सहयोग से समृद्ध होगा एशिया

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 29 मई से 2 जून तक इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर की सफल यात्रा की। यात्रा के दौरान इंडोनेशिया के साथ रक्षा सहयोग मजबूत करने समेत 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। मलेशिया में श्री मोदी ने द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर “रचनात्मक चर्चा” की और सिंगापुर के साथ 8 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।

इंडोनेशिया : 15 समझौतों पर हस्ताक्षर


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 29 मई से 2 जून तक इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर की पांच दिवसीय सफल यात्रा के प्रथम चरण में इंडोनेशिया पहुंचे। यहां पर प्रधानमंत्री श्री मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति श्री जोको विदोदो के बीच वार्ता के बाद दोनों देशों ने समग्र रणनीतिक साझेदारी के लिए अपने संबंधों को और मजबूती प्रदान करने पर सहमति जतायी। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग समेत कुल 15 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।

वार्ता के बाद एक संयुक्त प्रेस बयान में श्री मोदी ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया ने समग्र रणनीतिक साझेदारी के लिए अपने संबंधों को और मजबूत करने पर सहमति जतायी है। बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने समुद्र, अर्थव्यवस्था और सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत की।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया में तीन चर्चों पर हाल में हुए आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की और उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जकार्ता के साथ मजबूती से खड़ा है। श्री मोदी ने राष्ट्रपति श्री जोको विदोदो से बातचीत के बाद एक बयान में कहा कि मित्रों, मैं इंडोनेशिया में हाल के हमलों में निर्दोष नागरिकों की मौत से दुखी हूं। भारत ऐसे हमलों की कड़ी निंदा करता है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इंडोनेशिया के साथ है। श्री मोदी ने कहा कि ऐसी दुखद घटनाएं एक संदेश देती है कि यह समय की जरुरत है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक स्तर पर प्रयास मजबूत किए जाएं।
मलेशिया: रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने पर जोर

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इंडोनेशिया से सिंगापुर जाते समय कुछ समय के लिए मलेशिया रुके। वहां पर उन्होंने मलेशिया के नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री श्री महातिर मोहम्मद से 31 मई को मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने पर सकारात्मक चर्चा हुई।
सिंगापुर: आर्थिक, रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने पर सहमति


यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तीन दिवसीय सिंगापुर की सफल यात्रा की। 1 जून को भारत और सिंगापुर ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के उनके समकक्ष श्री ली सीन लूंग के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद रक्षा, आर्थिक सहयोग समेत आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए। साथ ही, उन्होंने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में शांतिपूर्ण, मुक्त तथा दोस्ताना नौवहन वातावरण बनाने की वकालत करते हुए रक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।

दोनों नेताओं की उपस्थिति में दोनों देशों के बीच लोक सेवा अधिकारियों के प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, मादक पदार्थ नियंत्रण और दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच एक दूसरे के साजो-सामान और सुविधाओं में सहयोग सहित कई क्षेत्रों में सहमति ज्ञापनों का आदान प्रदान किया गया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि भारत और सिंगापुर की रणनीतिक साझेदारी समय की कसौटी पर खरी उतरी है।
श्री ली के साथ विस्तृत चर्चा के बाद जारी एक संयुक्त बयान में श्री मोदी ने कहा हमने विस्तृत आर्थिक सहयोग समझौते की दूसरी समीक्षा सफलतापूर्वक पूरी कर ली है, हालांकि हमारे बीच यह सहमति बनी है कि यह सिर्फ हमारा लक्ष्य ही नहीं, बल्कि इसके जरिये हमें नई सफलताओं को हासिल करना है। उन्होंने कहा कि हमारे अधिकारी जल्दी ही इस समझौते को बेहतर बनाने और समीक्षा करने पर चर्चा शुरू करेंगे। दोनों देशों के बीच करीबी रक्षा सहयोग की तारीफ की और दोनो देशों की नौसेनाओं के बीच लाजिस्टिक समझौते का स्वागत किया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आने वाले वक्त में साइबर अपराधों, चरमपंथ और आतंकवाद से निपटना हमारे सहयोग में महत्वपूर्ण होगा। श्री मोदी और श्री ली ने क्षेत्रीय तथा वैश्विक चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया, समुद्री सुरक्षा पर अपना रुख दोहराया और नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी। दोनों नेताओं के बीच मुक्त, स्थिर और स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार माहौल बनाए रखने पर सहमति बनी।

