केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने एक अगस्त को नई दिल्ली में महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक बाल गंगाधर तिलक की 100वीं पुण्यतिथि पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा आयोजित ‘लोकमान्य तिलक- स्वराज से आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का उद्घाटन किया। श्री शाह के संबोधन के मुख्य बिंदु:
- लोकमान्य तिलक का स्वतंत्रता आन्दोलन में अतुलनीय योगदान है, उन्होंने ही भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन को भारतीय बनाया।
- लोगों को स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ने के लिए लोकमान्य तिलक ने शिवाजी जयंती और सार्वजनिक गणेश उत्सवों को लोक-उत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत की जिससे भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन की दिशा और दशा दोनों बदल गई।
- लोकमान्य तिलक अस्पृश्यता के प्रबल विरोधी थे उन्होंने जाति और संप्रदायों में बंटे समाज को एक करने के लिए बड़ा आंदोलन चलाया। उनका कहना था कि यदि ईश्वर अस्पृश्यता को स्वीकार करते हैं तो मैं ऐसे ईश्वर को स्वीकार नहीं करता।
- लोकमान्य तिलक का स्वभाषा और स्वसंस्कृति का जो आग्रह था उसे मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति में शामिल किया गया है।