परिवर्तनकारी हैं आगामी विधानसभा चुनाव

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%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%a8%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80 आगामी महीनों में पांच राज्य अपनी नई विधानसभा चुनने वाले हैं। चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 11 मार्च 2016 को मतगणना होगी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में लोग विभिन्न चरणों में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सरकार चुनेंगे। यह एक बहुत ही बड़ा चुनावी कार्यक्रम है, जिससे आने वाले वर्षों केलिए इन राज्यों का भविष्य तय होना है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में भारत व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। इन राज्यों का चुनाव इन मायनों में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे यह तय होगा कि प्रधानमंत्री की परिवर्तनकारी नीतियों से ये राज्य कितने प्रभावी एवं अर्थपूर्ण तरीके से जुड़ पायेंगे। अबजबकि भारत विकसित देशों से कदम मिलाकर तीव्र विकास की आकांक्षा के साथ आगे बढ़ रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं कि लोग विकास एवं सुशासन के पक्ष में मतदान करेंगे।

ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि किसी सत्ताधारी दल ने चुनाव शुरू होने से पहले ही हार मान ली हो। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। यह वही पार्टी है जिसने पांच वर्ष पूर्व अकेले चुनाव लड़ा था और स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाई थी। इन पांच वर्षों में ऐसा क्या हुआ कि उसे कांग्रेस के साथ गठबंधन करने को मजबूर होना पड़ा? पिछले पांच वर्षों का कुशासन, गुंडाराज एवं भ्रष्टाचार सपा का साये की तरह पीछा कर रहा है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक ऐसी पार्टी बन गई है, जिसे जनता लगातार ठुकराती रही और अब सपा की साइकिल पर सवार होकर सत्ता तक पहुंचना चाहती है। कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सपा भी चुनावी–वैतरणी पार नहीं कर सकती। दोनों पार्टियों की छवि असामाजिक तत्वों, घोटालेबाजों एवं सत्ता के दलालों की पनाहगाह के रूप में बन चुकी है। उत्तर प्रदेश के लोग न केवल सपा–बसपा कुशासन के चक्र को तोड़ना चाहते हैं, बल्कि परिवर्तन, प्रगति एवं विकास के नये युग की शुरुआत भी करना चाहते हैं। लोग अब समझ चुके हैं कि कांग्रेस–सपा–बसपा ही प्रदेश के पिछड़ेपन, बदहाल कानून-व्यवस्था एवं पतनशील राजनीति के लिए जिम्मेदार हैं। जहां लोगों ने पिछली बार बसपा को ठुकराया था, वहीं इस बार उन्हें सपा–कांग्रेस को एक साथ ठुकराने का अवसर मिला है। कांग्रेस के साथ गठंबधन कर सपा ने यह स्वीकार कर लिया है कि वह अपने दम पर जनता को मुंह नहीं दिखा सकती, लेकिन कांग्रेस को अपना दामन थमा कर उसने लोगों के नजर में अपनी स्थिति और भी बदतर बना ली है।
उत्तर प्रदेश के साथ–साथ उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में भी भाजपा के लिए सुनहरा अवसर है। उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार जनता की अपेक्षा पर खरी उतरने में पूरी तरह नाकामयाब रही है। भ्रष्टाचार, गुटबाजी एवं आपसी कलह ही प्रदेश में कांग्रेस की पहचान बन गई है। गोवा में सरकार के अच्छे कार्यों के कारण लोग भाजपा के प्रति उत्साहित हैं। पंजाब में अकाली दल–भाजपा एक विश्वसनीय गठबंधन के रूप में उभरा है, जिसने प्रदेश को नई ऊंचाइयां दी हैं। मणिपुर में लोग कांग्रेस को छोड़ नए विकल्प के रूप में भाजपा को देख रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के दूरदृिष्ट नेतृत्व में भाजपा का विस्तार देश के कोने–कोने में हुआ है, तथा यह एक मजबूत शक्ति के रूप में उभरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चमत्कारी नेतृत्व ने देश में नई आशा एवं विश्वास का संचार किया है। लोगों को अपने सपने साकार होते दिख रहे हैं। प्रदेशों में भी लोग जनकल्याण एवं जनसेवा को समर्पित सरकारें चुनने में अपना विश्वास जता रहे हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री एवं राजग सरकार को हर ओर अद्भुत जनसमर्थन मिल रहा है। आगामी विधानसभा चुनावों में लोग विभाजनकारी एवं प्रतिगामी राजनीति को हटाकर विकास एवं सुशासन की राजनीति को चुनने को तत्पर हैं।