केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘प्राकृतिक गैस मार्केटिंग सुधारों’ को दी मंजूरी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 7 अक्टूबर को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने गैस आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ‘प्राकृतिक गैस मार्केटिंग (विपणन) सुधारों’ को मंजूरी दे दी।

इस नीति का उद्देश्य पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया, गैस की बिक्री की बोली प्रक्रिया में सम्बद्ध गैस उत्पादकों को भाग लेने की अनुमति देने और उत्पादन साझा करने के ठेकों में पहले से ही मूल्य निर्धारित करने की आजादी देने वाली कुछ क्षेत्र विकास योजनाओं को विपणन की आजादी देकर गैस उत्पादकों द्वारा बाजार में बेची जाने वाली गैस के बाजार मूल्य का पता लगाने के लिए मानक कार्य पद्धति निर्धारित करना है।

इस नीति का उद्देश्य ई-बोली के जरिये ठेकेदारों द्वारा की जाने वाली बिक्री के लिए दिशा-निर्देश जारी कर बाजार मूल्य का पता लगाने के लिए पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से प्राकृतिक गैस की बिक्री के लिए मानक कार्य पद्धति प्रदान करना है।

इस नीति ने खुली, पारदर्शी और इलेक्ट्रॉनिक बोली को ध्यान में रखते हुए सम्बद्ध कम्पनियों को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की इजाजत दी है। इससे गैस की मार्केटिंग सरल हो जाएगी और प्रतिस्पर्धा को अधिक बढ़ावा मिलेगा। लेकिन यदि सम्बद्ध गैस उत्पादक ही इसमें भाग लेते हैं और कोई अन्य बोलीकर्ता नहीं होंगे तो दोबारा बोली लगानी होगी।
यह नीति क्षेत्र विकास योजनाओं (एफडीपी) को उन ब्लॉकों की मार्केटिंग की आजादी देगी, जहां उत्पादन साझा करने के ठेके पहले से ही मूल्य निर्धारित करने की आजादी प्रदान कर रहे हैं। ये सुधार पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनकारी सुधारों पर आधारित हैं। गैस क्षेत्र में ये सुधार और गहरे होंगे और निम्नलिखित क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेंगे:

उत्पादन से जुड़ी नीतियों की सम्पूर्ण पारिस्थितिकी प्रणाली, प्राकृतिक गैस के बुनियादी ढांचे और मार्केटिंग को अधिक पारदर्शी बनाया गया है जिसमें कारोबार को सुगम बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

ये सुधार प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्पादन में निवेश को बढ़ावा देकर और आयात निर्भरता को कम करके आत्मनिर्भर भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे।

ये सुधार निवेश को प्रोत्साहित कर गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने में एक और मील का पत्थर साबित होंगे।

बढ़े हुए गैस उत्पादन का उपभोग पर्यावरण में सुधार में मदद करेगा।

ये सुधार एमएसएमई सहित गैस उपभोग क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेंगे।

घरेलू उत्पादन शहरी गैस वितरण और सम्बद्ध उद्योगों जैसे डाउनस्ट्रीम उद्योगों में निवेश बढ़ाने में मदद करेगा।

केंद्र सरकार ने कारोबार को सुगम बनाने पर ध्यान केन्द्रित करते हुए निवेश को आसान बनाने के लिए अपस्ट्रीम क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधार हाथ में लिए हैं। ओपन एसरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) जो निवेशक चालित क्षेत्रफल नीलामी प्रक्रिया है, उसने देश में पर्याप्त क्षेत्रफल बढ़ाया है।

2010 और 2017 के बीच किसी ब्लॉक का आवंटन नहीं किया गया, जिससे घरेलू उत्पादन की दीर्घकालिक व्यवहार्यता प्रभावित हुई। 2017 के बाद से 105 अन्वेषण ब्लॉकों के अंतर्गत 1.6 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र आवंटित किया गया है। इससे आने वाले समय में घरेलू उत्पादन की स्थिरता सुनिश्चित होगी।

सरकार गैस क्षेत्र में अनेक सुधार लेकर आई है और इसके परिणामस्वरूप पूर्वी तट में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है। पूर्वी तट से गैस उत्पादन देश की बढ़ी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर आत्मनिर्भर भारत के लिए योगदान देगा।

फरवरी 2019 में सरकार ने अपस्ट्रीम क्षेत्र में बड़े सुधारों को लागू किया और अधिकतम उत्पादन पर ध्यान देकर मिसाल के तौर पर परिवर्तन किया। ओएएलपी राउंड्स के अंतर्गत क्षेत्रफल आवंटित किया जा रहा है जो केवल कैट II और कैट III बेसिन की कार्य योजना पर आधारित होगा।

घरेलू गैस उत्पादन में पूर्ण मार्केटिंग और मूल्य निर्धारित करने की आजादी है। 28 फरवरी 2019 के बाद मंजूर सभी अन्वेषण और क्षेत्र विकास योजनाओं को पूर्ण बाजार और मूल्य निर्धारित करने की आजादी है।