक महामारी कोराना की विभीषिका के सम्मुख जब अनेक विकसित राष्ट्र पूरी तरह से पस्त थे उस दुस्साध्य कालखण्ड में प्रधानमंत्री श्री मोदी की दूरदर्शिता, कुशल नियोजन तथा बड़े और कड़े निर्णय लेने की क्षमता के कारण ही आज ‘जान और जहान’ दोनों सुरक्षित हैं।

आजादी के बाद के लम्बे कालखण्ड में भारत कुछ लोकाचारों से मुक्त नहीं हो पाया था, जिसमें सबसे बड़ा पक्ष था अर्थव्यवस्था के साथ नये एवं अन्वेषी आयामों का न जुड़ पाना। प्रधानमंत्री ने जनधन योजना के माध्यम से वित्तीय समावेशन की नींव रखी, डिजिटल इण्डिया के द्वारा अर्थव्यवस्था को अनौपचारिक से औपचारिक अर्थव्यवस्था में बदला और साथ ही भारत को टैक्नोलाॅजिकल कोआॅपरेटिव फेडरलिज्म के सांचे में ढाला। जीएसटी के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में एक नए युग की शुरुआत हुई और ‘वन टैक्स वन नेशन’ के साथ ही आर्थिक कड़ियां मजबूत हुईं और भारत एक प्रतिस्पर्धी, टैक्नोलाॅजिकल और स्किल्ड राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ा।

यह मेरा सौभाग्य है कि शुचिता, संस्कार, संवेदना और सेवा की समृद्ध परम्परा के जाज्वल्यमान प्रतीक पुरुष आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमें जनसेवा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि ‘एक भारत—श्रेष्ठ भारत’ के शिल्पकार आदरणीय प्रधानमंत्री जी का सान्निध्य हमें आजीवन ऐसे ही प्राप्त होता रहे। लक्ष्य अंत्योदय, प्रण अंत्योदय, पथ अंत्योदय का संकल्प सुफलित हो रहा है, यही आत्मनिर्भर भारत का वास्तविक मंत्र है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को जन्मदिवस की कोटि-कोटि बधाई। आपके सुदीर्घ यशस्वी और सुखद जीवन की कामना के साथ—

ध्रुवं ते राजा वरूणो ध्रुवं देवो बृहस्पतिः।
ध्रुवं त इन्द्रश्चाग्निश्च राष्ट्रं धारयतां ध्रुवम।।

(ऋग्वेद 10वां मण्डल, सूक्त 5)

(लेखक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)