अगले एक हजार वर्षों के लिए ‘रामराज्य’ की स्थापना का उद्घोष

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अगले एक हजार वर्षों के लिए
‘रामराज्य’ की स्थापना का उद्घोष

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय भाजपा राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन 18 फरवरी, 2024 को ‘राम मंदिर पर वक्तव्य’ प्रस्तुत किया।

श्री नड्डा ने कहा कि यह अधिवेशन विरासत और विकास की साझा ताकत को अपने दृढ़ संकल्पित प्रयासों के माध्यम से इसे नए भारत की पहचान बनाने वाले माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनन्दन करता है और सम्पूर्ण भारत को राममय बनाने के लिए प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद करता है। अयोध्या में जन-जन की भावनाओं का प्रतीक बने प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर से जुड़े इस वक्तव्य काे अंगीकार करते हुए हम सभी बहुत गौरवान्वित हैं।

हम यहां श्री नड्डा द्वारा प्रस्तुत ‘राम मंदिर पर वक्तव्य’ का पूरा पाठ प्रकाशित कर रहे हैं:

जय सियाराम…

प्राचीन पावन नगरी अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली पर उनके भव्य-दिव्य मंदिर का निर्माण देश के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवशाली उपलब्धि है। यह नए ‘कालचक्र’ के उद्भव के साथ भारत के लिए अगले एक हजार वर्षों के लिए ‘रामराज्य’ की स्थापना का उद्घोष है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के यशस्वी नेतृत्व में प्रभु श्रीरामलला की अलौकिक प्राण-प्रतिष्ठा के सफलतम आयोजन हेतु भारतीय जनता पार्टी का यह अधिवेशन माननीय प्रधानमंत्री जी का हार्दिक अभिनंदन करता है।

श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का समारोह राष्ट्र उत्सव के रूप में मनाया गया, जो कि एक नए युग की शुरुआत बनकर उभरा है। राम मंदिर भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर बन गया है। श्रीराम मंदिर सही अर्थों में राष्ट्र चेतना का मंदिर बन गया है। भक्ति के रंग में रंगा चुके गांव और हर ओर फैल चुकी ‘जय जय श्रीराम’ की मधुर ध्वनि के बीच प्रभु श्रीराम की दिव्य प्राण-प्रतिष्ठा को देखकर हर भारतीय आह्लादित है। इस संस्कृति-प्रधान देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस ऐतिहासिक क्षण को भव्यता प्रदान की और उत्सव का एक विराट वातावरण निर्मित कर दिया।

भारतीय जनता पार्टी का यह संकल्प था कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। प्रभु श्रीराम की कृपा से इस ऐतिहासिक मंदिर के भूमि पूजन और प्राण प्रतिष्ठा, दोनों पवित्र कार्य का सौभाग्य माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को प्राप्त हुआ।

9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम-कोर्ट के निर्णय के उपरांत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बिना देर किए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र का गठन किया, जिसके परिणामस्वरूप श्रीराम मंदिर निर्माण का कार्य त्वरित गति से चला और महज चार साल के अंदर श्रीराम रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को संपन्न हुई।

22 जनवरी का दिन करोड़ों रामभक्तों की आकांक्षा व सिद्धि, भारत की आध्यात्मिक चेतना के पुनर्जागरण और महान भारत की यात्रा की शुरुआत का दिन है। प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से 22 जनवरी का दिन सभी भारतीयों और दुनिया भर में फैले रामभक्तों के लिए एक पवित्र अवसर बन गया। जिस कल्पना को अनेक पीढ़ियों ने सैकड़ों वर्षों तक एक संकल्प की तरह अपने हृदय में संजोये रखा, उस संकल्प की सिद्धि ऐसे समय में हुई है जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राष्ट्र विकसित भारत के लक्ष्यों की प्राप्ति करने की दिशा में अग्रसर है। अयोध्या का भव्य-दिव्य राम मंदिर हर भारतीय की चेतना में अंकित हुआ है और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि का प्रतिबिम्ब बन गया है।

गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर खड़े हो रहे राष्ट्र, अतीत के हर अंश से प्रेरणा लेते हुए ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने में हमारी सरकार ने अभूतपूर्व तथा उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। बीते दस वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपनी अगुआई में भारत की आध्यात्मिक विरासत को देश की एकता के साथ जोड़ने का कार्य किया। धर्म के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के जरिए उन्होंने कई ऐसे कार्यक्रम शुरू किए, जो भारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा रहे हैं।

