2014-18 में कोयला उत्पादन में 10.5 करोड़ टन की वृद्धि

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कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का कोयला उत्पादन 2013-14 के 462 मिलियन टन से बढ़कर 2017-18 में 567 मिलियन टन तक पहुंच गया। इसके कारण पिछले 4 वर्षों (2014-18) में कोयला उत्पादन में 10.5 करोड़ टन की वृद्धि हुई, जिसे हासिल करने में 2013-14 से पहले लगभग सात वर्ष लगे थे। उत्खनन के लिए खुदाई 2013-14 के 6.9 लाख मीटर की तुलना में लगभग दोगुनी बढ़कर 2017-18 में 13.7 लाख मीटर तक पहुंच गई। दरअसल, बढ़े हुए कोयला उत्पादन से ‘सभी के लिए 24 घंटे किफायती बिजली’ उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी, जो 2022 तक नवीन भारत विजन का एक हिस्सा है।

यही नहीं, पिछले चार वर्षों के दौरान विशिष्ट कोयला उपभोग (प्रति यूनिट बिजली के लिए आवश्यक कोयले की मात्रा) में 8 प्रतिशत की कमी आई है जो साफ नीयत, सही विकास के सरकार के दर्शन को प्रदर्शित करता है। देश के कोयला क्षेत्र में सुधार ने ऊर्जा क्षमता, दक्षता एवं सुरक्षा बढ़ोतरी में योगदान दिया है। अब तक का सर्वाधिक महत्वाकांक्षी कोयला क्षेत्र सुधार, वाणिज्यिक कोयला खनन उच्चतर निवेश एवं बेहतर प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन में सहायक होगा।

गौरतलब है कि 89 कोयला खदानों की पारदर्शी तरीके से नीलामी की गई और कोयला धारिता राज्यों को 100 प्रतिशत राजस्व के साथ आवंटित किया गया, जिससे खासकर, सामाजिक रूप से पिछड़े एवं आकांक्षी जिलों के लिए आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में राज्यों को सहायता मिलेगी।

केंद्र सरकार ने कोयला एवं रेल मंत्रालयों के बेहतर समन्वयन के जरिये बेहतर माल ढुलाई पर भी फोकस किया है। कोल इंडिया का कोयला लदान 2014-15 के 195 रेक प्रति दिन से बढ़कर 2017-18 में 230 रेक प्रति दिन हो गया है। 14 महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए कोयला निकालने हेतु समयबद्ध कार्य निष्पादन के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। बिजली क्षेत्र में कोयला लिंकेज को युक्तिसंगत बनाने का परिणाम 3,359 करोड़ रुपये की वार्षिक क्षमता बचत के साथ 55.66 मिलियन टन की कुल कोयला आवाजाही तर्कसंगतता के रूप में सामने आया है।

कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, चिर प्रतीक्षित टोरी-शिवपुर रेल लाइन (44 किमी) का एक हिस्सा, टोरी-बालूमठ रेल खंड आखिरकार 9 मार्च, 2018 को आरंभ कर दिया गया। ओडिशा में झारसुगुडा-बारापल्ली (53 किमी) रेल लाइन भी पूरा किया जा चुका है।

कोयला गुणवत्ता निगरानी प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं पक्षता सुनिश्चित करने के लिए ‘उत्तम’ ऐप लांच किया गया है। कोल इंडिया लिमिटेड एवं सिंगरैनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) के सभी खदानों का पुनर्श्रेणीकरण कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ) द्वारा किया गया है।