सर्जिकल स्ट्राइक करके सैनिकों ने मुंहतोड़ ज़वाब दिया : नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 30 सितंबर को ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 48वीं कड़ी में कहा कि शायद ही कोई भारतीय हो सकता है जिसको हमारे सशस्त्र बलों पर, हमारे सेना के जवानों पर गर्व न हो। प्रत्येक भारतीय चाहे वह किसी भी क्षेत्र, जाति, धर्म, पंथ या भाषा का क्यों न हो- हमारे सैनिकों के प्रति अपनी खुशी अभिव्यक्त करने और समर्थन दिखाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।

उन्होंने कहा कि कल भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने पराक्रम पर्व मनाया था। हमने 2016 में हुई उस सर्जिकल स्ट्राइक को याद किया, जब हमारे सैनिकों ने हमारे राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में छद्म युद्ध की धृष्टता करने वालों को मुंहतोड़ ज़वाब दिया था।

श्री मोदी ने कहा कि देश में अलग-अलग स्थानों पर हमारे सशस्त्र बलों ने प्रदर्शनी लगाये, ताकि अधिक से अधिक देश के नागरिक खासकर युवा पीढ़ी यह जान सके कि हमारी ताक़त क्या है। हम कितने सक्षम हैं और कैसे हमारे सैनिक अपनी जान जोखिम में डालकर के हम देशवासियों की रक्षा करते हैं।
उन्होंने कहा कि हम शांति में विश्वास करते हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सम्मान से समझौता करके और राष्ट्र की सम्प्रभुता की कीमत पर कतई नहीं। भारत सदा ही शांति के प्रति वचनबद्ध और समर्पित रहा है। 20वीं सदी में दो विश्वयुद्धों में हमारे एक लाख से अधिक सैनिकों ने शांति के प्रति अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और यह तब, जब हमारा उस युद्ध से कोई वास्ता नहीं था। हमारी नज़र किसी और की धरती पर कभी भी नहीं थी। यह तो शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता थी।

लोक संग्राहक थे बापू

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पूज्य बापू ने किसानों, गांवों, श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा, स्वच्छता, शिक्षा के प्रसार जैसे अनेक विषयों पर अपने विचारों को देशवासियों के सामने रखा है। इसे गांधी चार्टर भी कहते हैं। पूज्य बापू लोक संग्राहक थे। लोगों से जुड़ जाना और उन्हें जोड़ लेना बापू की विशेषता थी। ये उनके स्वभाव में था। यह उनके व्यक्तित्व की सबसे अनूठी विशेषता के रूप में हर किसी ने अनुभव किया है। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को ये अनुभव कराया कि वह देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण और नितांत आवश्यक है। स्वतंत्रता संग्राम में उनका सबसे बड़ा योगदान यह रहा कि उन्होंने इसे एक व्यापक जन-आंदोलन बना दिया। स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में महात्मा गांधी के आह्वान पर समाज के हर क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों ने स्वयं को समर्पित कर दिया।

श्री मोदी ने कहा कि बापू ने हम सब को एक प्रेरणादायक मंत्र दिया था, जिसे अक्सर, गांधी जी का टैलिस्मन (ताबीज) के नाम से जाना जाता है। उसमें गांधी जी ने कहा था, “मैं आपको एक जन्तर देता हूं, जब भी तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहम् तुम पर हावी होने लगे तो यह कसौटी आजमाओ। जो सबसे ग़रीब और कमज़ोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा।

क्या उससे, उसे कुछ लाभ पहुंचेगा! क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू रख सकेगा! यानी क्या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज मिल सकेगा, जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है। तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम् समाप्त हो रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब गांधी जी ने कहा था कि सफाई करोगे तो स्वतंत्रता मिलेगी। शायद उनको मालूम भी नहीं होगा ये कैसे होगा – पर ये हुआ, भारत को स्वतंत्रता मिली। इसी तरह आज हम को लग सकता है कि मेरे इस छोटे से कार्य से भी मेरे देश की आर्थिक उन्नति में, आर्थिक सशक्तिकरण में, ग़रीब को ग़रीबी के खिलाफ़ लड़ाई लड़ने की ताक़त देने में मेरा बहुत बड़ा योगदान हो सकता है और मैं समझता हूं कि आज के युग की यही सच्ची देशभक्ति है, यही पूज्य बापू को कार्यांजलि है।