क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास के लिए श्रीलंका सरकार का संकल्प स्वागत योग्य है: नरेन्द्र मोदी

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श्रीलंका के प्रधानमंत्री श्री महिंदा राजपक्षे 7 फरवरी को भारत पहुंचे। वे देश के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर 8-11 फरवरी, 2020 तक भारत की राजकीय यात्रा पर रहे। श्रीलंका के प्रधानमंत्री के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल आया। 8 फरवरी मुख्य कार्य दिवस रहा जहां पर उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता की।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत और श्रीलंका अनादि काल से पड़ोसी भी हैं, और घनिष्ठ मित्र भी हैं। हमारे संबंधों के इतिहास का ताना-बाना संस्कृति, धर्म, आध्यात्म, कला और भाषा जैसे अनगिनत रंग-बिरंगे धागों से बुना गया है। चाहे सुरक्षा हो या अर्थव्यवस्था या सामाजिक प्रगति, हर क्षेत्र में हमारा अतीत और हमारा भविष्य एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। श्रीलंका में स्थायित्व, सुरक्षा, और समृद्धि भारत के हित में तो है ही, पूरे हिन्द महासागर क्षेत्र के हित में भी है और इसलिए, इंडो-पेसिफ़िक क्षेत्र में भी शांति और खुशहाली के लिए हमारा घनिष्ठ सहयोग बहुमूल्य है। हमारी सरकार की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ और ‘सागर’ डॉक्ट्रिन के अनुरूप हम श्रीलंका के साथ संबंधों को एक विशेष प्राथमिकता देते हैं। क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने के श्रीलंका सरकार के संकल्प का हम स्वागत करते हैं।

उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री राजपक्ष और मैंने हमारे द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं और आपसी हित के अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। आतंकवाद हमारे क्षेत्र में एक बहुत बड़ा ख़तरा है। हम दोनों देशों ने इस समस्या का डटकर मुकाबला किया है। पिछले साल अप्रैल में श्रीलंका में ‘ईस्टर डे’ पर दर्दनाक और बर्बर आतंकी हमले हुए थे। ये हमले सिर्फ़ श्रीलंका पर ही नहीं, पूरी मानवता पर भी आघात थे और इसलिए आज की हमारी बातचीत में हमने आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपना सहयोग और बढ़ाने पर चर्चा की। मुझे इस बात पर प्रसन्नता है कि भारत के प्रमुख ट्रेनिंग संस्थानों में आतंकवाद विरोधी कोर्सेज में श्रीलंका के पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लेना शुरू किया है। दोनों देशों की एजेंसीज के बीच संपर्क और सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए भी हम प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि इस बातचीत में हमने श्रीलंका में संयुक्त आर्थिक परियोजनाएं पर और आर्थिक, व्यापारिक, और निवेश संबंधों को बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श किया। हमने अपने जन-जन से संपर्क बढ़ाने, पर्यटन को प्रोत्साहन देने, और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने पर भी चर्चा की।
चेन्नई और जाफ़ना के बीच हाल ही में सीधी फ्लाइट की शुरुआत, इसी दिशा में हमारे प्रयासों का हिस्सा है। इस सीधी फ्लाइट से श्रीलंका के उत्तरी क्षेत्र की तमिल जनसंख्या के लिए कनेक्टिविटी के विकल्प बढ़ेंगे और यह इस क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए भी लाभकारी होगी। इस फ्लाइट को मिला अच्छा प्रतिसाद हम दोनों के लिए प्रसन्नता का विषय है। इस संपर्क को और बढ़ाने, सुधारने, और स्थाई बनाने के लिए और प्रयास करने पर भी हमने चर्चा की।

श्री मोदी ने कहा कि श्रीलंका के विकास प्रयासों में भारत एक विश्वस्त भागीदार रहा है। पिछले साल घोषित नई लाइन्स ऑफ क्रेडिट से हमारे विकास सहयोग को और अधिक बल मिलेगा। हमें ख़ुशी है कि श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में आतंरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए 48,000 से ज्यादा घरों के निर्माण का इंडियन हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरा किया जा चुका है। इसके अलावा अप-कंट्री क्षेत्र में भारतीय मूल के तमिल लोगों के लिए कई हज़ार घरों के निर्माण का कार्य भी प्रगति कर रहा है। प्रधानमंत्री राजपक्ष और मैंने मछुआरों के मानवीय मुद्दे पर भी चर्चा की। इस विषय का प्रभाव दोनों देशों के लोगों के जीवनयापन पर सीधे रूप से पड़ता है और इसलिए हम इस मुद्दे पर रचनात्मक और मानवतापूर्ण एप्रोच जारी रखने पर सहमत हैं।

उन्होंने कहा कि श्रीलंका में री-कन्सीलिएशन से सम्बंधित मुद्दों पर हमने खुले मन से बातचीत की। मुझे विश्वास है कि श्रीलंका सरकार यूनाइटेड श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति और सम्मान के लिए तमिल लोगों की अपेक्षाओं को साकार करेगी। इसके लिए यह आवश्यक होगा कि श्रीलंका के संविधान में तेरहवें संशोधन को लागू करने के साथ-साथ री-कन्सीलिएशन की प्रक्रिया को आगे ले जाया जाए। श्री मोदी ने कहा कि मैं एक बार फ़िर प्रधानमंत्री राजपक्ष का भारत में हार्दिक स्वागत करता हूं। मुझे विश्वास है कि उनकी इस यात्रा से भारत और श्रीलंका की मैत्री और बहु-आयामी सहयोग और अधिक मजबूत होंगे। साथ ही, दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए सहयोग भी बढ़ेगा।