‘गुरु गोबिंद सिंह ने अपने आदर्शों एवं सिद्धांतों से देश पर बड़ा उपकार किया’

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प्रकाशोत्सव जबलपुर (मप्र)

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने 8 जनवरी को जबलपुर (मध्य प्रदेश) के शिवाजी मैदान में आयोजित गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव के कार्यक्रम में भाग लिया और इस अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित किया।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आज बहुत ही पवित्र मौक़ा है, आज हम सब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व के वर्ष में एकत्रित हुए हैं। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने आदर्शों एवं सिद्धांतों से देश पर बहुत बड़ा उपकार किया, इस तरह की मिसालें इतिहास में बहुत ही कम देखने को मिलती हैं। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन का जोड़ मिलना बहुत मुश्किल है, ईश्वर भी एक ही व्यक्ति में अनेकों प्रकार के गुण बहुत कम ही देता है, ऐसा बहुआयामी व्यक्तित्त्व था उनका। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी एक साथ ही एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक युगपुरुष थे।

श्री शाह ने कहा कि निस्संदेह गुरु गोबिंद सिंह जी अपने काल-खंड के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक थे, उन्होंने एक भाषा में नहीं बल्कि संकृत, ब्रज, गुरुमुखी, हिन्दी, फारसी – कई भाषाओं में साहित्य की रचना की। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति पटना में जन्म लेता है, आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना करता है और वह ब्रज बोली के शुद्धिकरण का काम करता है, कितना यशस्वी वक्तित्त्व होगा उनका।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि वीरता में गुरु गोबिंद सिंह जी का कोई सानी नहीं था, उनके जैसा योद्धा सहस्र सालों में शायद ही कभी पैदा होता है, उनकी वीरता के जितने भी गुण गाये जाएँ, वे कम हैं। जब एक 9 साल का बच्चा गुरु तेग बहादुर जैसे प्रचंड व्यक्तित्त्व वाले अपने पिता को देश-हित में आत्म-बलिदान की प्रेरणा देता है, तभी मालूम पड़ जाता है कि वह बच्चा गुरु गोबिंद सिंह जी हैं। उन्होंने कहा कि देश के हजारों सालों के इतिहास में एक ही वीर बलिदानी ऐसा है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए हँसते-हँसते अपने चारों बेटों का बलिदान दे दिया, उनके चार पुत्रों में से दो साहबजादे चमकौर की लड़ाई में शहीद हुए जबकि दो बेटों को दीवार में ज़िंदा चुनवा दिया गया। एक मार्मिक प्रसंग का उल्लेख करते हुए श्री शाह ने कहा, “जब छोटे बेटे को दीवार में चुनवाया जा रहा था तो अपने बड़े भाई की आँखों में आंसू देख उन्होंने उनसे पूछा कि हम सिंह की संतान है, फिर आँखों में आंसू क्यों तो बड़े भाई ने जवाब दिया कि धर्म के रास्ते पर पहले बड़े भाई के बलिदान के बदले छोटे का बलिदान हो रहा है, इसलिए मेरी आँखों में आंसू आ गए। अभी तो दाढ़ी भी नहीं आई थी लेकिन ये वीरता भरी वाणी गुरु गोबिंद सिंह जी के सुपुत्रों की ही हो सकती है और किसी की नहीं।”

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि खालसा पंथ की स्थापना करके देश की रक्षा करने का काम जो दशम गुरु ने किया है, देश उसको कभी भुला नहीं सकता। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना कर के एक साथ कई काम किये, उन्होंने सिखों को वीरता की प्रेरणा दी, देश को स्वतंत्रता एवं आध्यात्मिकता का संदेश दिया, दसों गुरुओं की गुरुवाणी को शब्द देने का काम भी उन्होंने ही किया, राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को अक्षुण रखने के साथ-साथ उन्होंने जाति-पाति के भेद-भाव को मिटाने का काम भी उन्होंने ही किया। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने देश के अलग-अलग हिस्से से, अलग-अलग जाति और सम्प्रदाय से पंच-प्यारे पसंद करके राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। उन्होंने पूरे देश में राष्ट्रीय एकता का अलख जगाने का काम किया ताकि देश, धर्म और समाज पर जो विपत्ति आन पड़ी है, उसका डटकर मुकाबला किया जा सके। आज उनके द्वारा स्थापित वही पंथ इतने सालों बाद भी देश और दुनिया को एकता और ज्ञान का प्रकाश दे रहा है।

श्री शाह ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने पांच ‘क’ के माध्यम से देश और समाज को एक साथ एकता, स्वछता, दृढ़ता, संयम और वीरता का संदेश दिया जो हमारे लिए आज भी प्रेरणा का स्रोत है कि किस तरह से हमें मिल-जुल कर रहना चाहिए और देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के लोग आज जहां कहीं भी हैं, वे घुल-मिलकर समानता में विश्वास के साथ रहते हैं।