प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व में भारत वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण नीति निर्धारक के रूप में उभरा

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विकास आनन्द

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हाल ही में यूरोप की यात्रा से लौटे हैं। इस यात्रा के दौरान उन्होंने विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय बैठकों में भाग लिया। बर्लिन में छठे भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श में भाग लेने के अलावा श्री मोदी ने डेनमार्क का दौरा भी किया और पेरिस जाने से पहले भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने अपने मेजबान फ्रांस के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन से पहले कोपेनहेगन में डेनमार्क, फिनलैंड, स्वीडन, आइसलैंड और नॉर्वे के नेताओं से भी मुलाकात की।

‘मोदी युग’ में यूरोप और भारत के संबंध एक बदलते परिदृश्य का गवाह बने हैं और यूरोपीय देश भारत के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ रहे हैं। दोनों पक्षों की यह निकटता महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और विदेशी धरती पर रहने वाले भारतीयों की प्राथमिकताओं में बदलाव आया है। वे अब अमेरिका के बजाय यूरोप को पसंद कर रहे हैं, जो इनके बीच यूरोपीय संघ के ब्लू कार्ड को प्राप्त करने की चाहत से बयान होता है।

‘मोदी युग’ में यूरोप और भारत के संबंध एक बदलते परिदृश्य का गवाह बने है और यूरोपीय देश भारत के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ रहे हैं। दोनों पक्षों की यह निकटता महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और विदेशी धरती पर रहने वाले भारतीयों की प्राथमिकताओं में बदलाव आया है

भारत-यूरोपीय संघ के रिश्तो के विशेषज्ञ प्रोफेसर गुलशन सचदेवा ने प्रधानमंत्री की यात्रा पर टिप्पणी करते हुए कहा, “भारतीयों को सबसे अधिक ईयू ब्लू कार्ड प्राप्त हो रहे हैं, जिनका उद्देश्य यूरोप में अत्यधिक कुशल पेशेवरों को आकर्षित करना है। जर्मनी ने यूरोपीय संघ के भीतर सबसे बड़ी संख्या में ब्लू कार्ड जारी किए हैं और इनमें से एक चौथाई से अधिक कार्ड भारतीयों को जारी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त भारत और फ्रांस भी प्रवास और गतिशीलता समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। दोनों देशों ने प्रवास और गतिशीलता पर साझेदारी समझौते को लागू करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखायी है, जो 1 अक्टूबर, 2021 को अमल में आया। प्रधानमंत्री श्री मोदी की यात्रा के दौरान जर्मनी ने ‘व्यापक प्रवास और गतिशीलता साझेदारी पर समझौते की शुरुआत पर भी हस्ताक्षर किए। इन उपायों से भारत और यूरोपीय देशों के नागरिकों के बीच संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में शिक्षा, संस्कृति, गतिशीलता और पर्यटन के माध्यम से नागरिको के बीच मजबूत संपर्कों पर भी जोर दिया गया।

भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत पर्यावरण की कीमत पर अपना विकास नहीं चाहता है। इसलिए मोदी सरकार स्वच्छ ऊर्जा संचालित विकास पर जोर देती है। यह यात्रा हरित ऊर्जा के क्षेत्र में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण सहयोग की गवाह बनी। कॉप-21 में संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन शुरू करने के सात वर्षों के बाद भारत और फ्रांस की जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता पहले से कहीं अधिक मजबूत हुई है। चूंकि अक्षय ऊर्जा आधारित विकास एक महत्वपूर्ण समाधान है, इसलिए भारत और फ्रांस ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपना निरंतर समर्थन जारी रखने की बात कही है। दोनों ने नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन एवं सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा तक पहुंच में बनाने के लिए जी—7 के माध्यम से ऊर्जा विकल्पों पर गौर करने पर भी सहमति व्यक्त की।

स्वच्छ ऊर्जा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए भारत ने अपने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के माध्यम से भारत को हरित हाइड्रोजन हब बनाने की पहल में शामिल होने के लिए फ्रांस को आमंत्रित किया। दोनों पक्ष मजबूत औद्योगिक साझेदारी बनाने के लिए हाइड्रोजन के विनियमन, प्रमाणन और मानकीकरण से संबंधित पहलुओं सहित डीकार्बोनाइज्ड हाइड्रोजन पर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक हैं और इस सहयोग को जल्द ही आगे बढ़ाने के लिए एक रोडमैप को अंतिम रूप देने पर सहमत हुए हैं। दोनों पक्ष एक एकीकृत आपूर्ति शृंखला के साथ एशियाई और यूरोपीय बाजारों की मांग को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए औद्योगिक साझेदारी स्थापित करने के लिए सहयोग करेंगे। जर्मनी के साथ, भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा में विकास और सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों ने वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और पूर्व-औद्योगिक स्तरों से तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को जारी रखने की बात कही, जिससे अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलेगा। डेनमार्क में प्रधानमंत्री सुश्री मेटे फ्रेडरिकसेन और श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप की प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान दोनों नेताओं ने अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से अपतटीय पवन ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन में सहयोग पर सहमति बनी।

भारत और नॉर्डिक देशों ने भी जलवायु परिवर्तन को लेकर सहयोग को गहरा करने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की।

प्रधानमंत्री की यात्रा ‘आत्मनिर्भर भारत’ की प्रगति का भी गवाह बनी। इसके तहत मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) और फ्रांस के नेवल ग्रुप की सझेदारी में पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है। मुंबई में एमडीएल में निर्मित छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियां इस बात को दर्शाती हैं कि किस हद तक “मेक इन इंडिया” पहल के अनुरूप फ्रांस से भारत में प्रौद्योगिकी स्थानांतरित की गई है। द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोनों पक्ष ‘आत्मनिर्भर भारत’ कार्यक्रम में फ्रांस की गहरी भागीदारी के लिए रचनात्मक तरीके खोजने पर सहमत हुए, जिसके माध्यम से उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी, विनिर्माण और निर्यात के साथ-साथ औद्योगिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने की बात शामिल है।

भारत और यूरोपीय देशों ने लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन और मानवाधिकार जैसे विषयों पर विचारों को साझा किया, इसके साथ ही वैश्विक चुनौतियों के संदर्भ में बहुपक्षीय प्रतिक्रियाओं पर चर्चा की। जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में भारत की भूमिका उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गयी है।

जेएनयू में अध्ययापन कर रहे अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकार प्रोफेसर शक्ति प्रसाद श्रीचंदन कहते हैं, “ यूरोपीय देश और यूरोपीय संघ इंडो पैसिफिक में सुरक्षा शक्तियों के रूप में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। वे अन्य समान विचारधारा वाली क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों के साथ भू-रणनीतिक “बोझ साझाकरण” चाहते हैं। उनके लिए मूल्यों और हितों में समानता के कारण भारत एक विश्वसनीय क्षेत्रीय भागीदार के रूप में उभरा है। भारत की विदेश नीति में यूरोप पर मोदी सरकार का बढ़ता जोर भी इंडो पैसिफिक की ओर इस झुकाव को और मजबूत कर रहा है।

यूक्रेन संकट पर अलग रुख भारत की गहरी होती दोस्ती और यूरोपीय देशों के साथ जुड़ाव के आड़े नहीं आ सकी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के राजनयिक कौशल और नेताओं के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध स्थापित करने के प्रयास भारत को अन्य राष्ट्रों के करीब लाता हैं, जो भारत को नीति निर्धारक के तौर पर स्थापित करता हैं।