श्री मोदी ने कहा कि हम हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में शांतिपूर्ण, मुक्त और मित्रवत समुद्री परिवेश बनाने पर सहमत हुए। वहीं, प्रधानमंत्री श्री ली ने कहा कि द्विपक्षीय रक्षा संबंध और मजबूत हुए हैं। श्री ली ने कहा कि हमारा रक्षा संबंध मजबूत हुये है, हमारी नौसेनाओं के बीच लाजिस्टिक क्षेत्र में सहयोग पर आज समझौता हुआ और इस वर्ष सिंगापुर-भारत द्विपक्षीय नौवहन अभ्यास की 25वीं वर्षगांठ भी मनाएंगे।”

श्री मोदी ने कहा कि सिंगापुर हमेशा से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और अन्य देशों में निवेश का स्रोत रहा है। यह भारतीयों के लिए भी पसंदीदा निवेश स्थान रहा है। उन्होंने कहा मुझे इस बात की खुशी है कि भारतीय कंपनियां न सिर्फ इस देश में बल्कि पूरे आसियान क्षेत्र में निवेश के लिए सिंगापुर को माध्यम बनाया है। सिंगापुर की कंपनियों के लिए भारत के विकसित होने के साथ ही अवसर बढ़ेंगे।

नान्यांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का भ्रमण

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 1 जून को सिंगापुर में नान्यांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। छात्रों के साथ संवाद के दौरान उन्होंने छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए।

21वीं सदी में एशिया के समक्ष चुनौतियों पर आधारित एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अक्सर कहा जाता है कि 21वीं सदी एशिया की सदी होगी। यह आवश्यक है कि हम स्वयं पर भरोसा रखें और हमें यह जानना चाहिए कि अब हमारी बारी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अवसर के अनुरूप हमें अपने को तैयार करना चाहिए और हमें इसका नेतृत्व करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने चीन में राष्ट्रपति श्री जिनपिंग के साथ हुई बैठक का जिक्र किया। उन्होंने राष्ट्रपति श्री शी जिनपिंग को एक दस्तावेज़ सौंपा, जो बताता है कि पिछले 2,000 वर्षों में से 1,600 वर्षों के दौरान वैश्विक जीडीपी में भारत और चीन की सम्मिलित हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक रही है और इसे बिना संघर्ष के हासिल किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें बिना संघर्ष के कनेक्टिविटी बढ़ाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतर प्रशासन के क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को विशेष भूमिका निभानी है। यह आम लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अवसंरचना विकास के सटीक मानचित्रण में हमारी मदद कर सकता है, जैसे कहां हमें स्कूलों, सड़कों, अस्पतालों आदि की अधिक आवश्यकता है?
परंपरा और वैश्वीकरण में संतुलन से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में श्री मोदी ने कहा कि नवोन्मेष, नैतिकता और मानवीय मूल्यों के आधार पर सदियों से मानवता ने विकास किया है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी मानवीय रचनात्मकता को सहायता प्रदान कर रही है। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मों ने लाखों लोगों को अपने विचार व्यक्त करने का मौका दिया है।

चौथे औद्योगिक क्रांति के युग में समावेशी विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यवधान का अर्थ विनाश नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी लोगों को सशक्त बनाती है तथा प्रौद्योगिकी आधारित समाज, सामाजिक बाधाओं को समाप्त करता है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को सस्ता और उपयोगकर्ता अनुकूल होना चाहिए।

शांग्री-ला वार्ता को संबोधन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सिंगापुर में एशिया के अहम रक्षा एवं सामरिक मामलों के सम्मेलन शांग्री-ला वार्ता को संबोधित किया। अपने संबोधन में श्री मोदी ने कहा कि ‘‘प्रतिद्वंद्विता वाले एशिया’’ से क्षेत्र पिछड़ जाएगा, जबकि सहयोग वाले एशिया से मौजूदा शताब्दी का स्वरूप तय होगा। गौरतलब है कि श्री नरेंद्र मोदी शांग्री-ला वार्ता को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
सिंगापुर की यात्रा के आखिरी दिन श्री मोदी ने अमेरिका के रक्षा मंत्री श्री जिम मैटिस से भी मुलाकात की तथा सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। वह चांगी नौसैन्य अड्डे भी गए तथा वहां भारतीय नौसेना और रॉयल सिंगापुर नौसैना के अधिकारियों एवं नौसैनिकों से मुलाकात की।