गौरतलब है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति के कण-कण में प्रभु श्री राम, माता सीता और रामायण रचे-बसे हैं। हमारे लोकतांत्रिक मूल्य और सभी के लिए न्याय को समर्पित हमारा संविधान, रामराज्य के आदर्शों से प्रेरित रहा है। भारत के संविधान की मूल प्रति में भी मौलिक अधिकारों के खंड पर भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी का विजय के पश्चात् अयोध्या

गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर खड़े हो रहे राष्ट्र, अतीत के हर अंश से प्रेरणा लेते हुए ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने में हमारी सरकार ने अभूतपूर्व तथा उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। बीते दस वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपनी अगुआई में भारत की आध्यात्मिक विरासत को देश की एकता के साथ जोड़ने का कार्य किया

लौटने के बाद का जो चित्र बना हुआ है, वह इस बात का प्रमाण है कि मौलिक अधिकारों के प्रेरणास्रोत भगवान श्रीराम हैं। रामराज्य का आदर्श पूज्य बापू के भी हृदय में बसा था। महात्मा गांधी कहते थे कि रामराज्य का विचार ही सच्चे लोकतंत्र का विचार है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर चलते हुए देश में सुशासन को स्थापित कर रामराज्य की भावना को सच्चे अर्थों में चरितार्थ किया है। ‘विकसित भारत’ के निर्माण में जिन संकल्पों को हमने आत्मसात् किया है उसकी पूर्ति में प्रभु श्रीराम का मंदिर एक निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेगा।

हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने भगवान श्रीराम से जुड़े इस पावन अवसर पर पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने में अतुलनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने श्री रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के लिए पूरे समर्पित भाव से कठिन यम-नियमों का पालन किया। इस दौरान वे नासिक से लेपाक्षी और त्रिप्रयार से लेकर रामेश्वरम तक प्रभु श्रीराम से जुड़े महत्वपूर्ण तीर्थ स्थानों पर भी गए और राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया। इस यात्रा से एक अद्भुत, आध्यात्मिक चेतना की जागृति समग्र जनमानस में हुई है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस अनुष्ठान में शामिल होने एवं इसकी गरिमा व पवित्रता का विशेष ध्यान रखा। इस ऐतिहासिक, अभूतपूर्व संकल्प की सिद्धि में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों और उनकी तपस्या के लिए भी यह महाधिवेशन प्रधानमंत्री जी का साधुवाद करता है।

आज देश हर्षित है, राममय है, राम की ऊर्जा, राम का तेज देश के मन मंदिर में विराजित हो गया है। राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण, तर्पण, संघर्ष, बलिदान तथा संकल्प और सिद्धि का समावेश था। अतएव यह महाधिशेन पूरी एकता, श्रद्धा और भक्तिभाव से इस अवसर पर देशवासियों के उल्लास और उमंग में शामिल हैं, साथ ही इस वक्तव्य के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनन्दन करता है और सराहना करता है। देश की विकास यात्रा में यह एक अविस्मरणीय क्षण है, जो भारत के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

निःसंदेह श्रीराम मंदिर के निर्माण का अनुष्ठान इसलिए भी संपन्न हो सका, क्योंकि इस अनुष्ठान के कारक प्रधानमंत्री जी पर श्रीराम की कृपा है। आजादी के अमृतकाल में दृढ़ संकल्प शक्ति से परिपूर्ण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। भगवान श्रीराम ने अपने वचन में, अपने विचारों में जिन मूल्यों को गढ़ा, वही ‘सबका साथ-सबका विकास’ की प्रेरणा और ‘सबका विश्वास-सबका प्रयास’ का आधार है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत की एकता और एकजुटता को जनभागीदारी की शक्ति मिली है। उन्होंने अपनी नीतियों और नेतृत्व से राष्ट्र का मनोबल ऊंचा किया है। इस हेतु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अभिनन्दन के पात्र हैं।

बीते दस वर्षों में भारतीय सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक गौरव पुनर्स्थापित हुआ है। यह अधिवेशन विरासत और विकास की साझा ताकत को अपने दृढ़ संकल्पित प्रयासों के माध्यम से इसे नए भारत की पहचान बनाने वाले माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनन्दन करता है और सम्पूर्ण भारत को राममय बनाने के लिए प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद करता है। अयोध्या में जन-जन की भावनाओं का प्रतीक बने प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर से जुड़े इस वक्तव्य का अंगीकार करते हुए हम सभी बहुत गौरवान्वित हैं।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सर्वस्पर्शी तथा समावेशी विकास के लक्ष्य को रामराज्य की भावना से पूर्ण कर रहा है।

जय जय सियाराम…