मंत्रिमंडल ने ‘हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’ को जारी रखने की स्वीकृति दी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 2 मई को कृषि क्षेत्र में छतरी योजना ‘हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’ को 12वीं पंचवर्षीय योजना से आगे यानी 2017-18 से 2019-20 तक जारी रखने को अपनी स्वीकृति दे दी। इसमें कुल केंद्रीय हिस्सा 33,269.976 करोड़ रुपये का है।

छतरी योजना में 11 योजनाएं/मिशन शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य समग्र और वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाकर तथा उत्पाद पर बेहतर लाभ सुनिश्चत करके किसानों की आय बढ़ाना है। ये योजनाएं 33,269.976 करोड़ रुपये के व्यय के साथ तीन वित्तीय वर्षों यानी 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए जारी रहेंगी।

छतरी योजनाओं के हिस्से के रूप में निम्न प्रमुख योजनाएं हैं :

बागबानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच)– 7533.04 करोड़ रुपये के कुल केंद्रीय हिस्से के साथ एमआईडीएच का उद्देश्य बागबानी उत्पादन बढ़ाकर, आहार सुरक्षा में सुधार करके तथा कृषि परिवारों को आय समर्थन देकर बागबानी क्षेत्र के समग्र विकास को प्रोत्साहित करना है।

तिलहन और तेल पाम पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमओओपी) सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में कुल केंद्रीय हिस्सा 6893.38 करोड़ रुपये का है। इसका उद्देश्य देश के चिन्हित जिलों में उचित तरीके से क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता बढ़ाकर चावल, गेंहू, दालें, मोटे अनाज तथा वाणिज्यिक फसलों का उत्पादन बढ़ाना है। यह कार्य व्यक्तिगत कृषि स्तर पर मिट्टी की उर्वरता तथा उत्पादकता बहाल करके और कृषि स्तरीय अर्थव्यवस्था बढ़ाकर किया जाएगा। इसका एक और उद्देश्य खाद्य तेलों की उपलब्धता को सुदृढ़ बनाना और खाद्य तेलों के आयात को घटाना है ।

सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए) में 3980.82 करोड़ रुपये का कुल केंद्रीय हिस्सा है। एनएमएसए का उद्देश्य विशेष कृषि परिस्थितिकी में एकीकृत कृषि, उचित मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकी के मेलजोल से सतत कृषि को प्रोत्साहित करना है।

2961.26 करोड़ रुपये के कुल केंद्रीय हिस्से के साथ कृषि विस्तार पर उप मिशन (एसएमएई) का उद्देश्य राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों आदि की जारी विस्तार व्यवस्था को मजबूत बनाना, खाद्य और आहार सुरक्षा हासिल करना तथा किसानों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण करना है, ताकि कार्यक्रम नियोजन और क्रियान्वयन व्यवस्था संस्थागत बनाई जा सके, विभिन्न हितधारकों के बीच कारगर संपर्क कायम किया जा सके, मानव संसाधन विकास को समर्थन दिया जा सके तथा इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया, अंतर व्यक्तिगत संचार और आईसीटी उपायों को नवाचारी बनाया जा सके।