‘वीर बाल दिवस’ राष्ट्र के लिए एक नई शुरुआत का दिन है : नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री ‘वीर बाल दिवस’ पर आयोजित ऐतिहासिक कार्यक्रम में हुए शामिल

‘वीर बाल दिवस’ हमें देश के सम्मान की रक्षा के लिए दस सिख गुरुओं के महान योगदान
और सिख परंपरा के बलिदान का स्मरण कराएगा

त 26 दिसंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘वीर बाल दिवस’ के ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री लगभग तीन सौ बाल कीर्तनियों द्वारा किए जा रहे ‘शब्द कीर्तन’ में शामिल हुए। श्री मोदी ने इस महत्वपूर्ण अवसर पर दिल्ली में लगभग तीन हजार बच्चों द्वारा किए जा रहे मार्च-पास्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

9 जनवरी, 2022 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों— साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत की स्मृति में ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत आज पहला ‘वीर बाल दिवस’ मना रहा है। यह राष्ट्र के लिए एक नई शुरुआत का दिन है, जब हम सभी अतीत में दिए गए बलिदानों के लिए अपने सिर झुकाने के लिए एक साथ मिलकर आगे आते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि शहीदी सप्ताह और वीर बाल दिवस भावों से भरा जरूर है, लेकिन ये अनंत प्रेरणा का स्रोत भी है।

श्री मोदी ने कहा कि वीर बाल दिवस हमें यह स्मरण कराएगा कि जब अत्यधिक वीरता और बलिदान की बात आती है, तब उम्र कोई मायने नहीं रखती है। वीर बाल दिवस हमें राष्ट्र के सम्मान की रक्षा के लिए दस सिख गुरुओं के अपार योगदान और सिख परंपरा द्वारा दिए गए बलिदान की याद दिलाएगा।

उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस हमें बताएगा कि भारत क्या है और इसकी पहचान क्या है। हर वर्ष वीर बाल दिवस हमें अपने अतीत को पहचानने और अपना भविष्य बनाने के लिए भी प्रेरित करेगा। यह हमारी युवा पीढ़ी की ताकत के बारे में भी सभी को याद दिलाएगा। प्रधानमंत्री ने वीर साहिबजादों, गुरुओं और माता गुर्जरी को कृतज्ञ श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि मैं इसे अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि हमें 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में घोषित करने का अवसर मिला।

श्री मोदी ने कहा कि एक तरफ थी आतंक की पराकाष्ठा और मजहबी कट्टरता थी, तो दूसरी ओर प्रत्येक मनुष्य में ईश्वर को देखने की आध्यात्मिकता और उदारता चरम पर थी। प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि इन सबके बीच मुगलों के पास लाखों की फौज थी, जबकि गुरु के वीर साहबजादों के पास साहस और हिम्मत थी। वे अकेले होते हुए भी मुगलों के आगे नहीं झुके। यह तब है जब मुगलों ने उन्हें जिंदा दीवार में चिनवा दिया था। यह उनकी वीरता ही है जो सदियों से प्रेरणा का पुंज रही है।

राष्ट्र प्रथम का संकल्प— गुरु गोबिंद सिंह जी का अटल संकल्प

श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्र प्रथम का संकल्प— गुरु गोबिंद सिंह जी का अटल संकल्प था। प्रधानमंत्री ने उनके परिवार के अपार व्यक्तिगत बलिदान का स्मरण करते हुए इस बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्र प्रथम’ की यह परंपरा हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा पुंज है।

श्री मोदी ने टिप्पणी की कि भारत की आने वाली पीढ़ियों का भविष्य उनके प्रेरणास्रोत पर निर्भर करेगा। भारत, भक्त प्रह्लाद, नचिकेता और ध्रुव, बलराम, लव-कुश और बाल कृष्ण जैसे प्रेरक बच्चों के असंख्य उदाहरणों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक बहादुर लड़के और लड़कियां भारत के शौर्य का प्रतिबिंब रहे हैं।

श्री मोदी ने यह आश्वासन देते हुए कहा कि नया भारत अपनी लंबे समय से खोई हुई विरासत को पुन:स्थापित करते हुए बीते दशकों की गलतियों को सुधार रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी राष्ट्र के मूल्यों को तभी संरक्षित किया जा सकता है जब मौजूदा पीढ़ियों को अपनी भूमि के इतिहास की स्पष्टता ज्ञात हो।