भारत और फ्रांस के बीच हुए 14 प्रमुख समझौते

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फ्रांस के राष्ट्रपति श्री इमैनुएल मैक्रों चार दिन की राजकीय यात्रा पर 9 मार्च को भारत आए। यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 14 प्रमुख समझौते हुए। राष्ट्रपति श्री मैक्रों ने दिल्ली में आयोजित पहले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और वाराणसी में गंगा के दर्शन भी किए।

फ्रांस के राष्ट्रपति श्री इमैनुएल मैक्रों चार दिन की यात्रा पर 9 मार्च को भारत पहुंचे। नई दिल्ली में एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर उनकी अगवानी की। 10 मार्च को राष्ट्रपति श्री मैक्रों और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 14 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए। ये समझौते रेलवे, शहरी विकास, रक्षा, अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों में किए गए। इनमें भारत और फ्रांस के बीच सशस्त्र बलों में पारस्परिक लॉजिस्टिक्स समर्थन के प्रावधान के संबंध में समझौता, भारत और फ्रांस के बीच पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग के संबंध में समझौता ज्ञापन, अकादमिक योग्यता के परस्पर मान्यता की सुविधा के लिए भारत और फ्रांस के बीच समझौता और नशीली दवाओं, मनोवैज्ञानिक पदार्थों और रासायनिक प्रणेताओं अवैध सेवन तथा संबंधित अपराधों और अवैध आवागमन की रोकथाम पर भारत और फ्रांस के बीच समझौता प्रमुख है।

दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हम सिर्फ दो सशक्त स्वतंत्र देशों और दो विविधतापूर्ण लोकतंत्रों के ही नेता नहीं हैं, हम दो समृद्ध और समर्थ विरासतों के उत्तराधिकारी हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी (भारत-फ्रांस) रणनीतिक भागीदारी भले ही 20 साल पुरानी हो, हमारे देशों और हमारी सभ्यताओं की आध्यात्मिक साझेदारी सदियों लंबी है।’

श्री मोदी ने कहा कि 18वीं शताब्दी से लेकर आज तक, पंचतंत्र की कहानियों के ज़रिये, वेद, उपनिषद, महाकाव्यों श्री रामकृष्ण और श्री अरबिंद जैसे महापुरुषों के ज़रिये, फ्रांसीसी विचारकों ने भारत की आत्मा में झांककर देखा है। वोल्तेयर (Voltaire), विक्टर ह्युगो, रोमां रोलां, रेने दौमाल, आंद्रे मलरो जैसे असंख्य युगप्रवर्तकों ने भारत के दर्शन में अपनी विचाराधाराओं का पूरक और प्रेरक पाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि फ्रांस और भारत की एक मंच पर उपस्थिति एक समावेशी, खुले, और समृद्ध व शान्तिमय विश्व के लिए सुनहरा संकेत है। हमारे दोनों देशों की स्वायत्त और स्वतंत्र विदेश नीतियां सिर्फ अपने-अपने हित पर ही नहीं, अपने देशवासियों के हित पर ही नहीं, बल्कि सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों को सहेजने पर भी केंद्रित है। और आज वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए यदि कोई दो देश कंधे से कंधा मिला कर चल सकते हैं, तो वे हैं भारत और फ्रांस।

फ्रांस के राष्ट्रपति ने की गंगा की सैर

भारत दौरे के अंतिम दिन वाराणसी पहुंचे फ्रांस के राष्ट्रपति श्री इमैनुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ गंगा की सैर की। दोनों अस्सी घाट के साथ ही दश्वाश्वेमध घाट पर भी घूमे। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। श्री मोदी ने अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पंडित दीन दयाल हस्तकला संकुल में बनारसी साड़ी, मीनाकारी, कड़ी के खिलौने, पत्थर कृतियां, संगीत सहित पूर्वांचल की खास पहचान माने जाने वाले धार्मिक धरोहरों से श्री मैक्रों को रुबरू करवाया।

