आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए

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   .                                                                                   हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
   .                                                                                  आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

   .                                                                                                                             -अटल बिहारी वाजपेयी

 

टल जी चिरनिद्रा में लीन हो गये, लेकिन जिस दीया के प्रकाश को अक्षुण्ण रखने के लिये उन्होंने अपने जीवन का कण-कण और क्षण-क्षण समर्पित कर दिया, आज वह प्रखरता से प्रकाशमान है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के समाचार से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। जैसे ही उनके स्वास्थ्य बिगड़ने का समाचार प्राप्त हुआ था, देश के कोने-कोने में प्रार्थना सभाएं तो चल ही रही थीं, उनके देहावसान से शोक में डूबे लोग उन्हें जगह-जगह श्रद्धांजलियां देने लगे। नई दिल्ली स्थित उनके घर एवं भाजपा मुख्यालय में लोग उनके अंतिम दर्शन को उमड़ पड़े। जब भाजपा मुख्यालय से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में हजारों लोग पैदल ही अटल जी की अंतिम यात्रा में शामिल हुए, ‘अटल बिहारी अमर रहे’ के नारे से सारा दृश्य गुंजायमान हो गया। ‘स्मृति स्थल’ में जब उनकी दत्तक पुत्री ने पवित्र अग्नि से उनके पार्थिव शरीर का दाह-संस्कार किया, तब गगनभेदी नारों से लोग अटल जी को अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित कर रहे थे। अटल जी लोगों के हृदय पर राज करते थे तथा पक्ष हो या विपक्ष सबके दिलों में उन्होंने जगह बनाई थी। भारतीय राजनीित में जो असंभव लगता था, उसे संभव करने वालों में उनका नाम अग्रणी पंक्ति में लिखा जायेगा।

अटल जी ने भारतीय राजनीित में एक अनुपम विरासत छोड़ी है। वे दरअसल वास्तविक भारत और इसके लोकतांत्रिक परंपरा जिससे राष्ट्र की सांस्कृितक-सामािजक आधार की रचना हुई है, उसके सच्चे साधक थे। जहां एक ओर वे राजनीितक दल एवं उसके बाहर तथा शासन व सरकार की लोकतांत्रिक कार्यपद्धति पर विश्वास रखते थे, वहीं दूसरी ओर जब देश पर आपातकाल थोपा गया तब इसका मुखर विरोध करने वालों में वे अग्रणी रहे। लोकतंत्र उनकी राष्ट्रभक्ति की आत्मा रही, क्योंकि प्राचीन काल से भारतीय परंपराओं की विविधता का सामंजस्य लोकतांत्रिक भावना से ही बिठाया गया। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी वे लाेकतांत्रिक समाधान के ही सदैव पक्षधर रहे। अपने लंबे संसदीय जीवन में विपक्ष में रहते हुए भी उन्होंने देश के संसदीय इितहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। यह उनका भारतीय समस्याओं पर गहरा दृिष्टकोण ही था जिस कारण वे भारतीय मूल्यों एवं विचारों के आधार पर उनका समाधान ढूंढने में हमेशा सफल रहे। जमीनी सच्चाइयों से जुड़े होने के कारण उनके दृिष्टकोण का सम्मान उनके राजनैतिक विरोधी भी करते थे।

पूरे देश का उन पर इतना विश्वास था कि संकट के समय दूसरे राजनैतिक दलों के भी लोग उनसे परामर्श लेते थे। मां भारती के एक सच्चे सपूत की तरह अपने पूरे राजनैतिक जीवन में उन्होंने कई बार दलगत राजनीित से उपर उठकर निर्णय लिए एवं दल के हित से उपर राष्ट्रहित को रखा। जब देश पर आपातकाल थोपा गया, राष्ट्रहित में जनसंघ का विलय जनता पार्टी में कर दिया गया। सिद्धांतनिष्ठ एवं विचारधारा पर वे हमेशा अडिग रहे और इन पर किसी भी प्रकार के समझौता से इनकार करते हुए जनता पार्टी से निकल कर अपने सहयोगियों के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। सिद्धांतनिष्ठ एवं मूल्य आधारित राजनीित पर उनका अटूट विश्वास था।

भारतीय राजनीित के वे ऐसे शिखर पुरुष थे जिनके जादुई शब्द जन-जन को प्रेरणा से भर देते थे। लोग उन्हें देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे और यह स्वप्न उनके प्रति निरंतर बढ़ते जन समर्थन से संभव भी हुआ। अटल जी के नेतृत्व में देश ने हर क्षेत्र में अपना झण्डा बुलन्द किया। भारत एक शांतिप्रिय परमाणु शक्ति के रूप में उभरा तथा अंतरराष्ट्रीय दबावों में भी नहीं झुका। ‘अटल’ नाम के अनुरूप वे दबावों में नहीं झुके और वैश्विक स्तर पर चुनौतियों को भारत के आंतरिक शक्ति प्रगट करने का अवसर बना दिया। उन्होंने सुशासन एवं विकास की ऐसी गंगोत्री बहा दी, जिससे देश में आधारभूत संरचनाओं में अभूतपूर्व विकास हुआ और अनेक क्षेत्रों में भारत स्वावलंबी बना। उन्होंने अपने एक भाषण में ठीक ही कहा था कि काल के कपाल पर उन्होंने अमिट रेखाएं खींच दी हैं। उनके द्वारा दिखाया गया प्रकाश आज के उभरते ‘न्यू इंडिया’ का पथ-प्रदर्शक बन गया है।

अटल जी ने पीढ़ी दर पीढ़ी जन-जन को देशभक्ति एवं देशप्रेम से ओतप्रोत हो राष्ट्रजीवन में योगदान के लिये प्रेरित किया। एक राजनैतिक आंदोलन जो देश की राजनीति में एक विकल्प देने के लिये आया, अटलजी, पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री, जिन्होंने अपना कार्यकाल भी पूरा किया, ने एक नया इतिहास रच दिया। यह एक ऐसा इतिहास था जिसमें उनकी अग्रणी भूिमका थी और जिसकी विरासत को आज करोड़ों लोग नमन कर रहे हैं। एक दूरद्रष्टा, लोकतंत्र में आस्था रखने वाले, आम सहमति की राजनीित में विश्वास करने वाले अटल जी राजनीित में सज्जनता एवं संवेदनशीलता के वाहक थे। हम उन्हें शत-शत‌ नमन कर अपनी विनम्र श्रद्धांजलि देते हैं।

shivshakti@kamalsandesh.org