इससे पहले श्री मैक्रों और श्री मोदी ने 800 करोड रुपये से अधिक की लागत से बने भारत के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का विन्ध्य की खूबसूरत पहाड़ियों के बीच उद्घाटन किया। गौरतलब है कि विजयपुर स्थित दादरकला में स्थापित इस प्लांट में पांच लाख 86 हजार 382 प्लेट्स लगाये गये हैं। 75 मेगावाट के इस सोलर प्लान्ट का फ्रासींसी कंपनी इनर्जी सोलर ने निर्माण किया है। इसमें 800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आयी है।

भारत और फ्रांस के बीच अकादमिक योग्यता की पारस्परिक
मान्यता पर ऐतिहासिक समझौता

प्रथम भारत-फ्रांसीसी ज्ञान शिखर सम्मेलन ‘दोनों देशों के बीच अकादमिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता’ पर एक ऐतिहासिक समझौते और संयुक्त पहलों एवं साझेदारियों पर विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के बीच रिकॉर्ड 15 अन्य समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। गौरतलब है कि दो दिवसीय शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया और इसका आयोजन संयोगवश फ्रांस के राष्ट्रपति श्री एमैनुएल मैक्रों की आधिकारिक भारत यात्रा के दौरान ही हुआ।

यह शिखर सम्मेलन भारत में फ्रांसीसी दूतावास द्वारा आयोजित किया गया और भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा इसकी सह-मेजबानी की गई। लगभग 80 भारतीय संस्थानों और 70 फ्रांसीसी संस्थानों के 350 से भी अधिक लोगों ने प्रमुख उद्यमों के साथ इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया जिसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, कैंपस फ्रांस और भारतीय उद्योग परिसंघ का भी समर्थन प्राप्त हुआ।

समापन सत्र में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने दोनों सरकारों को अकादमिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता पर समझौते को अंतिम रूप देने में सहयोग देने के लिए बधाई दी। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंध को बढ़ावा देने, अन्य देश में अपनी पढ़ाई जारी रखने हेतु उनके लिए संभावनाओं को सुविधाजनक बनाकर दोनों देशों के छात्रों की गतिशीलता को प्रोत्साहित करने और सहयोग, विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान संबंधी आदान-प्रदान के माध्यम से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित होगा।

श्री जावड़ेकर ने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही और अधिक विदेशी छात्रों को भारत में शिक्षा प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए ‘ भारत में अध्ययन कार्यक्रम’ का शुभारंभ करेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत में 47000 विदेशी छात्र अध्ययन कर रहे हैं और वर्ष 2022 तक भारत में कम से कम 100,000 विदेशी छात्र अध्ययन करने लगेंगे।

श्री जावड़ेकर ने यह सुझाव भी सामने रखा कि दोनों देशों को पारस्परिकता के आधार पर प्रोफेशनलों को एक-दूसरे के देश में प्रैक्टिस करने की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए। मानव संसाधन विकास मंत्री ने यह जानकारी दी कि शिक्षा और शोध में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच एक संयुक्त कार्यदल (जेडब्ल्यूजी) का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जेडब्ल्यूजी की बैठक सितंबर में होगी। उच्च शिक्षा और अनुसंधान एवं नवाचार मंत्री फ्रेडरिक विडाल ने समापन सत्र में अपनी टिप्पणी में कहा कि गरीबी और असमानता से लड़ने में शिक्षा एक प्रभावकारी हथियार बन सकती है।

उल्लेखनीय है कि यह ज्ञान शिखर सम्मेलन विश्वविद्यालय, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए प्रथम फ्रांस-भारत शिखर सम्मेलन है, जिसका उद्देश्य कंपनियों के सहयोग से अगले पांच वर्षों के लिए फ्रांस-भारत सहयोग का एक रोडमैप तैयार करना है।

इससे पहले, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल और माननीया फ्रेडरिक विडाल के नेतृत्व में फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल ने एक द्विपक्षीय बैठक की। प्रतिनिधिमंडल स्तर की इस बैठक में भारत एवं फ्रांस के उच्च शैक्षणिक संस्थानों के बीच साझेदारी बढ़ाने तथा ‘ज्ञान’ कार्यक्रम के तहत फ्रांसीसी शिक्षाविदों की और अधिक भागीदारी, इत्यादि पर चर्चाएं हुईं।